AH-64E अपाचे से भारत–अमेरिका रक्षा सहयोग मज़बूत
भारतीय सेना को अमेरिका से आखिरी तीन अपाचे AH-64E हेलीकॉप्टर मिल गए हैं, जिससे राजस्थान के जोधपुर में स्थित 451 आर्मी एविएशन स्क्वाड्रन के तहत छह हेलीकॉप्टरों वाला बेड़ा पूरा हो गया है।
- यह सेना के पहले समर्पित अपाचे स्क्वाड्रन के पूर्ण रूप से परिचालन में आने का संकेत है। ये हेलीकॉप्टर फरवरी 2020 में अमेरिका के साथ हुए 600 मिलियन डॉलर के समझौते के तहत खरीदे गए थे।
- AH-64E अपाचे के संबंध में: विश्व के सबसे उन्नत बहु-भूमिका अटैक हेलीकॉप्टरों में से एक माने जाने वाला यह हेलीकॉप्टर अत्याधुनिक एवियोनिक्स और सेंसर सिस्टम, सटीक मार्गदर्शित हथियार और मज़बूत नेटवर्क-केंद्रित युद्ध क्षमताओं से लैस है।
- उच्च परिचालन लचीलापन के लिये डिज़ाइन किया गया यह हेलीकॉप्टर दिन-रात, सभी मौसमों में और रेगिस्तान से लेकर ऊँचाई वाले पर्वतीय क्षेत्रों तक विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में मिशन को आसानी से संपन्न कर सकता है।
- पाकिस्तान से लगी पश्चिमी सीमा पर अपाचे हेलीकॉप्टरों की तैनाती से सटीक प्रहार, टैंक-रोधी युद्ध और निकट वायु सहायता क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, साथ ही यह अत्यधिक संघर्ष‑संभावित क्षेत्र में भारत की प्रतिरोधक क्षमता को भी मज़बूत करेगी।
- भारत–अमेरिका रक्षा सहयोग के प्रमुख पहलू: भारत और अमेरिका ने अक्तूबर 2025 में एक नया 10-वर्षीय रक्षा ढाँचा समझौता हस्ताक्षरित किया, जिसका उद्देश्य सैन्य अभ्यास, तकनीक और औद्योगिक सहयोग में साझेदारी को बढ़ाना है।
- यह संबंध ‘प्रमुख रक्षा भागीदार’ स्थिति और निम्नलिखित मौलिक समझौतों पर आधारित है:
- LEMOA – लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट: यह समझौता दोनों देशों को ईंधन, मरम्मत और आपूर्ति जैसी लॉजिस्टिक सहायता के लिये सैन्य ठिकानों तक आपसी पहुँच प्रदान करता है।
- COMCASA – कम्युनिकेशंस कंपैटिबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट: यह समझौता भारतीय और अमेरिकी सेनाओं के बीच सुरक्षित, एन्क्रिप्टेड संचार प्रणाली तथा वास्तविक समय में जानकारी साझा करने की अनुमति देता है।
- BECA – बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट: यह समझौता उन्नत भू-स्थानिक, सैटेलाइट और मानचित्र डेटा साझा करने की सुविधा प्रदान करता है, जिससे सैन्य नेविगेशन तथा लक्ष्यमान निशाना साधने की क्षमता बेहतर होती है।
- iCET (क्रिटिकल एंड इमरजिंग टेक्नोलॉजी पर पहल) और INDUS-X के तहत, दोनों देश भारत में GE F414 जेट इंजन के सह-उत्पादन और MQ-9B प्रिडेटर ड्रोन की खरीद जैसी परियोजनाओं को तेज़ी से आगे बढ़ा रहे हैं।
- यह संबंध ‘प्रमुख रक्षा भागीदार’ स्थिति और निम्नलिखित मौलिक समझौतों पर आधारित है:
चाबहार बंदरगाह पर ICG जहाज़ सार्थक
भारतीय तटरक्षक बल (ICG) के अपतटीय गश्ती पोत ICGS सार्थक ने ईरान के चाबहार बंदरगाह पर अपने पहले दौरे का आयोजन किया, जिसका उद्देश्य समुद्री सुरक्षा और क्षेत्रीय सहयोग को मज़बूत करना है।
- पोर्ट कॉल का तात्पर्य उस अवधि से है जब कोई पोत (जहाज़) किसी बंदरगाह पर पहुँचता है, वहीं ठहरता है और फिर रवाना होता है।
- रणनीतिक महत्त्व: यह दौरा चाबहार की उस भूमिका को सुदृढ़ करता है जो भारत के लिये ईरान, अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक प्रत्यक्ष समुद्री मार्ग के रूप में कार्य करती है। यह सुरक्षित आपूर्ति शृंखलाओं को मज़बूत करता है और भारत के सागर (SAGAR) तथा महासागर (MAHASAGAR) विज़न के अनुरूप है।
- पर्यावरणीय जनसंपर्क: गतिविधियों में बीच वॉकाथन और खेल शामिल हैं, जो भारत के पुनीत सागर अभियान के अनुरूप हैं।
- पुनीत सागर अभियान (2021) एक पर्यावरणीय अभियान है जिसे राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) द्वारा शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य समुद्र तटों, बीच, नदियों, झीलों और अन्य जल निकायों को प्लास्टिक व अन्य अपशिष्ट से मुक्त करना है।
चाबहार बंदरगाह
- परिचय: चाबहार बंदरगाह ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित एक गहरे जल का बंदरगाह है, जो गल्प ऑफ ओमान पर स्थित है और हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य से बाहर है।
- यह ईरान का एकमात्र गहरे समुद्र का बंदरगाह है, जो भारत को ईरान, अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक प्रत्यक्ष समुद्री पहुँच प्रदान करता है।
- विकास: इसका विकास वर्ष 2016 के चाबहार समझौते के तहत भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच किया गया था। यह अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) का एक हिस्सा है।
- चाबहार में दो टर्मिनल हैं - शहीद बेहेश्ती और शहीद कलंतरी। भारत ने शहीद बेहेश्ती टर्मिनल का विकास किया है और उसका संचालन सक्रिय रूप से कर रहा है।
- प्रबंधन: दिसंबर 2018 से बंदरगाह संचालन का प्रबंधन इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) द्वारा इसकी सहयोगी इकाई इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल चाबहार फ्री ज़ोन (IPGCFZ) के माध्यम से किया जा रहा है।
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और पढ़ें: चाबहार बंदरगाह पर अमेरिकी प्रतिबंध |
डेजर्ट साइक्लोन-II अभ्यास
भारत की एक सैन्य टुकड़ी संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के अबू धाबी के लिये रवाना हुई है, ताकि भारत–UAE संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘डेजर्ट साइक्लोन-II’ के दूसरे संस्करण में भाग ले सकें।
भारत-UAE रक्षा सहयोग
- अभ्यास:
- अभ्यास डेजर्ट साइक्लोन: यह भारत और UAE के बीच पहला द्विपक्षीय सेना अभ्यास है, जो जनवरी 2024 में आयोजित किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य संयुक्त शहरी युद्ध प्रशिक्षण प्रदान करना है, जो संयुक्त राष्ट्र के तहत उप-सामान्य संचालन के लिये है और शांति स्थापना, आतंकवाद विरोधी तथा स्थिरता मिशनों का समर्थन करता है।
- अभ्यास गल्फ वेव्स (Navy): भारत और UAE की नौसेनाओं के बीच होने वाला द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास है। इसे पहले अभ्यास जायद तलवार के नाम से जाना जाता था।
- अभ्यास मिलान (Navy – बहुपक्षीय): भारत द्वारा आयोजित अभ्यास मिलान 2024 में UAE ने निरीक्षक (Observer) के रूप में भाग लिया।
- अभ्यास डेज़र्ट फ्लैग (वायु सेना – बहुपक्षीय): यह एक बहुराष्ट्रीय हवाई युद्ध अभ्यास है, जिसे UAE आयोजित करता है। इसमें भारतीय वायु सेना नियमित रूप से भाग लेती है।
- अभ्यास तरंग शक्ति (वायु सेना – बहुपक्षीय): भारत द्वारा आयोजित अभ्यास तरंग शक्ति 2024 के प्रथम संस्करण में UAE ने भाग लिया।
- रक्षा प्रदर्शनियाँ: IDEX, NAVDEX, दुबई एयर शो (UAE) और एयरो इंडिया, डेफएक्सपो (भारत) जैसी प्रमुख रक्षा प्रदर्शनी में आपसी भागीदारी रक्षा निर्माण और प्रौद्योगिकी में सहयोग को उजागर करती है।
- रणनीतिक महत्त्व: रक्षा संबंध भारत–UAE व्यापक रणनीतिक साझेदारी का एक मुख्य स्तंभ हैं, जो क्षेत्रीय सुरक्षा, आपसी संचालन क्षमता और स्वदेशी रक्षा निर्माण को समर्थन देते हैं।
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