GPS स्पूफिंग
वियना से दिल्ली जा रही एयर इंडिया की एक उड़ान को मध्य पूर्व के ऊपर संदिग्ध GPS सिग्नल स्पूफिंग के कारण नेविगेशन में बाधा आने के बाद डायवर्ट कर दिया गया। सिग्नल स्पूफिंग के कारण विमान की उड़ान नियंत्रण प्रणालियों में गंभीर गड़बड़ी आ गई, जिससे ऑटोपायलट, ऑटोथ्रस्ट, फ्लाइट डायरेक्टर और ऑटोलैंड जैसी सुविधाएँ फेल हो गईं।
- GPS स्पूफिंग: यह एक साइबर अटैक है जिसमें नकली या जाली GPS सिग्नल रिसीवरों को भेजे जाते हैं, जिससे वे गलत स्थिति, नेविगेशन या समय की जानकारी की गणना करते हैं।
- कार्य प्रणाली: हमलावर मज़बूत नकली GPS सिग्नल प्रसारित करने के लिये ज़मीन आधारित ट्रांसमीटरों का उपयोग करते हैं, जो वास्तविक उपग्रह सिग्नलों को ओवरराइड कर देते हैं।
- GPS रिसीवर इन नकली संकेतों को लॉक कर देता है, जिससे गलत स्थान या समय की जानकारी मिलती है।
- विमानन पर प्रभाव: स्पूफिंग के कारण विमान नेविगेशन प्रणाली, जिसमें ऑटोपायलट, फ्लाइट डायरेक्टर और ऑटोलैंड शामिल हैं, में खराबी आ सकती है, जिसके परिणामस्वरूप विमान का गलत दिशा में चले जाना, कॉकपिट नियंत्रण भ्रम, झूठी चेतावनियाँ तथा प्रतिबंधित हवाई क्षेत्र में प्रवेश या टकराव का खतरा हो सकता है।
- जैमिंग से अंतर: जैमिंग के विपरीत, जो सिग्नल को अवरुद्ध या बाधित करता है, स्पूफिंग गलत डेटा प्रदान करता है, जिससे पता लगाना और प्रतिक्रिया करना अधिक कठिन हो जाता है।
- शमन उपाय: इनर्शियल रेफरेंस सिस्टम (IRS) जैसी मज़बूत बैकअप नेविगेशन प्रणालियाँ स्पूफिंग के दौरान वैकल्पिक स्थान डेटा प्रदान करती हैं।
- लचीलापन बढ़ाने के लिये एंटी-स्पूफिंग प्रौद्योगिकियाँ, मल्टी-कॉन्स्टेलेशन GNSS, उन्नत सिग्नल प्रोसेसिंग और पायलट प्रशिक्षण आवश्यक हैं।
- कार्य प्रणाली: हमलावर मज़बूत नकली GPS सिग्नल प्रसारित करने के लिये ज़मीन आधारित ट्रांसमीटरों का उपयोग करते हैं, जो वास्तविक उपग्रह सिग्नलों को ओवरराइड कर देते हैं।
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प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम योजना (PMFME)
चर्चा में क्यों?
भारत के केंद्रीय वित्त मंत्री ने प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम योजना (PMFME) योजना के तहत राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 3,791.1 करोड़ रुपये जारी करने की घोषणा की।
PM-FME योजना क्या है?
- पीएम -FME का उद्देश्य सूक्ष्म खाद्य उद्यमों को मज़बूत करना, 'वोकल फॉर लोकल' उत्पादों को बढ़ावा देना और ग्रामीण उद्यमियों को औपचारिक अर्थव्यवस्था में एकीकृत करना है।
- 29 जून, 2020 को शुरू की गई पीएम-एफएमई योजना, आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत एक केंद्र प्रायोजित योजना है।
- इसे 2020-21 से 2025-26 की अवधि के लिये ₹10,000 करोड़ के कुल परिव्यय के साथ लॉन्च किया गया था।
- योजना की मुख्य विशेषताएं:
- सामान्य अवसंरचना: साझा सुविधाओं के साथ खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित करने वाले एफपीओ, सहकारी समितियां, एसएचजी और सरकारी एजेंसियाँ 35% क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी के लिये पात्र हैं, जो 3 करोड़ रुपये तक है।
- क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी: व्यक्ति, FPO, एनजीओ, सहकारी समितियाँ, एसएचजी और प्राइवेट लिमिटेड फर्म नई इकाइयों को अपग्रेड करने या स्थापित करने के लिये 35% सब्सिडी , प्रति यूनिट 10 लाख रुपये तक का लाभ उठा सकते हैं।
- एक ज़िला एक उत्पाद (ओडीओपी): पैमाने, मूल्य शृंखला विकास और विपणन सहायता को बढ़ावा देने के लिये ODOP दृष्टिकोण को लागू किया गया है - 35 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के 713 ज़िलों को 137 अद्वितीय उत्पादों के साथ कवर किया गया है।
- स्वयं सहायता समूहों के लिये बीज पूंजी: कार्यशील पूंजी और छोटे उपकरणों के लिये बीज पूंजी के रूप में प्रति सदस्य 40,000 रुपये से लेकर प्रति एसएचजी 4 लाख रुपये तक की राशि प्रदान की जाती है, जिसका वितरण एसएचजी महासंघों के माध्यम से किया जाता है।
- विपणन एवं ब्रांडिंग: प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों को बढ़ावा देने के लिये एफपीओ, एसएचजी, सहकारी समितियों या एसपीवी द्वारा ब्रांडिंग और विपणन पहल के लिये 50% अनुदान प्रदान करता है।
- क्षमता निर्माण: लाभार्थियों के तकनीकी और व्यावसायिक कौशल को बढ़ाने के लिये खाद्य प्रसंस्करण उद्यमिता विकास कार्यक्रम के अंतर्गत प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
- लागत साझाकरण पैटर्न: केंद्र और राज्यों के बीच 60:40, पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिये 90:10, विधायिका वाले केंद्र शासित प्रदेशों के लिये 60:40 तथा अन्य केंद्र शासित प्रदेशों के लिये 100% केंद्रीय वित्तपोषण।
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र से संबंधित अन्य प्रमुख सरकारी पहल क्या हैं?
- प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिये उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना।
- प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (पीएसएल): खाद्य और कृषि-प्रसंस्करण इकाइयों के साथ-साथ कोल्ड चेन अवसंरचना को अब प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के रूप में मान्यता दी गई है।
- स्वचालित मार्ग के तहत 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश: खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र स्वचालित अनुमोदन मार्ग के माध्यम से पूर्ण प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त कर सकता है।
- विशेष खाद्य प्रसंस्करण कोष: राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के साथ ₹2,000 करोड़ के कोष की स्थापना।
- मेगा फूड पार्क योजना खाद्य प्रसंस्करण के लिये एकीकृत अवसंरचना प्रदान करती है, जिसमें प्रति परियोजना 50 करोड़ रुपये तक की पेशकश की जाती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. PM-FME योजना क्या है?
सूक्ष्म खाद्य उद्यमों को औपचारिक बनाने, स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने, ग्रामीण आय बढ़ाने और उद्यमियों को औपचारिक अर्थव्यवस्था में एकीकृत करने के लिये वर्ष 2020 में एक योजना शुरू की गई।
2. PM-FME क्या सहायता प्रदान करता है?
व्यक्तिगत इकाइयों, FPO, सहकारी समितियों और SHG को पूंजीगत सब्सिडी, अनुदान, बीज निधि, प्रशिक्षण, ब्रांडिंग, विपणन, सामान्य बुनियादी ढाँचा और अनुसंधान एवं विकास सहायता प्रदान करता है।
3. ODOP दृष्टिकोण क्या है?
प्रत्येक ज़िला एक प्रमुख उत्पाद पर ध्यान केंद्रित करता है, क्लस्टर-आधारित प्रसंस्करण, भंडारण, ब्रांडिंग, बाज़ार संपर्क को बढ़ावा देता है और भारत की कृषि निर्यात नीति के साथ संरेखित करता है।
4. इस क्षेत्र को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है?
बुनियादी ढाँचे में अंतराल, सीमित वित्तीय पहुँच और कमज़ोर गुणवत्ता मानक भारत के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विकास, निर्यात क्षमता और प्रतिस्पर्द्धात्मकता में बाधा डालते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा के पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रीलिम्स
प्रश्न. भारत सरकार किस उद्देश्य से "मेगा फूड पार्क" की अवधारणा को बढ़ावा दे रही है? (2011)
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिये अच्छी बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराना।
- शीघ्र खराब होने वाली वस्तुओं के प्रसंस्करण को बढ़ाना और अपव्यय को कम करना।
- उद्यमियों को उभरती हुई और पर्यावरण-अनुकूल खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियाँ उपलब्ध कराना।
नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (b)