प्रिलिम्स फैक्ट्स (07 Sep, 2021)



प्रिलिम्स फैक्ट्स: 07 सितंबर, 2021

हाइसीन: नई श्रेणी के बाह्य ग्रह

Hycean:New class outer planets

हाल ही में कुछ खगोलविदों ने एक्सोप्लेनेट के एक नए वर्ग हाइसीन वर्ल्ड (Hycean Worlds) की पहचान की है।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • हाइसीन वर्ल्ड हाइड्रोजन और महासागर से मिलकर बना है। ग्रह-व्यापी महासागर एवं हाइड्रोजन-समृद्ध वातावरण इस वर्ल्ड को कवर कर सकते हैं।
    • पृथ्वी के व्यास के 2.6 गुने व्यास, 200 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान तथा हाइड्रोजन की मोटी परत के साथ वे विशिष्ट प्रकार के एलियन ग्रह हैं। इनका यह गुण उन्हें पृथ्वी और नेपच्यून या यूरेनस जैसे विशाल ग्रहों के बीच कहीं स्थापित करता है।
      • सौरमंडल में कोई एनालॉग नहीं होने के कारण इन ग्रहों को उनके घनत्व के आधार पर विस्तृत संघटन (Bulk Compositions) के संबंध में अनुमानों पर सुपर-अर्थ या मिनी-नेप्च्यून के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
    • अधिकांश मिनी-नेप्च्यून के विपरीत इन ग्रहों में पृथ्वी की तरह ठोस सतह हो सकती है। कई ज्ञात हाइसीन ग्रह पृथ्वी की तुलना में कहीं अधिक बड़े हैं जहाँ महासागर उपस्थित हो सकते हैं।
    • कुछ हाइसीन अपने सितारों के साथ ज्वारबंधन की स्थिति में होते हैं अर्थात् इतने करीब से परिक्रमा करते हैं कि इन पर दिन की अवधि अत्यधिक गर्म होती है तथा दूसरी तरफ घना अंधेरा रहता है। साथ ही कुछ हाइसीन अपने सितारे से बहुत दूरस्थित होते हैं तथा बहुत कम प्रकाश प्राप्त करते हैं लेकिन ऐसे हाइसीन पर भी जीवन मौजूद हो सकता है।
      • ज्वारबंधन (Tidal Locking) उस स्थिति को दिया गया नाम है जब किसी वस्तु की कक्षीय अवधि उसकी घूर्णन अवधि से मेल खाती है।
  • महत्त्व:
    • ऐसे ग्रहों पर स्थितियाँ हमारे ग्रह से कुछ अधिक चरम जलीय वातावरण के समान हो सकती हैं, लेकिन सैद्धांतिक रूप से कम-से-कम माइक्रोबियल जीवन का समर्थन कर सकती हैं।
    • हाइसीन वर्ल्ड कहीं और जीवन की खोज में तेज़ी ला सकता है। कुछ मायनों में वे बड़े पैमाने पर या यहाँ तक कि पूरी तरह से महासागरों से आच्छादित पृथ्वी की याद दिलाते हैं।
      • हाइसीन वर्ल्ड पृथ्वी से भिन्न जीवन का समर्थन कर सकता है।
  • एक्सोप्लेनेट:
    • एक एक्सोप्लेनेट या एक्स्ट्रासोलर ग्रह सौरमंडल के बाहर स्थित एक ग्रह है। एक्सोप्लेनेट की जानकारी के बारे में पुष्टि पहली बार वर्ष 1992 में की गई थी।
      • अब तक 4,400 से अधिक एक्सोप्लेनेट की खोज की जा चुकी है।
    • एक्सोप्लेनेट को सीधे दूरबीन से देखना बहुत कठिन है। वे उन सितारों की अत्यधिक चमक से छिपे हुए हैं जिनकी वे परिक्रमा करते हैं। इसलिये खगोलविद् एक्सोप्लेनेट का पता लगाने और उनका अध्ययन करने के लिये अन्य तरीकों का उपयोग करते हैं जैसे कि ग्रहों के उन सितारों पर पड़ने वाले प्रभावों को देखना जिनकी वे परिक्रमा करते हैं।

Exoplanet-types


भारत का सबसे ऊँचा वायु शोधक: चंडीगढ़

India’s Tallest Air Purifier: Chandigarh 

नीले आसमान के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस (International Day of Clean Air for Blue Skies) पर चंडीगढ़ में भारत के सबसे ऊँचे वायु शोधक का उद्घाटन किया गया।

  • इससे पहले अगस्त 2021 में नई दिल्ली के कनॉट प्लेस में देश के पहले 'स्मॉग टॉवर' का उद्घाटन किया गया था।

प्रमुख बिंदु

  • संदर्भ:
    • यह 24 मीटर ऊँचा आउटडोर वायु शोधन टॉवर है और लगभग 1 किमी. के दायरे की वायु को शुद्ध करने में सक्षम है।
    • यह अपने द्वारा ग्रहण की गई और छोड़ी गई वायु का गुणवत्ता सूचकांक भी दर्शाएगा। यह विद्युत के माध्यम से कार्य करता है।
      • वायु शोधक, वायु प्रदूषण कणों को कम करने के लिये बड़े पैमाने पर वायु शोधक के रूप में डिज़ाइन की गई संरचनाएँ हैं।
    • चंडीगढ़, राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) मानदंडों के अनुसार, देश के गैर-प्राप्ति (Non-Attainment) श्रेणी के शहरों में से एक है जिसका अर्थ है कि यह पाँच वर्ष की अवधि में हानिकारक पीएम 10 (पार्टिकुलेट मैटर जो 10 माइक्रोन या उससे कम व्यास का है), पीएम 25 या NO2 (नाइट्रोजन डाइऑक्साइड) के लिये लगातार राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानकों (NAAQS) को पूरा नहीं करता है।
      • लॉकडाउन अवधि के दौरान "संतोषजनक" और "मध्यम" रहने के बाद तथा कुछ महीनों के पश्चात् वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) नवंबर 2020 में पहली बार फिर से "खराब" स्थिति में हो गया था।
  • नीले आसमान के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस:
    • संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने दिसंबर 2019 में एक प्रस्ताव अपनाया जिसके द्वारा 7 सितंबर को नीले आसमान के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस की घोषणा की गई।
    • इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन, मानव और ग्रहीय स्वास्थ्य के साथ-साथ सतत् विकास लक्ष्यों जैसे अन्य महत्त्वपूर्ण मुद्दों को शामिल करने के लिये व्यापक स्तर पर बातचीत को जारी रखते हुए सभी के लिये स्वस्थ वायु की आवश्यकता को प्राथमिकता देना है।
    • वर्ष 2030 तक वायु, जल और मिट्टी में रसायनों जैसे प्रदूषकों के कारण हताहतों की संख्या और रोगों को कम करने की आवश्यकता को मान्यता देने के लिये प्रस्ताव को अपनाया गया था।
    • वर्ष 2021 के लिये थीम स्वस्थ वायु, स्वस्थ ग्रह (Healthy Air, Healthy Planet) है।

मांडा भैंस: ओडिशा

Manda Buffalo: Odisha

मांडा भैंस को राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (National Bureau of Animal Genetic Resources- NBAGR) द्वारा भारत में पाई जाने वाली भैंसों की 19वीं अनूठी नस्ल के रूप में मान्यता दी गई है।

  • मवेशियों की चार नस्लें- बिंझारपुरी, मोटू, घुमुसरी, खरियार तथा भैंस की दो नस्लें- चिलिका एवं कालाहांडी और भेड़ की एक नस्ल- केंद्रपाड़ा को पहले ही NBAGR द्वारा मान्यता प्रदान की जा चुकी है।

प्रमुख बिंदु

  • मांडा:
    • निवास:
      • यह पूर्वी घाटों और ओडिशा के कोरापुट क्षेत्र के पठार में पाए जाते हैं।
      • इन छोटी और मज़बूत भैंसों का उपयोग उनके मूल निवास स्थानों पर जुताई के लिये किया जाता है।
    • विशेषताएँ:
      • इस नस्ल के भैंसों के शरीर का रंग आमतौर पर धूसर (Grey) होता है तथा कुछ चांदी के समान सफेद रंग के होते हैं।
    • नस्ल की विशेषता:
      • मांडा परजीवी संक्रमणों के लिये प्रतिरोधी हैं, जिनमें बीमारियों की संभावना कम होती है और ये कम या शून्य इनपुट प्रणाली पर जीवित रहने के साथ ही उत्पादन और प्रजनन में सक्षम होते हैं।
  • मान्यता का महत्त्व:
    • राज्य एवं केंद्र ओडिशा के इस अद्वितीय भैंस आनुवंशिक संसाधन के संरक्षण और प्रजनन रणनीति के माध्यम से इनकी उत्पादकता बढ़ाने के प्रयास करेंगे।
    • सरकार इनसे प्राप्त उत्पादों- दूध, दही और घी को प्रीमियम मूल्य पर विपणन करने में मदद करेगी जिसके परिणामस्वरूप मूल क्षेत्र में हितधारकों की आजीविका में सुधार होगा।
  • राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो:
    • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR)- राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, करनाल (ICAR-NBAGR) देश के पशुधन और कुक्कुट के नए पहचाने गए  प्लाज़्मा जर्मप्लाज़्म (Germplasm) के पंजीकरण के लिये नोडल एजेंसी है।
    • इसके अधिदेश में पशुधन एवं कुक्कुट आनुवंशिक संसाधनों की पहचान, मूल्यांकन, विशेषता, संरक्षण और टिकाऊ उपयोग शामिल है।

डेफएक्सपो-2022

DefExpo-2022

मार्च 2022 में डेफएक्सपो-2022 (DefExpo) का 12वाँ संस्करण गुजरात के गांधीनगर में आयोजित किया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • संदर्भ:
    • डेफएक्सपो रक्षा मंत्रालय का एक प्रमुख द्विवार्षिक कार्यक्रम है, जिसमें भूमि, नौसेना, वायु के साथ-साथ मातृभूमि सुरक्षा प्रणालियों का प्रदर्शन किया जाता है।
    • डेफएक्सपो-2022 का उद्देश्य रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के विज़न पर आगे बढ़ना और वर्ष 2024 तक 5 बिलियन डॉलर के रक्षा निर्यात के लक्ष्य को प्राप्त करना है।
    • डेफएक्सपो का 11वाँ संस्करण वर्ष 2020 में लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में आयोजित किया गया था।
  • आत्मनिर्भर भारत के तहत रक्षा क्षेत्र में सुधार:
    • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) सीमा में संशोधन: स्वचालित मार्ग के तहत रक्षा निर्माण में FDI की सीमा 49% से बढ़ाकर 74% कर दी गई है।
    • परियोजना प्रबंधन इकाई (PMU): सरकार से एक परियोजना प्रबंधन इकाई (अनुबंध प्रबंधन उद्देश्यों के लिये) की स्थापना करके समयबद्ध रक्षा खरीद और तेज़ी से निर्णय लेने की आशा की जाती है।
    • रक्षा आयात विधेयक में कमी: सरकार आयात के लिये प्रतिबंधित हथियारों/प्लेटफॉर्मों की एक सूची अधिसूचित करेगी और इस प्रकार ऐसी वस्तुओं को केवल घरेलू बाज़ार से ही खरीदा जा सकता है।
      • घरेलू पूंजी खरीद के लिये अलग बजट प्रावधान।
    • आयुध निर्माणी बोर्ड का निगमीकरण: इसमें कुछ इकाइयों की सार्वजनिक सूची शामिल होगी, जो डिज़ाइनर और अंतिम उपयोगकर्त्ता के साथ निर्माता के अधिक कुशल इंटरफेस को सुनिश्चित करेगा।

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 07 सितंबर, 2021

योशीहिदे सुगा

हाल ही में जापान के प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा ने अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा की है। कोविड-19 महामारी के दौरान सरकारी प्रबंधन को लेकर लोगों में व्याप्त अक्रोश के बाद योशीहिदे सुगा को पद से इस्तीफा देना पड़ रहा है। गौरतलब है कि तकरीबन एक वर्ष पहले पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद योशीहिदे सुगा जापान के प्रधानमंत्री बने थे। योशीहिदे सुगा उस समय शिंजो आबे की सरकार में मुख्य कैबिनेट सचिव के तौर पर कार्य कर रहे थे। कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी और आर्थिक गिरावट के अलावा योशीहिदे सुगा को चीन सहित कई अन्य चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा था। ज्ञात हो कि जापान में एक बहुदलीय, द्विसदनीय और प्रतिनिधि लोकतांत्रिक संवैधानिक राजतंत्र है। जापान ने संविधान की सर्वोच्चता के साथ एकात्मक मॉडल को अपनाया है। जापान की शासन प्रणाली में भी विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका शामिल हैं। जापान का सम्राट राज्य का प्रमुख होता है और प्रधानमंत्री, सरकार एवं मंत्रिमंडल का प्रमुख होता है। सम्राट के पास नाममात्र के औपचारिक अधिकार होते हैं। विधायिका को ‘नेशनल डाइट’ (National Diet) के रूप में जाना जाता है, जिसके सदस्य प्रत्यक्ष तौर पर चुने जाते हैं। भारतीय संविधान में जापान के संविधान से कई प्रावधान शामिल किये गए हैं, जिसमें ‘विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया’ का प्रावधान भी शामिल है।

‘अमेज़न इंडिया’ का ‘किसान स्टोर’

‘अमेज़न इंडिया’ ने ‘किसान स्टोर’ नामक एक ऑनलाइन प्लेटफाॅर्म लॉन्च किया है, जो देश भर में किसानों को 8,000 से अधिक कृषि इनपुट जैसे- बीज, कृषि उपकरण और सहायक उपकरण, पौध संरक्षण, पोषण तत्त्व आदि प्राप्त करने में सक्षम बनाएगा। छोटे और मध्यम व्यवसायों (SMBs) द्वारा सूचीबद्ध ये उत्पाद अमेज़न इंडिया पर प्रतिस्पर्द्धी कीमतों पर उपलब्ध होंगे, साथ ही इसमें किसानों के दरवाज़े पर डिलीवरी की अतिरिक्त सुविधा भी उपलब्ध होगी। यह ऑनलाइन स्टोर हिंदी और अंगेज़ी के अलावा तेलुगू, कन्नड़, तमिल और मलयालम जैसी स्थानीय भाषाओं में मौजूद होगा तथा किसान डिजिटल भुगतान का उपयोग करके कृषि इनपुट खरीद सकते हैं। अमेज़न ने किसानों के लिये स्टोर मालिकों की मदद से खरीदारी करने हेतु 5,000 से अधिक ‘अमेज़न इज़ी स्टोर’ नेटवर्क भी खोला है, जो उन्हें ब्राउज़ करने, उत्पाद की पहचान करने, उनका अमेज़न खाता बनाने और ऑर्डर देने में मदद करेगा। इन स्टोरों में 20 से अधिक ब्रांडों के हज़ारों उत्पाद सूचीबद्ध हैं। यह स्टोर किसानों के लिये एक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र बनाने हेतु पहला कदम है, जो उन्हें एक क्लिक पर ऑर्डर देने और उनकी पसंद के उत्पादों को घर बैठे प्राप्त करने में सक्षम बनाएगा। 

‘इंस्पिरेशन4’ स्पेसफ्लाइट

टेक उद्यमी ‘एलोन मस्क’ ने हाल ही में घोषणा की है कि 'स्पेसएक्स’ की पहली सर्व-नागरिक एवं गैर-सरकारी स्पेसफ्लाइट जल्द ही लॉन्च की जाने वाली है। इसके तहत ‘क्रू ड्रैगन’ अंतरिक्षयान को अमेरिका के फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाना है। यह चार लोगों  के समूह को तीन दिनों तक के लिये अंतरिक्ष में ले जाएगा। यह मिशन टेनेसी स्थित सेंट जूड चिल्ड्रन रिसर्च हॉस्पिटल की फंडिंग हेतु धनराशि जुटाने के प्रयास का एक हिस्सा है और अंतरिक्षयान की सभी चार सीटें फिनटेक कंपनी ‘शिफ्ट4 पेमेंट्स’ के संस्थापक अमेरिकी ‘जेरेड इसाकमैन’ द्वारा खरीदी गई हैं। ‘इंस्पिरेशन4’ स्पेसफ्लाइट के तहत लगभग 575 किलोमीटर की ऊँचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा की जाएगी, जो कि ‘हबल स्पेस टेलिस्कोप’ (547 किलोमीटर) और ‘इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन’ (408 किलोमीटर) की ऊँचाई से भी अधिक है। यह वर्ष 2009 के बाद से किसी भी ‘क्रू’ मिशन द्वारा तय की गई सबसे अधिक दूरी होगी। यह अंतरिक्ष यात्रा व्यापक मात्रा में स्वास्थ्य डेटा एकत्र करने का अवसर प्रदान करेगी, जो भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिये काफी महत्त्वपूर्ण होगा।

ओरंग राष्ट्रीय उद्यान

असम मंत्रिमंडल ने हाल ही में ‘राजीव गांधी राष्ट्रीय उद्यान’ का नाम बदलकर ‘ओरंग राष्ट्रीय उद्यान’ करने का निर्णय लिया है। ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तरी तट पर स्थित ‘ओरंग राष्ट्रीय उद्यान’ असम का सबसे पुराना ‘गेम रिज़र्व’ है, जिसे वर्ष 1915 में अंग्रेज़ों द्वारा ‘गेम रिज़र्व’ के रूप में अधिसूचित किया गया था। इसके पश्चात् वर्ष 1999 में इसे राष्ट्रीय उद्यान में अपग्रेड किया गया था और वर्ष 2016 में इसे टाइगर रिज़र्व के रूप में मान्यता दी गई थी। गुवाहाटी से तकरीबन 140 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ‘ओरंग राष्ट्रीय उद्यान’ एक-सींग वाले गैंडों, बाघों, हाथियों, जंगली सूअर, पिग्मी हॉग और विभिन्न प्रकार की मछलियों के लिये प्रसिद्ध है। स्थलाकृति में समानता और एक सींग वाले गैंडों की समृद्ध आबादी के कारण इसे अक्सर 'मिनी काजीरंगा' भी कहा जाता है। ज्ञात हो कि असम में वर्तमान में सात राष्ट्रीय उद्यान हैं: काजीरंगा, मानस, ओरंग, नामेरी, डिब्रू-सैखोवा, रायमोना और देहिंग पटकाई।