प्रिलिम्स फैक्ट्स (07 Feb, 2023)



विश्वभारती को मिलेगा दुनिया की पहली लिविंग हेरिटेज यूनिवर्सिटी का दर्जा

वर्ष 1921 में रबींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित विश्वभारती विश्वविद्यालय को दुनिया का पहला "लिविंग हेरिटेज यूनिवर्सिटी" का दर्जा  प्राप्त होगा। विश्वविद्यालय को अप्रैल या मई 2023 में यूनेस्को से विरासत का टैग प्राप्त होने की उम्मीद है। 

  • सामान्यतः विरासत का टैग अमूर्त स्मारक को दिया जाता है। दुनिया में पहली बार किसी मूर्त विश्वविद्यालय को यूनेस्को से विरासत का टैग मिलने जा रहा है। 

विश्वभारती विश्वविद्यालय से संबंधित प्रमुख बिंदु: 

  • यह भारत में पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन में स्थित है। इसकी स्थापना वर्ष 1921 में की गई थी तथा मई 1922 में जब तक विश्वभारती सोसाइटी को एक संगठन के रूप में पंजीकृत नहीं किया गया था, इसका नाम नोबेल पुरस्कार विजेता रबींद्रनाथ टैगोर के नाम पर रखा गया था। 
  • रबींद्रनाथ खुली शिक्षा में विश्वास करते थे और उन्होंने विश्वविद्यालय में उस प्रणाली को पेश किया, जो आज तक प्रचलित है।
  • यूनेस्को (UNESCO) के अनुसार, वर्ष 1922 में विश्व-भारती का उद्घाटन कला, भाषा, मानविकी, संगीत में अन्वेषण के साथ एक सांस्कृतिक केंद्र के रूप में किया गया था और ये आज उन विभिन्न संस्थानों में परिलक्षित होता हैं जो अपने शैक्षिक कार्यक्रमों में हिंदी का अध्ययन सहित, चीन-एशियाई अध्ययन, मानविकी, ललित कला और संगीत का अध्ययन जारी रखे हैं।
    • यह संस्कृति और संस्कृति अध्ययन में उत्कृष्टता के संस्थापक सिद्धांतों पर आधारित है।
  • आज़ादी से पूर्व यह एक महाविद्यालय था और संस्थान को वर्ष 1951 में केंद्रीय अधिनियम के माध्यम से केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया गया था।
  • विश्वभारती विश्वविद्यालय के संस्थानों की भीतरी संरचनाएँ वास्तुशिल्प के संदर्भ में विविध हैं।
    • उदाहरण
      • कालो बारी (मूर्तिकला पैनल्स और तारकोल सतह वाली मिट्टी की संरचना) 
      • मास्टरमोशाय स्टूडियो (कला भवन के पहले प्राचार्य नंदलाल बोस के लिये बनाई गई एक मंजिला संरचना)
      • चीना और हिंदी भवन पर भित्ति चित्र एवं पेंटिं

यूनेस्को (UNESCO):  

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


प्राचीन शियान किले की दीवार में म्यूऑन्स का प्रवेश

एक नए अध्ययन के अनुसार, शोधकर्त्ता चीन के एक प्राचीन शहर शियान में किले की दीवार की जाँच कर रहे हैं, जिसमें बाह्य अंतरिक्ष कण म्यूऑन का उपयोग किया जा रहा है जो सैकड़ों मीटर भीतर पत्थर की सतहों में प्रवेश कर सकते हैं। 

  • वैज्ञानिकों ने शियान शहर की दीवार की जाँच करने के लिये CORMIS (कॉस्मिक रे म्यूऑन इमेजिंग सिस्टम) नामक एक म्यूऑन डिटेक्टर का उपयोग किया। 

म्यूऑन्स क्या हैं? 

  • परिचय:  
    • म्यूऑन्स अंतरिक्ष से बरसने वाले उप-परमाणु (Subatomic) कण हैं। इनका निर्माण तब होता है जब पृथ्वी के वायुमंडल में ये कण कॉस्मिक किरणों से टकराते हैं।
      • कॉस्मिक किरणें उच्च-ऊर्जा कणों के समूह हैं जो लगभग प्रकाश की गति से अंतरिक्ष में घूमते हैं। 
    • साइंटिफिक अमेरिकन पत्रिका के अनुसार, "लगभग 10,000 म्यूऑन्स एक मिनट में पृथ्वी की सतह के प्रत्येक वर्ग मीटर तक पहुँचते हैं"।
  • विशेषताएँ:  
    • ये कण इलेक्ट्रॉन के समान हैं लेकिन 207 गुना अधिक भारी हैं। नतीजतन उन्हें कई बार "फैट इलेक्ट्रॉन" के रूप में भी जाना जाता है। 
    • म्यूऑन्स इतने भारी होते हैं कि अवशोषित या क्षय होने से पहले वे चट्टान या अन्य पदार्थ के माध्यम से सैकड़ों मीटर की यात्रा कर सकते हैं।
      • इसकी तुलना में इलेक्ट्रॉन केवल कुछ सेंटीमीटर तक ही प्रवेश कर सकते हैं।  
    • इसके अलावा म्यूऑन्स अत्यधिक अस्थिर होते हैं और केवल 2.2 माइक्रोसेकंड तक मौजूद होते हैं। 

म्यूओग्राफी (Muography): 

  • परिचय: 
    • म्यूऑन की भेदन शक्ति के कारण बड़ी संरचनाओं को स्कैन करने की विधि को म्यूओग्राफी कहा जाता है।
  • म्यूओग्राफी के अनुप्रयोग:
    • पुरातत्त्व:  
      • अद्वितीय लाभों के साथ म्यूओग्राफी ने बड़े पैमाने पर पुरातात्त्विक स्थलों की जाँच के लिये एक नवीन एवं अभिनव उपकरण के रूप में पुरातत्त्वविदों का ध्यान आकर्षित किया है।
        • उदाहरण: म्यूओग्राफी का पहला उपयोग वर्ष 1960 के दशक के उत्तरार्द्ध में हुआ था जब लुइस अल्वारेज़ नामक एक नोबेल पुरस्कार विजेता भौतिक विज्ञानी ने गीज़ा में खाफ्रे के पिरामिड में छिपे हुए कमरों की तलाश के लिये मिस्र के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम किया था।
    • अन्य अनुप्रयोग:
      • म्यूओग्राफी का सीमा शुल्क सुरक्षा, ज्वालामुखियों की आंतरिक इमेजिंग तथा अन्य में भी उपयोग किया गया है।
        • वर्ष 2011 में जापान में भूकंप और सुनामी के बाद वैज्ञानिकों ने वर्ष 2015 में फुकुशिमा नाभिकीय रिएक्टरों के बारे में जानने के लिये इस तकनीक का इस्तेमाल किया।
        • इसका उपयोग शोधकर्त्ताओं द्वारा इटली में ज्वालामुखी माउंट वेसुवियस का विश्लेषण करने के लिये भी किया जा रहा है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


प्रधानमंत्री मुद्रा योजना

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) के तहत रोज़गार सृजन का आकलन करने हेतु श्रम और रोज़गार मंत्रालय (MoLE) द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर किये गए नमूना सर्वेक्षण के अनुसार, इस योजना ने लगभग 3 वर्षों की अवधि के दौरान 1.12 करोड़ शुद्ध अतिरिक्त रोज़गार का सृजन करने में मदद की है (अर्थात, वर्ष 2015 से वर्ष 2018 तक)।

सर्वेक्षण के अन्य मुख्य आकर्षण:  

  • पिछले तीन वित्तीय वर्षों में राजस्थान राज्य में दिये गए 81 लाख ऋणों में से 52 लाख से अधिक महिला उद्यमियों को प्रदान किये गए, जो कुल ऋणों का 64% है।
  • प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का समय के साथ-साथ विस्तार किया गया है:
    • मछली पालन, डेयरी उत्पादन और खाद्य प्रसंस्करण जैसे कृषि संबंधी गतिविधियों को शामिल करने के लिये वर्ष 2016-17 में इस कार्यक्रम को व्यापक बनाया गया था।
    • ट्रैक्टर और पावर टिलर के लिये 10 लाख रुपए की अधिकतम सीमा वाले ऋण वर्ष 2017-18 में PMMY के तहत उपलब्ध कराए गए।
    • वर्ष 2018-19 से व्यावसायिक उपयोग के लिये दोपहिया वाहनों के ऋण को PMMY में शामिल किया गया था।

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना:  

  • परिचय:  
    • PMMY को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2015 में लॉन्च किया गया था।
    • PMMY लघु व्यवसाय उद्यमों के लिये 10 लाख रुपए तक संपार्श्विक-मुक्त संस्थागत ऋण प्रदान करता है।
  • वित्तपोषण प्रावधान: 
  • प्रकार:  
    • इस ऋण का उपयोग विनिर्माण, व्यापार, सेवा क्षेत्र और कृषि में आय-अर्जक गतिविधियों हेतु किया जा सकता है।
    • PMMY के तहत तीन ऋण उत्पाद हैं:
      • शिशु (50,000 रुपए तक का ऋण)
      • किशोर (50,000 रुपए और 5 लाख रुपए के बीच ऋण)
      • तरुण (5 लाख रुपए से 10 लाख रुपए के बीच ऋण)।
  • योजना में सुधार हेतु उठाए गए कदम: 
    • उदयमित्र पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन का प्रावधान।
    • कुछ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (Public Sector Banks- PSB) ने PMMY के तहत स्वचालित प्रतिबंधों हेतु शुरू से अंत तक डिजिटल ऋण देना शुरू कर दिया है।
    • हितधारकों के बीच योजना की दृश्यता बढ़ाने हेतु PSB और मुद्रा लिमिटेड द्वारा गहन प्रचार अभियान।
    • PSB में मुद्रा नोडल अधिकारियों का नामांकन। 

PMMY

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. प्रधानमंत्री MUDRA योजना का लक्ष्य क्या है?  (2016) 

(a) लघु उद्यमियों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में लाना
(b) निर्धन कृषकों को विशेष फसलों की कृषि के लिये ऋण उपलब्ध कराना
(c) वृद्ध एवं निस्सहाय लोगों को पेंशन प्रदान करना
(d) कौशल विकास एवं रोज़गार सृजन में लगे स्वयंसेवी संगठनों का निधियन करना

उत्तर: (a) 

स्रोत: पी.आई.बी. 


Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 07 फरवरी, 2023

ग्रैमी अवॉर्ड्स 2023

भारतीय म्यूज़िक कंपोज़र रिकी केज (Ricky Kej) ने तीसरी बार ग्रैमी अवॉर्ड जीता है। रिकी को उनके एल्बम ‘डिवाइन टाइड्स’ के लिये इस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। इस अवॉर्ड शो में कुछ नए अवॉर्ड जैसे कि सॉन्ग राइटर ऑफ द ईयर, बेस्ट स्कोर साउंडट्रैक फॉर वीडियो गेम्स समेत कई कैटेगरी शामिल की गई हैं। ग्रैमी अवॉर्ड्स अमेरिका की रिकॉर्डिंग अकादमी द्वारा संगीत उद्योग के कार्यों को पहचान दिलाने के लिये प्रदान किये जाते हैं। भारतीय संगीतकार रिकी केज ने तीसरी बार ग्रैमी अवॉर्ड जीता है। रिकी केज के एल्बम को सर्वश्रेष्ठ इमर्सिव ऑडियो एल्बम कैटगरी में नॉमिनेट किया गया। संगीतकार ने इस अवार्ड को मशहूर ब्रिटिश रॉक बैंड ‘द पुलिस’ के ड्रमर स्टीवर्ट कोपलैंड के साथ शेयर किया है। सॉन्ग ऑफ द ईयर अवॉर्ड बोनी रायट को 'जस्ट लाइक दैट' के लिये ग्रैमी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। उन्होंने इस कैटेगरी में टेलर स्विफ्ट को हराया।

वुल्फ 1069 बी (Wolf 1069b)

हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक पृथ्वी जैसे दिखने वाले ग्रह का पता लगाया है, जो मनुष्यों के रहने योग्य हो सकता है। पृथ्वी से सिर्फ 31 प्रकाश वर्ष की दूरी पर लाल बौने तारे की परिक्रमा करने वाला एक एक्सोप्लैनेट है, जिसे वुल्फ 1069 बी के रूप में जाना जाता है, दुनिया भर के 50 खगोलविदों के एक समूह ने इस नए एक्सोप्लैनेट के अस्तित्त्व की पुष्टि की है कि वुल्फ 1069 बी संभावित रूप से एक चट्टानी दुनिया है, जो पृथ्वी के द्रव्यमान से लगभग 1.26 गुना ज़्यादा और आकार में 1.08 गुना बड़ा है। यह हमारी आकाशगंगा मिल्की-वे के उत्तर की ओर स्थित है जो पृथ्वी की तुलना में सूर्य के निकट पृथ्वी जैसा छठा ग्रह है।  वुल्फ 1069 बी ज्वारीय रूप से अपने मूल तारे से जुड़ा हुआ है, जिसका अर्थ है कि एक हिस्सा हमेशा दिन के उजाले में तथा विपरीत हिस्सा हमेशा अँधेरे में रहता है। यह पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी के 15वें हिस्से के बराबर दूरी पर 15.6 दिनों में तारे की परिक्रमा करता है। अध्ययन के अनुसार, सूर्य से इसकी निकटता के बावजूद वुल्फ 1069बी पृथ्वी को सूर्य से मिलने वाली ऊर्जा का लगभग 65% हिस्सा ही प्राप्त करता है। साथ ही इसकी सतह ठंडी होती है, जिससे यह नारंगी रंग का दिखाई देता है। यह हमारी पृथ्वी की तरह बहुत कम विकिरण उत्सर्जित करता है। 

Wolf

ध्रुव तारा 

पोलारिस, जिसे उत्तर तारा/ध्रुव तारा के रूप में जाना जाता है, बहुत चमकीला तारा है (सूर्य से ~2,500 गुना अधिक चमकदार), जो उर्सा माइनर तारामंडल (पृथ्वी से ~323 प्रकाश वर्ष दूर) का हिस्सा है। पोलारिस उत्तरी खगोलीय ध्रुव से 1° से भी कम दूरी पर है, लगभग पृथ्वी के घूर्णन अक्ष के साथ सीधी रेखा में है, इसलिये यह उत्तरी आकाश में स्थिर दिखाई देता है तथा अन्य सभी तारे इसके चारों ओर घूर्णन करते हुए प्रतीत होते हैं। इसकी स्थिति एवं चमक ने प्राचीन काल से ही मनुष्यों को नेविगेशन (दिशा सूचक) हेतु इसका उपयोग करने में सहायता की है। क्षितिज के ऊपर तारे की ऊँचाई पर्यवेक्षकों के अनुमानित अक्षांश को दर्शाती है। हालाँकि भूमध्य रेखा को दक्षिण में पार करने पर ध्रुव तारा क्षितिज पर खो जाता है जिस कारण इसका उपयोगी नेविगेशन में उपयोग करना असंभव हो जाता है। ऐसा लगता है कि पोलारिस का विश्लेषण पहली बार रोमन गणितज्ञ/खगोलविद् टॉलमी (165 - 85 ईसा पूर्व) द्वारा किया गया था। नासा के अनुसार, "ध्रुव तारा" "एक उपाधि है जो समय के साथ अलग-अलग सितारों को दी जाती है"; पृथ्वी की घूर्णन धुरी विचलित होने के कारण आकाशीय ध्रुव "युगों में धीमी गति से घूर्णन करता हुआ अलग-अलग तारों को पार करता है"। लगभग 14,000 वर्ष पहले आकाशीय ध्रुव चमकीले तारे वेगा की ओर संकेत करते थे और "यह लगभग 12,000 वर्षों में फिर से वेगा की ओर संकेत करेगा"।

Big-Dipper

नौसेना हल्के लड़ाकू विमान की INS विक्रांत पर लैंडिंग

भारत के स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (LCA) के नौसैनिक संस्करण ने INS विक्रांत पर अपनी पहली लैंडिंग की, जो नौसेना की आत्मनिर्भरता योजनाओं की दिशा में एक मील का पत्थर है। इसके बाद दो इंजन वाले मिग-29K फाइटर जेट (रूसी मूल) ने लैंडिंग की और उड़ान भी भरी। INS विक्रांत, सितंबर 2022 में कमीशन किया गया भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत है, जो वर्तमान में संचालन की प्रक्रिया में है। जनवरी 2020 में DRDO ने INS विक्रमादित्य पर नौसेना LCA की सफल लैंडिंग का प्रदर्शन किया गया, जिसकी तर्ज पर DRDO INS विक्रांत के लिये ट्विन इंजन डेक-बेस्ड फाइटर (TEDBF) विकसित करने की प्रक्रिया में है।

INS-Vikrant

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दक्षिण भारत की पहली औद्योगिक गलियारा परियोजना 

भारत के प्रधानमंत्री ने चेन्नई-बंगलूरू औद्योगिक गलियारा (CBIC) के अंतर्गत 8500 एकड़ भूमि में फैले तुमकुरु में कार्यान्वित होने वाली दक्षिण भारत की पहली औद्योगिक कॉरिडोर परियोजना की आधारशिला रखी। तुमकुरु औद्योगिक टाउनशिप की योजना पीएम-गतिशक्ति के सिद्धांतों के अनुरूप बनाई गई है ताकि आर्थिक क्षेत्र के लिये अंतिम मील मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी सुनिश्चित की जा सके। भारत सरकार (NICD और कार्यान्वयन ट्रस्ट के माध्यम से) तथा कर्नाटक सरकार प्रोजेक्ट स्पेशल पर्पज़ व्हीकल (SPV) के माध्यम से तुमकुरु ज़िले के वसंतनरसापुरा में 3 चरणों में औद्योगिक टाउनशिप का विकास कर रही है। राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास (NICD) कार्यक्रम के तहत 11 औद्योगिक गलियारों के अंतर्गत 32 ग्रीनफील्ड औद्योगिक स्मार्ट शहरों को विश्व स्तरीय प्लग-एन-प्ले बुनियादी ढाँचे के साथ विकसित किया जा रहा है।  

National-Industrial-Corridor-Programme

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युवा संगम पोर्टल 

हाल ही में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA), नई दिल्ली में "युवा संगम" पंजीकरण पोर्टल लॉन्च किया गया। युवा संगम ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना के तहत पूर्वोत्तर क्षेत्र और शेष भारत के युवाओं के मध्य घनिष्ठ संबंध स्थापित करने की एक पहल है। इस पहल के तहत 20000 से अधिक युवा पूरे भारत की यात्रा करेंगे तथा एक-दूसरे की संस्कृतियों को समझने का अनूठा अवसर प्राप्त करेंगे। इस कार्यक्रम से पूर्वोत्तर क्षेत्र के युवाओं को भारत की विविधता को समझने का अवसर मिलेगा। 

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