एडिटोरियल (12 Jul, 2025)



भारत का इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर रुख

यह एडिटोरियल 08/07/2025 को हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित “Why India must drive the future with EVs” लेख पर आधारित है। लेख इस बात को रेखांकित करता है कि भारत तेज़ी से विद्युत् वाहन (EV) में अंगीकरण की ओर अग्रसर हो रहा है, जिसे तकनीकी प्रगति और नवीकरणीय ऊर्जा तथा स्थानीय बैटरी निर्माण के माध्यम से लागत-कुशल EV की संभावनाएँ प्रेरित कर रही हैं।

प्रिलिम्स के लिये:

FAME, उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना, लिथियम आयरन फॉस्फेट (LFP) बैटरी, GST, PM E-DRIVE योजना, FAME II योजना, इलेक्ट्रिक पैसेंजर कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना (SPMEPCI), ग्रीन बॉण्ड

मेन्स के लिये:

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) के अंगीकरण की वर्तमान स्थिति और नीतिगत हस्तक्षेप।

विश्व का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाज़ार भारत वैश्विक ऑटोमोटिव क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो इसके सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 7% का योगदान देता है। इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की ओर संक्रमण इस परिदृश्य को तेज़़ी से बदल रहा है, क्योंकि वैश्विक रुझान स्वच्छ और हरित परिवहन की ओर बढ़ रहे हैं। वर्ष 2024 में, भारत की कुल वाहन बिक्री में EV का योगदान 7.5% था, जिनमें से 60% हिस्सेदारी इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की रही। FAME योजना और उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजना जैसी सरकारी पहलों एवं बैटरी निर्माण में तकनीकी सफलताओं के साथ, भारत का लक्ष्य महत्त्वाकांक्षी EV अंगीकरण के लक्ष्यों को प्राप्त करना है, जिससे उसकी गतिशीलता का भविष्य बदल जाएगा। 

भारत में इलेक्ट्रिक वाहन अंगीकरण की वर्तमान स्थिति क्या है?

  • भारत का बढ़ता EV बाज़ार: भारत का EV बाज़ार सत्र 2024-25 में 7.5% की सुगम्यता तक पहुँच गया, जो उपभोक्ता जागरूकता और सरकारी प्रोत्साहनों में वृद्धि से प्रेरित है। 
    • EV बाज़ार की वृद्धि अभी भी चीन जैसे वैश्विक अग्रणियों से पीछे है, जहाँ वर्ष 2024 में 50% से अधिक नई कारें इलेक्ट्रिक के रूप में बेची गईं।
  • इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन अग्रणी: इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन EV बाज़ार का 60% हिस्सा बनाते हैं, जो उनकी सामर्थ्य और शहरी गतिशीलता के आकर्षण को दर्शाता है। 
    • इस खंड में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, विशेषकर इसलिये क्योंकि उपभोक्ताओं की प्राथमिकताएँ लागत प्रभावी और पर्यावरण अनुकूल परिवहन की ओर स्थानांतरित हो रही हैं।
  • सार्वजनिक परिवहन में EV वृद्धि: सार्वजनिक परिवहन विद्युतीकरण एक प्रमुख ध्यान है, सरकार वर्ष 2026 तक 14,000 ई-बसों की योजना बना रही है। 
    • तेलंगाना और कर्नाटक सहित कई राज्य ई-बस बेड़े का विस्तार कर रहे हैं, जिससे शहरी स्थिरता बढ़ेगी और प्रदूषण कम होगा।
  • नीतिगत समर्थन से EV अंगीकरण में तेज़ी: सरकार की 10,000 करोड़ रुपए के बजट वाली FAME II योजना ने सभी क्षेत्रों में EV अंगीकरण में तेज़ी ला दी है। 
    • निर्माताओं और उपभोक्ताओं को प्रोत्साहित करके, नीति ने इलेक्ट्रिक दोपहिया व तिपहिया वाहनों की बिक्री को सफलतापूर्वक बढ़ावा दिया है।
  • बैटरी विनिर्माण में तकनीकी प्रगति: भारत घरेलू बैटरी विनिर्माण, विशेष रूप से लिथियम आयरन फॉस्फेट (LFP) बैटरियों में निवेश कर रहा है। 
    • यह कदम आयात पर निर्भरता कम करने और ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देने के साथ-साथ इलेक्ट्रिक वाहनों की लागत कम करने के लिये आवश्यक है।
  • वर्ष 2030 के लक्ष्य: भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक दोपहिया और तिपहिया वाहनों में 80%, बसों में 40% एवं निजी कारों में 30% EV का अंगीकरण करना है।
    • इन महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों को PLI योजना जैसी पहलों द्वारा समर्थित किया जाता है, जिसका उद्देश्य घरेलू विनिर्माण में तेज़ी लाना है।

भारत में इलेक्ट्रिक वाहन अंगीकरण में बाधा डालने वाली चुनौतियाँ क्या हैं?

  • EV की उच्च प्रारंभिक लागत: EV की उच्च प्रारंभिक लागत, जो आमतौर पर आंतरिक दहन इंजन (ICE) वाहनों की तुलना में 20-30% अधिक होती है, एक महत्त्वपूर्ण बाधा बनी हुई है। 
    • सरकारी सब्सिडी और GST में कटौती निम्न आय वर्ग के लिये इलेक्ट्रिक वाहनों को किफायती बनाने के लिये पर्याप्त नहीं रही है।
      • इसके अलावा, किफायती खंड में EV मॉडल की विविधता ICE वाहनों की तुलना में सीमित है।
  • अपर्याप्त चार्जिंग स्टेशन: भारत में प्रति 135 EV पर केवल एक सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन है, जो कि प्रत्येक 6-20 EV पर एक स्टेशन के वैश्विक औसत से काफी कम है।
  • वर्ष 2030 तक 3.9 मिलियन चार्जिंग स्टेशनों के लक्ष्य को पूरा करने के लिये बुनियादी अवसंरचना का तत्काल विस्तार आवश्यक है।
    • इसके अलावा, EV चार्जिंग स्टेशनों का निर्माण पूंजी-प्रधान है, जिससे तेज़ी से बुनियादी अवसंरचना के विस्तार के लिये चुनौती उत्पन्न होती है।
    • कुछ क्षेत्रों में विद्युत ग्रिड की विश्वसनीयता कुशल चार्जिंग स्टेशन संचालन के लिये एक चुनौती बनी हुई है।
    • इसके अतिरिक्त, मानकीकरण का अभाव है, विभिन्न निर्माताओं के बीच चार्जिंग मानक और कनेक्टर अलग-अलग हैं, जिससे EV अवसंरचना को निर्बाध रूप से अंगीकरण और भी जटिल हो गया है।
  • आयातित बैटरियों पर निर्भरता: भारत अपनी 90% से अधिक लिथियम-आयन बैटरियों का आयात करता है, जिससे EV क्षेत्र वैश्विक आपूर्ति शृंखला व्यवधानों के प्रति संवेदनशील हो जाता है। 
    • स्थानीय बैटरी विनिर्माण स्थापित करने के प्रयास जारी हैं, लेकिन अभी तक इस निर्भरता में कोई उल्लेखनीय कमी नहीं आई है।
  • विनियामक और नीतिगत अनिश्चितता: आयात शुल्क में छूट और कर व्यवस्था में परिवर्तन जैसी बदलती नीतियाँ निर्माताओं एवं उपभोक्ताओं दोनों के लिये अनिश्चितता उत्पन्न करती हैं।
    • EV बाज़ार में विश्वास बढ़ाने के लिये एक स्थिर, दीर्घकालिक नीतिगत कार्यढाँचा महत्त्वपूर्ण है।
      • हाल ही में FAME II से PM eDrive की ओर हुए बदलाव जैसी नीतियों में बदलाव से निर्माताओं और उपभोक्ताओं के लिये अनिश्चितता उत्पन्न होती है, जिससे एक स्थिर, दीर्घकालिक EV नीति कार्यढाँचे की आवश्यकता पर प्रकाश पड़ता है।
  • रेंज चिंता और बैटरी जीवन: उपभोक्ता EV की सीमित रेंज के बारे में चिंतित हैं, जिसके कारण 'रेंज चिंता' उत्पन्न होती है। 
    • यद्यपि बैटरी प्रौद्योगिकी में सुधार हुआ है, फिर भी तीव्र चार्जिंग समाधान अभी भी दुर्लभ हैं, जिससे संभावित खरीदार और अधिक हतोत्साहित हो रहे हैं।
  • कम उपभोक्ता जागरूकता और वित्तीय बाधाएँ: EV लाभों और प्रौद्योगिकी के बारे में कम उपभोक्ता जागरूकता व्यापक रूप से अंगीकरण में बाधा डालती है। 
    • इसके अतिरिक्त, सीमित वित्तपोषण विकल्प और खराब पुनर्विक्रय मूल्य संभावित खरीदारों को हतोत्साहित करते हैं।

भारत में इलेक्ट्रिक वाहन अंगीकरण को बढ़ावा देने के लिये क्या कदम उठाए गए हैं?

  • PM E-DRIVE योजना: पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवोल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एन्हाँसमेंट (PM E-DRIVE) योजना का उद्देश्य दो वर्षों (सत्र 2024-2026) में 10,900 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ भारत में हरित गतिशीलता और EV पारिस्थितिकी तंत्र के विकास को गति प्रदान करना है।
  • चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश: भारत PM E-DRIVE योजना के तहत अपने EV चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में तेज़ी ला रहा है, जिसमें देश भर में 72,000 चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिये 2,000 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है।
    • इन स्टेशनों को प्रमुख शहरों, राजमार्गों, हवाई अड्डों और औद्योगिक गलियारों के किनारे रणनीतिक रूप से स्थापित किया जाएगा ताकि व्यापक अभिगम सुनिश्चित की जा सके। 
    • भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) इस राष्ट्रव्यापी पहल का समर्थन करने के लिये मांग एकत्रीकरण और एकीकृत EV सुपर ऐप के विकास के लिये नोडल एजेंसी के रूप में काम करेगा।
    • इसके अलावा, सरकार FAME II के तहत 7,000 से अधिक सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों को अनुमोदन देकर चार्जिंग बुनियादी अवसंरचना में अंतर को दूर कर रही है।
  • ई-वाहन नीति: केंद्र सरकार ने भारत को इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) के विनिर्माण गंतव्य के रूप में बढ़ावा देने के लिये एक नई नीति (वर्ष 2024) को स्वीकृति दी है, जिसमें न्यूनतम निवेश आवश्यकता 4,150 करोड़ रुपए है और अधिकतम निवेश पर कोई सीमा नहीं है। 
    • नीति में विनिर्माण सुविधाएँ स्थापित करने और वाणिज्यिक उत्पादन शुरू करने के लिये 3 वर्ष की समय-सीमा निर्धारित की गई है, जिसका लक्ष्य 5 वर्षों के भीतर 50% घरेलू मूल्य संवर्द्धन प्राप्त करना है, साथ ही निवेश मानदंडों को पूरा करने वाले निर्माताओं के लिये कम सीमा शुल्क पर इलेक्ट्रिक वाहनों के सीमित आयात की अनुमति भी दी गई है।
  • राज्य स्तरीय पहल: तेलंगाना, कर्नाटक और केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली (स्विच दिल्ली अभियान) जैसे राज्य PM E-DRIVE योजना के हिस्से के रूप में अपने इलेक्ट्रिक बस बेड़े का विस्तार कर रहे हैं। 
    • राज्य के नेतृत्व में की गई ये पहल, संधारणीय सार्वजनिक परिवहन की दिशा में राष्ट्रव्यापी प्रयास में योगदान देती हैं।
    • विभिन्न पहलों के एकीकरण से निर्बाध EV गतिशीलता अनुभव सृजित होने के साथ-साथ हरित रोज़गार सृजन और कार्बन उत्सर्जन में कमी आने की उम्मीद है।
  • सरकारी प्रोत्साहन: सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहन अंगीकरण को प्रोत्साहित करने के लिये 10,000 करोड़ रुपए के बजट के साथ FAME II योजना जैसी प्रमुख पहल शुरू की थी।
    • इन योजनाओं ने इलेक्ट्रिक दोपहिया, तिपहिया और बसों के अंगीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • घरेलू बैटरी विनिर्माण के लिये समर्थन: PLI योजना के माध्यम से, सरकार घरेलू बैटरी विनिर्माण को बढ़ावा दे रही है, जिसमें उन्नत रसायन सेल (ACC) के लिये 18,100 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं।
    • इस प्रयास का उद्देश्य आयातित बैटरियों पर निर्भरता कम करना तथा EV लागत कम करना है।
  • स्थानीय विनिर्माण के लिये नीतिगत सुधार: इलेक्ट्रिक पैसेंजर कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना (SPMEPCI) आयात शुल्क में कमी की पेशकश करती है और वैश्विक EV निर्माताओं को भारत में उत्पादन स्थापित करने के लिये प्रोत्साहित करती है।
    • इस योजना का उद्देश्य भारत की घरेलू विनिर्माण क्षमता को सुदृढ़ करना, रोज़गार सृजन करना और एक स्थायी EV पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है।
  • अन्य पहल:
    • इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्रमोशन स्कीम: इस योजना का उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) के अंगीकरण और विनिर्माण के लिये प्रोत्साहन देकर उन्हें बढ़ावा देना है। 
      • इसका ध्यान कार्बन उत्सर्जन को कम करने, वायु गुणवत्ता को बेहतर बनाने तथा भारत के सतत गतिशीलता में परिवर्तन को समर्थन देने पर केंद्रित है।
    • EV और चार्जिंग उपकरणों पर GST घटाकर 5% किया गया: EV और चार्जिंग उपकरणों पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) को घटाकर 5% करने का उद्देश्य उपभोक्ताओं के लिये EV को अधिक किफायती बनाना है। 
      • यह कदम समग्र लागत को कम करके स्वच्छ एवं हरित वाहनों के अंगीकरण को प्रोत्साहित करता है।
    • सार्वजनिक परिवहन के लिये पीएम ई-बस सेवा योजना: आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा शुरू की गई, इसका उद्देश्य PPP मॉडल पर 10,000 ई-बसों को तैनात करना है, जो राज्य एवं शहर के प्रकार के आधार पर विभिन्न स्तरों पर बुनियादी अवसंरचना के विकास के लिये केंद्रीय सहायता प्रदान करता है।
    • EV मित्र योजना: EV मित्र योजना EV मालिकों के लिये सब्सिडी का दावा करने की प्रक्रिया को सरल बनाती है और इलेक्ट्रिक वाहनों के लाभों के बारे में जागरूकता को प्रोत्साहित करती है। 
      • इसका उद्देश्य उपयोगकर्त्ताओं के लिये EV अंगीकरण के लिये सरकारी सब्सिडी और प्रोत्साहन तक सुगम्यता के लिये एक अधिक सुलभ, पारदर्शी मंच बनाना है।

भारत के EV क्षेत्र के लिये आगे की राह क्या है?

  • बैटरी उत्पादन में तीव्रता: भारत को इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिये  घरेलू बैटरी उत्पादन को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
    • नई बैटरी प्रौद्योगिकियों, जैसे: सॉलिड-स्टेट बैटरी, के अनुसंधान और विकास में निवेश, दक्षता बढ़ाने एवं लागत कम करने के लिये महत्त्वपूर्ण होगा।
    • घरेलू लिथियम अन्वेषण को बढ़ाने के लिये भारत के नेशनल क्रिटिकल मिनरल्स मिशन का लाभ उठाना चाहिये।
  • चार्जिंग अवसंरचना का विस्तार: EV अंगीकरण में तेज़ी लाने के लिये चार्जिंग अवसंरचना का विस्तार करना महत्त्वपूर्ण है। 
    • सरकार को विशेष रूप से ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में चार्जिंग स्टेशनों का अधिक व्यापक व सुलभ नेटवर्क बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
    • अंतर-संचालनीय चार्जिंग मानकों को लागू करना तथा बैटरी स्वैपिंग और बैटरी-एज़-ए-सर्विस (BaaS) मॉडल को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
    • एक सफल EV परिवर्तन के लिये सरकार, निजी निवेशकों और प्रौद्योगिकी नवप्रवर्तकों के बीच सहयोग की आवश्यकता होती है।
    • पहुँच, सामर्थ्य और दीर्घकालिक संवहनीयता सुनिश्चित करने के लिये एक सुपरिभाषित एवं स्केलेबल चार्जिंग इकोसिस्टम आवश्यक है।
  • वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं से सीख: भारत कैलिफोर्निया, यूके और सिंगापुर जैसे वैश्विक EV भागीदारों से प्रेरणा ले सकता है, जिन्होंने प्रोत्साहन-संचालित मॉडल और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) को सफलतापूर्वक लागू किया है।  
    • परमिट, भूमि अधिग्रहण और अंतर-संचालनीयता मानकों को सुव्यवस्थित करने जैसे समान दृष्टिकोण को अपनाने से भारत का चार्जिंग नेटवर्क मज़बूत हो सकता है।
    • जर्मनी की ELISA (ऑटोबान पर विद्युतीकृत अभिनव भारी यातायात) परियोजना से सीख लेते हुए, जिसने विद्युतीकृत राजमार्गों की व्यवहार्यता को सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया है, जहाँ हाइब्रिड ट्रकों को ओवरहेड कैटेनरी लाइनों के माध्यम से संचालित किया जाता है, जिससे ईंधन की लागत एवं उत्सर्जन में कमी आती है।
  • हाइब्रिड वित्तपोषण मॉडल: चार्जिंग स्टेशनों के निर्माण की पूंजी-गहन प्रकृति के प्रबंधन करने के लिये, भारत ग्रीन बॉण्ड, कम ब्याज दरों वाले ऋण और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग जैसे नवीन वित्तपोषण मॉडल का पता लगा सकता है।
    • स्पष्ट सरकारी समर्थित वित्तीय प्रोत्साहन स्थापित किया जाना चाहिये, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि निजी निवेशकों को चार्जिंग अवसंरचना के विस्तार में योगदान करने के लिये प्रोत्साहित किया जाए।
  • केंद्र और राज्य स्तरीय नीतियों में सामंजस्य: भारत के EV क्षेत्र के विकास को दिशा देने के लिये एक स्थिर, दीर्घकालिक नीति कार्यढाँचे की आवश्यकता है।
    • स्थानीय निर्माताओं को निरंतर समर्थन तथा नवाचार को बढ़ावा देने के उपाय भारत के EV लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये महत्त्वपूर्ण होंगे।
    • इसके अलावा, सरकार को सरकारी स्वामित्व वाली भूमि के उपयोग के लिये प्रोत्साहन देकर या अनुमति प्रक्रिया को सरल बनाकर चार्जिंग स्टेशनों के लिये भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना चाहिये।
    • लागत कम करने और क्षेत्र की प्रतिस्पर्द्धात्मकता में सुधार लाने के लिये तैयार इलेक्ट्रिक वाहनों एवं कच्चे माल के बीच GST असमानताओं को दूर किया जाना चाहिये। 
  • अनुसंधान एवं विकास पर ध्यान केंद्रित करना: भारत को EV प्रौद्योगिकियों की वर्तमान सीमाओं पर नियंत्रण प्राप्त करने के लिये  अनुसंधान एवं विकास में निवेश करना चाहिये।
    • बैटरी दक्षता, वाहन रेंज और चार्जिंग गति में नवाचार को बढ़ावा देकर, भारत अपने EV क्षेत्र की प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ा सकता है।
    • उदाहरण के लिये, रेंज में सुधार के लिये उन्नत बैटरी रसायन विज्ञान (जैसे: ठोस प्रावस्था, सोडियम आयन) में निवेश करना।
  • अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों के साथ सहयोग: भारत को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों तक पहुँच प्राप्त करने के लिये वैश्विक EV निर्माताओं के साथ रणनीतिक सहयोग करना चाहिये। 
    • इससे न केवल घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा बल्कि भारत को वैश्विक EV बाज़ार में एक प्रमुख अग्रणी के रूप में स्थापित करने में भी सहायता मिलेगी।
    • इसके अलावा, भारत को प्रमुख लिथियम उत्पादक अर्जेंटीना के साथ रणनीतिक सहयोग की कोशिश करनी चाहिये, ताकि उसके प्रचुर लिथियम भंडार तक पहुंच सुनिश्चित हो सके।
  • हाइड्रोजन ईंधन सेल इलेक्ट्रिक वाहन: राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को एकीकृत करने से भारत में एक स्थायी हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण को गति मिल सकती है, जो हरित हाइड्रोजन उत्पादन बढ़ाने और ईंधन भरने के बुनियादी अवसंरचना के विस्तार पर ध्यान केंद्रित करेगा। 
    • इसके अतिरिक्त, ईंधन सेल प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहित करने से शून्य-उत्सर्जन हाइड्रोजन ईंधन सेल इलेक्ट्रिक वाहनों में संक्रमण को सुगम बनाया जा सकेगा।
  • बाज़ार खंडों और उपयोग के मामलों पर ध्यान केंद्रित करना: बसों, टैक्सियों और अंतिम बिंदु वितरण वाहनों को प्राथमिकता देकर सार्वजनिक एवं वाणिज्यिक वस्तु परिवहनों का विद्युतीकरण करना महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि उनकी उपयोग दर उच्च है तथा उत्सर्जन पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
    • दोपहिया और तिपहिया वाहनों को प्रोत्साहन देना आवश्यक है, क्योंकि ये खंड भारत के वाहन बाज़ार पर हावी हैं तथा EV अपनाने में तेज़ी लाने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।

निष्कर्ष

नवोन्मेषी नीतियों, तकनीकी प्रगति और बढ़ती उपभोक्ता जागरूकता से प्रेरित भारत की इलेक्ट्रिक वाहन यात्रा, इसके ऑटोमोटिव परिदृश्य को नया आकार देने के लिये तैयार है। बुनियादी अवसंरचना के विकास, घरेलू बैटरी निर्माण और मज़बूत नीतिगत समर्थन पर निरंतर ध्यान केंद्रित करते हुए, भारत अपने महत्त्वाकांक्षी इलेक्ट्रिक वाहन अंगीकरण के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये तैयार है। यह परिवर्तन सतत् विकास को बढ़ावा देगा, ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देगा और वैश्विक जलवायु लक्ष्यों में महत्त्वपूर्ण योगदान देगा।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. मेक इन इंडिया पहल के तहत भारत के इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को उत्प्रेरित करने के लिये PM ई-ड्राइव योजना की क्षमता का आकलन कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

मेन्स

प्रश्न 1. दक्ष और किफायती (ऐफोर्डेबल) शहरी सार्वजनिक परिवहन किस प्रकार भारत के द्रुत आर्थिक विकास की कुंजी है ? (2019)