डेली न्यूज़ (29 Jun, 2021)



लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरें

प्रिलिम्स के लिये:

सरकारी घाटा, Covid-19, लघु बचत योजनाएँ

मेन्स के लिये:

लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में कटौती के लाभ और हानि

चर्चा में क्यों?

भारत सरकार जुलाई-सितंबर तिमाही के लिये छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज़ दरों में कटौती कर सकती है।

  • अर्थशास्त्रियों के अनुसार, इस समय छोटी बचत दरों में कटौती से मुद्रास्फीति में वृद्धि के बीच परिवारों को और नुकसान होगा।

प्रमुख बिंदु:

पृष्ठभूमि:

  • अप्रैल 2020 में विभिन्न उपकरणों/प्रपत्र पर छोटी बचत दरों में 0.5% और 1.4% के बीच कमी की गई, जिससे सार्वजनिक भविष्य निधि (Public Provident Funds- PPF) की दर 7.9% से 7.1% हो गई।
  • सरकार ने 2021-22 (अप्रैल-जून) की पहली तिमाही के लिये ब्याज दरों में और कमी करने का फैसला किया परंतु इसे "निरीक्षण" (Oversight) करार देते हुए अपने फैसले को वापस ले लिया।

लघु बचत योजनाएँ/प्रपत्र:

  • संदर्भ:
    • ये भारत में घरेलू बचत के प्रमुख स्रोत हैं और इसमें 12 उपकरण/प्रपत्र (Instrument) शामिल हैं।
    • जमाकर्त्ताओं को उनके धन पर सुनिश्चित ब्याज मिलता है।
    • सभी लघु बचत प्रपत्रों से संग्रहीत राशि को राष्ट्रीय लघु बचत कोष (NSSF) में जमा किया जाता है।
    • कोविड-19 महामारी के कारण सरकारी घाटे में वृद्धि की वजह से उधार की उच्च आवश्यकता को पूरा करने के लिये छोटी बचतें सरकारी घाटे के वित्तपोषण के एक प्रमुख स्रोत के रूप में उभरी हैं।
  • वर्गीकरण: लघु बचत प्रपत्रों को तीन श्रेणियों के अंतर्गत वर्गीकृत किया जा सकता है: 
    • डाक जमा: इसमें बचत खाता, आवर्ती जमा, भिन्न-भिन्न परिपक्वता की सावधि जमा और मासिक आय योजना शामिल है। 
    • बचत प्रमाणपत्र: राष्ट्रीय लघु बचत प्रमाणपत्र (NSC) और किसान विकास पत्र (KVP)।
    • सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ: सुकन्या समृद्धि योजना, लोक भविष्य निधि (PPF) और वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (SCSS)।
  • दरों का निर्धारण:
    • छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों का निर्धारण समान परिपक्वता वाले बेंचमार्क सरकारी बॉण्डोंं के अनुरूप तिमाही आधार पर किया जाता है। वित्त मंत्रालय द्वारा समय-समय पर दरों की समीक्षा की जाती है।
      • पिछले एक वर्ष से बेंचमार्क सरकारी बॉण्ड यील्ड 5.7 फीसदी से 6.2 फीसदी के बीच रही है। इससे सरकार को भविष्य में छोटी बचत योजनाओं पर दरों में कटौती करने की छूट मिलती है।
    • लघु बचत योजना पर गठित श्यामला गोपीनाथ पैनल (वर्ष 2010) ने छोटी बचत योजनाओं के लिये बाज़ार-संबद्ध ब्याज दर प्रणाली का सुझाव दिया था।

दर में कटौती का लाभ

  • चूँकि केंद्र सरकार अपने घाटे को पूरा करने के लिये लघु बचत कोष का उपयोग करती है, इसलिये कम दरें घाटे के वित्तपोषण की लागत को कम करेंगी।
  • दरों में कटौती का अर्थ होगा कि सरकार चाहती है लोग अधिक-से-अधिक व्यय करें ताकि अर्थव्यवस्था को गति प्रदान की जा सके।

हानि:

  • दरों में कटौती से निवेशकों, विशेषकर वरिष्ठ नागरिकों और मध्यम वर्ग को नुकसान होगा।
    • इसके अलावा कोविड-19 की दूसरी लहर से पहले भी घरेलू बचत लगातार दो तिमाहियों से घट रही है।
  • आगे चलकर बैंकों द्वारा सावधि जमा दरों को और युक्तिसंगत बनाया जाएगा तथा रिटर्न में और कमी आएगी।
  • कम दर का मतलब है अधिकांश ऋण प्रपत्रों पर रिटर्न की वास्तविक दर नकारात्मक होगी क्योंकि मुद्रास्फीति 5% के आसपास होगी।

प्रतिलाभ और मुद्रास्फीति दर:

  • प्रतिलाभ दर एक बचत खाते, म्यूचुअल फंड या बॉण्ड में निवेश से प्राप्त होने वाली अपेक्षित या वांछित राशि है।
  • प्रतिलाभ की वास्तविक दर मुद्रास्फीति की दर के समायोजन के बाद निवेश पर प्रतिफल है। इसकी गणना निवेश पर प्रतिफल से मुद्रास्फीति दर घटाकर की जाती है।
  • मुद्रास्फीति में किसी व्यक्ति की वार्षिक वापसी दर को कम करने की शक्ति होती है। जब वार्षिक मुद्रास्फीति की दर प्रतिफल की दर से अधिक हो जाती है तो क्रय शक्ति में गिरावट के कारण उपभोक्ता को इसमें निवेश करने से हानि होती है।
  • मुद्रास्फीति दैनिक या सामान्य उपयोग की अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में वृद्धि को संदर्भित करती है, जैसे कि भोजन, कपड़े, आवास, मनोरंजन, परिवहन, उपभोक्ता स्टेपल आदि। यह एक देश की मुद्रा इकाई की क्रय शक्ति में कमी का संकेत है। 

स्रोत: द हिंदू


गुजरात निषेध कानून

प्रिलिम्स के लिये:

गुजरात निषेध कानून, बॉम्बे आबकारी अधिनियम, 1878, गुजरात निषेध अधिनियम, 1949, बॉम्बे राज्य और अन्य बनाम एफएन बलसरा

मेन्स के लिये:

गुजरात में शराब निषेध से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में गुजरात निषेध अधिनियम, 1949 को बॉम्बे निषेध अधिनियम के रूप में लागू होने के सात दशक से अधिक समय बाद गुजरात उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई है।

  • गुजरात निषेध अधिनियम, 1949 के तहत राज्य में शराब के निर्माण, बिक्री और खपत पर प्रतिबंध को 'मनमानापन' और 'निजता के अधिकार' के उल्लंघन के आधार पर चुनौती दी गई है।

प्रमुख बिंदु:

पृष्ठभूमि:

  • बॉम्बे आबकारी अधिनियम, 1878: शराब निषेध का पहला संकेत बॉम्बे आबकारी अधिनियम, 1878 (बॉम्बे प्रांत में) के माध्यम से प्राप्त होता है।
    • यह अधिनियम वर्ष 1939 और 1947 में किये गए संशोधनों के माध्यम से अन्य बातों तथा मद्य निषेध के पहलुओं के अलावा नशीले पदार्थों पर शुल्क लगाने से संबंधित था।
  • बॉम्बे निषेध अधिनियम,1949: बॉम्बे आबकारी अधिनियम 1878 में शराबबंदी लागू करने के सरकार के फैसले के दृष्टिकोण में "कई खामियाँ" थीं।
    • इसके कारण बॉम्बे प्रोहिबिशन एक्ट,1949 लाया गया।
    • सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने वर्ष 1951 में ‘बॉम्बे राज्य और अन्य बनाम एफएन बलसरा’ के फैसले में कुछ धाराओं को छोड़कर अधिनियम को व्यापक रूप से बरकरार रखा।
  • गुजरात निषेध अधिनियम, 1949:
    • वर्ष 1960 में बॉम्बे प्रांत के महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों में पुनर्गठन के बाद विशेष रूप से वर्ष 1963 में महाराष्ट्र राज्य में निरंतर संशोधन एवं उदारीकरण जारी रहा।
      • कानून के उदारीकरण का आधार अवैध शराब के कारोबार पर लगाम लगाना था।
    • गुजरात ने वर्ष 1960 में शराबबंदी नीति को अपनाया और बाद में इसे और अधिक कठोरता के साथ लागू करने का विकल्प चुना, लेकिन विदेशी पर्यटकों तथा आगंतुकों के लिये शराब का परमिट प्राप्त करने की प्रक्रिया को भी आसान बना दिया।
    • वर्ष 2011 में अधिनियम का नाम बदलकर गुजरात निषेध अधिनियम कर दिया गया। वर्ष 2017 में गुजरात निषेध (संशोधन) अधिनियम को इस राज्य में शराब के निर्माण, खरीद, बिक्री करने और इसके परिवहन पर दस साल तक की जेल के प्रावधान के साथ पारित किया गया।

अधिनियम को चुनौती देने काआधार:

  • निजता का अधिकार: किसी व्यक्ति के भोजन और पेय पदार्थ के चुनाव के अधिकार में राज्य द्वारा कोई भी अतिक्रमण एक अनुचित प्रतिबंध है और व्यक्ति की निर्णय लेने की क्षमता एवं स्वायत्तता को नष्ट करता है।
  • वर्ष 2017 के बाद से सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गए विभिन्न निर्णयों में ‘निजता के अधिकार’ को मौलिक अधिकार के रूप में स्थापित किया गया है।
  • स्पष्ट मनमानी अथवा निरंकुशता: राज्य के बाहर के पर्यटकों को स्वास्थ्य परमिट और अस्थायी परमिट देने से संबंधित प्रावधानों को चुनौती देते हुए इस अधिनियम की मनमानी प्रकृति को रेखांकित किया गया है।
    • याचिकाकर्त्ता का मानना है कि अधिनियम के प्रावधानों के माध्यम से राज्य द्वारा लोगों को वर्गों में विभाजित किया जा रहा है कि कौन राज्य में शराब का सेवन कर सकता है और कौन नहीं, जो कि संविधान के अनुच्छेद-14 के तहत समानता के अधिकार का स्पष्ट उल्लंघन है।

प्रतिबंध के पक्ष में तर्क

  • हिंसा की भावना को बढ़ाना: विभिन्न शोधों और अध्ययनों से पता चला है कि शराब हिंसा की भावना को बढ़ावा देती है।
    • महिलाओं और बच्चों के खिलाफ घरेलू हिंसा के अधिकांश अपराधों के कारणों को शराब की लत में खोजा जा सकता है।
  • राज्य का संवैधानिक दायित्व: समर्थकों का मानना है कि इस कानून को चुनौती देना, ‘लोगों के स्वास्थ्य एवं जीवन की रक्षा करने के राज्य के प्राथमिक कर्तव्य के संवैधानिक दायित्व को चुनौती देने के समान है।
  • महात्मा गांधी ने शराब के ‘राष्ट्रव्यापी निषेध’ की वकालत की थी।

निषेध के विरुद्ध तर्क

  • राजस्व का नुकसान: शराब से होने वाली कर राजस्व की प्राप्ति किसी भी सरकार के राजस्व का एक बड़ा और महत्त्वपूर्ण हिस्सा होता है। यह राजस्व सरकार को कई जन कल्याणकारी योजनाओं को वित्तपोषित करने में सक्षम बनाता है। इस राजस्व के अभाव में राज्य की लोक कल्याणकारी कार्यक्रमों को चलाने की क्षमता गंभीर रूप से प्रभावित होती है।
  • न्यायपालिका पर बोझ: बिहार ने अप्रैल 2016 में पूर्ण शराबबंदी की शुरुआत की थी, यद्यपि इससे निश्चित रूप से शराब की खपत में कमी आई है, किंतु इसके कारण संबंधित सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक लागत लाभ में काफी अधिक बढ़ोतरी भी हुई है। साथ ही राज्य में शराबबंदी ने न्यायिक प्रशासन के कार्यभार को काफी अधिक बढ़ा दिया है।
    • गौरतलब है कि बिहार की सीमा से लगे उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के ज़िलों में शराब की बिक्री में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
  • रोज़गार का स्रोत: वर्तमान में भारतीय निर्मित विदेशी शराब उद्योग प्रतिवर्ष करों के रूप में 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक का योगदान देता है। यह 35 लाख किसान परिवारों की आजीविका का समर्थन करता है और उद्योग में कार्यरत लाखों श्रमिकों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार प्रदान करता है।

अन्य राज्यों में निषेध (Prohibition in Other States): 

  • बिहार, मिज़ोरम, नगालैंड और केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप में शराबबंदी लागू है।

संबंधित संवैधानिक प्रावधान:

  • राज्य विषय: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत शराब राज्य सूची का विषय है।
  • अनुच्छेद 47: अनुच्छेद 47 के तहत भारत के संविधान में नीति निर्देशक सिद्धांतों में कहा गया है कि "राज्य मादक पेयों और स्वास्थ्य के लिये हानिकर ओषधियों के औषधीय प्रयोजनों से भिन्न उपभोग का प्रतिषेध करने का प्रयास करेगा"।

आगे की राह:

  • नैतिकता, निषेध या पसंद की स्वतंत्रता जैसे मुद्दों के बीच अर्थव्यवस्था, रोज़गार आदि कारक भी हैं, जिन्हें नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता है। इसके कारणों और प्रभावों पर एक सूचित तथा रचनात्मक संवाद की आवश्यकता है।
  • नीति निर्माताओं को ऐसे कानून बनाने पर ध्यान देना चाहिये जो ज़िम्मेदार व्यवहार और अनुपालन को प्रोत्साहित करते हैं।
  • शराब के उपभोग की उम्र को पूरे देश में एक समान किया जाना चाहिये और इससे कम उम्र के किसी भी व्यक्ति को शराब खरीदने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिये।
  • शराब के नशे में सार्वजनिक व्यवहार, प्रभाव व घरेलू हिंसा और शराब पीकर गाड़ी चलाने के खिलाफ सख्त कानून बनाए जाने चाहिये।
  • सरकारों को शराब से अर्जित राजस्व का एक हिस्सा सामाजिक शिक्षा, नशामुक्ति और सामुदायिक समर्थन पर खर्च के लिये अलग रखना चाहिये।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


भारत का महान्यायवादी

प्रिलिम्स के लिये

भारत का महान्यायवादी, सर्वोच्च न्यायालय

मेन्स के लिये

भारत के महान्यायवादी की संघीय कार्यपालिका में भूमिका

चर्चा में क्यों?

केंद्र सरकार ने के.के. वेणुगोपाल के कार्यकाल को एक वर्ष के लिये बढ़ा दिया है और वेणुगोपाल को महान्यायवादी (Attorney General- AG) के रूप में नियुक्त किया है।

  • यह दूसरी बार है जब केंद्र ने उनका कार्यकाल बढ़ाया है। वर्ष 2020 में वेणुगोपाल के पहले कार्यकाल को बढ़ाया गया था।
  • वेणुगोपाल को वर्ष 2017 में भारत का 15वाँ महान्यायवादी नियुक्त किया गया था। उन्होंने मुकुल रोहतगी का स्थान लिया जो वर्ष 2014-2017 तक महान्यायवादी रहे।
  • वह सर्वोच्च न्यायालय में लंबित कई संवेदनशील मामलों में सरकार के कानूनी बचाव की कमान संभालेंगे जिसमें संविधान के अनुच्छेद 370 और नागरिकता संशोधन अधिनियम को निरस्त करने की चुनौती शामिल है।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • भारत का महान्यायवादी (AG) संघ की कार्यकारिणी का एक अंग है। AG देश का सर्वोच्च कानून अधिकारी है।
    • संविधान के अनुच्छेद 76 में भारत के महान्यायवादी के पद का प्रावधान है।
  • नियुक्ति और पात्रता:
    • महान्यायवादी की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा सरकार की सलाह पर की जाती है।
    • वह एक ऐसा व्यक्ति होना चाहिये जो सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त होने के योग्य हो, अर्थात् वह भारत का नागरिक हो, उसे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य करने का पाँच वर्षों का अनुभव हो या किसी उच्च न्यायालय में वकालत का 10 वर्षों का अनुभव हो अथवा राष्ट्रपति के मतानुसार वह न्यायिक मामलों का योग्य व्यक्ति हो।
  • कार्यालय की अवधि: संविधान द्वारा तय नहीं।
  • निष्कासन: महान्यायवादी को हटाने की प्रक्रिया और आधार संविधान में नहीं बताए गए हैं। वह राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद धारण करता है (राष्ट्रपति द्वारा किसी भी समय हटाया जा सकता है)।
  • कर्तव्य और कार्य:
    • ऐसे कानूनी मामलों पर भारत सरकार (Government of India- GoI) को सलाह देना, जो राष्ट्रपति द्वारा उसे भेजे जाते हैं।
    • कानूनी रूप से ऐसे अन्य कर्तव्यों का पालन करना जो उसे राष्ट्रपति द्वारा सौंपे जाते हैं।
      • भारत सरकार की ओर से उन सभी मामलों में जो कि भारत सरकार से संबंधित हैं, सर्वोच्च न्यायालय या किसी भी उच्च न्यायालय में उपस्थित होना।
      • संविधान के अनुच्छेद 143 (सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श करने की राष्ट्रपति की शक्ति) के तहत राष्ट्रपति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में किये गए किसी भी संदर्भ में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करना।
    • संविधान या किसी अन्य कानून द्वारा उसे प्रदत्त कार्यों का निर्वहन करना।
  • अधिकार और सीमाएंँ:
    • वोट देने के अधिकार के बिना उसे संसद के दोनों सदनों या उनकी संयुक्त बैठक और संसद की किसी भी समिति की कार्यवाही में बोलने तथा भाग लेने का अधिकार है, जिसका वह सदस्य नामित किया जाता है।
    • वह उन सभी विशेषाधिकारों और उन्मुक्तियों का हकदार होता है जो एक संसद सदस्य को प्राप्त होते हैं।
    • वह सरकारी सेवकों की श्रेणी में नहीं आता है, अत: उसे निजी कानूनी अभ्यास से वंचित नहीं किया जाता है।
    • हालाँकि उसे भारत सरकार के खिलाफ किसी मामले में सलाह या संक्षिप्त जानकारी देने का अधिकार नहीं है।
  • भारत के सॉलिसिटर जनरल (Solicitor General of India) और भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (Additional Solicitor General) आधिकारिक ज़िम्मेदारियों को पूरा करने में महान्यायवादी की सहायता करते हैं।
  • महाधिवक्ता (अनुच्छेद 165): राज्यों से संबंधित ।

स्रोत: द हिंदू


अग्नि-पी (प्राइम)

प्रिलिम्स के लिये:

DRDO, अग्नि-पी, एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम, कनस्तर आधारित प्रक्षेपण प्रणाली,  न्यूक्लियर ट्रायड

मेन्स के लिये:

महत्त्वपूर्ण नहीं

चर्चा में क्यों?

हाल ही में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा एक नई पीढ़ी की परमाणु सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-पी (प्राइम) का ओडिशा के बालासोर तट पर डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया।

Agni-P

  • अग्नि-पी, एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम  (Integrated Guided Missile Development Program- IGMDP) के तहत अग्नि वर्ग का एक नई पीढ़ी का उन्नत संस्करण है।
  • यह कनस्तर-आधारित प्रणाली की मिसाइल है जिसकी मारक क्षमता 1,000 से 2,000 किमी के बीच है।
    • मिसाइलों की कनस्तर-आधारित प्रणाली, मिसाइल को लॉन्च करने के लिये आवश्यक समय को कम करती है इसके अलावा इसके भंडारण और गतिशीलता में सुधार करती है।
  • इसमें कंपोज़िट, प्रणोदन प्रणाली, नवीन मार्गदर्शन और नियंत्रण तंत्र तथा अत्याधुनिक नेविगेशन सिस्टम सहित कई उन्नत प्रौद्योगिकियाँ प्रस्तुत की गई हैं। अग्नि-पी मिसाइल भविष्य में भारत की विश्वसनीय प्रतिरोधक क्षमता को और मज़बूत करेगी।
  • अन्य अग्नि श्रेणी की मिसाइलों की तुलना में अग्नि-पी ने पैंतरेबाज़ी और सटीकता सहित मापदंडों में सुधार किया है।
  • अग्नि मिसाइलों की श्रेणी:
    • यह भारत की परमाणु प्रक्षेपण क्षमता का मुख्य आधार है।
    • अन्य अग्नि मिसाइलों की मारक क्षमता:
      • अग्नि I: 700-800 किमी. की मारक क्षमता।
      • अग्नि II: 2000 किमी. से अधिक की मारक क्षमता।
      • अग्नि III: 2,500 किमी. से अधिक की मारक क्षमता।
      • अग्नि IV: 3,500 किमी. से अधिक मारक क्षमता है।
      • अग्नि-V: अग्नि शृंखला की सबसे लंबी अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है जिसकी रेंज 5,000 किमी. से अधिक है।

एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP)

  • इसकी स्थापना का विचार प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा दिया गया था। इसका उद्देश्य मिसाइल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करना था। इसे वर्ष 1983 में भारत सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया था और मार्च 2012 में पूरा किया गया था।
  • इस कार्यक्रम के तहत विकसित 5 मिसाइलें (P-A-T-N-A) हैं:
    • पृथ्वी: सतह-से-सतह पर मार करने में सक्षम कम दूरी वाली बैलिस्टिक मिसाइल।
    • अग्नि: सतह-से-सतह पर मार करने में सक्षम मध्यम दूरी वाली बैलिस्टिक मिसाइल, यानी अग्नि (1,2,3,4,5)
    • त्रिशूल: सतह-से-आकाश में मार करने में सक्षम कम दूरी वाली मिसाइल।
    • नाग: तीसरी पीढ़ी की  टैंक भेदी मिसाइल।
    • आकाश: सतह-से-आकाश में मार करने में सक्षम मध्यम दूरी वाली मिसाइल।

कनस्तर आधारित प्रक्षेपण प्रणाली:

  • कनस्तर आधारित प्रक्षेपण प्रणाली (Canister Based Launch System) परिवहन हेतु एक कंटेनर/डब्बे के रूप में कार्य करती है, यह एक जहाज़ पर भंडारण हेतु स्थान उपलब्ध कराने के साथ-साथ  परिचालन में भी काफी सुगम  होती है।
  • कनस्तर प्रक्षेपण प्रणाली या तो गर्म प्रक्षेपण (Hot Launch) प्रणाली हो सकती है, जिसमें  मिसाइल को एक सेल (Cell) में प्रज्वलित किया जाता है, या फिर यह एक ठंडी प्रक्षेपण (Cold Launch) प्रणाली हो सकती है जहांँ मिसाइल को गैस जनरेटर (Gas Generator) जो कि मिसाइल से संबद्ध नहीं होता है, से उत्पादित गैस द्वारा प्रक्षेपित किया जाता है तथा इसके बाद  मिसाइल प्रज्वलित होती है।
  • ठंडी प्रक्षेपण प्रणाली, गर्म प्रक्षेपण प्रणाली  की तुलना में अधिक सुरक्षित है क्योंकि मिसाइल के फेल होने की स्थिति में भी इसका इजेक्शन सिस्टम (Ejection System) मिसाइल को स्वत: अलग कर देता है। अग्नि V (Agni V) मिसाइल में ठंडी प्रक्षेपण प्रणाली का प्रयोग किया गया है।
  • प्रक्षेपण के दौरान मिसाइल द्वारा उत्पन्न ऊष्मा गर्म प्रक्षेपण प्रणाली की प्रमुख समस्या है। छोटी मिसाइलों के लिये गर्म प्रक्षेपण एक बेहतर विकल्प है क्योंकि इजेक्शन पार्ट का संचालन मिसाइल में लगे इंजन का उपयोग करके किया जाता है।

न्यूक्लियर ट्रायड:

  • न्यूक्लियर ट्रायड एक त्रि-पक्षीय सैन्यबल संरचना है, जिसमें भूमि-प्रक्षेपित परमाणु मिसाइल, परमाणु मिसाइल से लैस पनडुब्बी और परमाणु बम एवं मिसाइल के साथ सामरिक विमान (जैसे राफेल, ब्रह्मोस) आदि शामिल हैं।
  • रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन’ (DRDO) ने जनवरी 2020 में विशाखापत्तनम तट पर एक जलमग्न पोन्टून से 3,500 किलोमीटर की रेंज वाले K-4 परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया था।
  • एक बार नौसेना के बेड़े में शामिल होने के बाद ये मिसाइलें स्वदेशी बैलिस्टिक मिसाइल परमाणु पनडुब्बियों (SSBN) की ‘अरिहंत’ क्लास का मुख्य आधार होंगी और भारत को भारतीय जलीय क्षेत्र में परमाणु हथियारों को लॉन्च करने की क्षमता प्रदान करेंगी।
  • आईएनएस अरिहंत, भारतीय नौसेना के पास मौजूद सेवा में एकमात्र बैलिस्टिक मिसाइल परमाणु पनडुब्बी है, जिसमें 750 किलोमीटर की रेंज के साथ K-4 परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल शामिल हैं।
    • आईएनएस अरिहंत, भारतीय नौसेना के पास मौजूद सेवा में एकमात्र बैलिस्टिक मिसाइल परमाणु पनडुब्बी है, जिसमें 750 किलोमीटर की रेंज के साथ K-4 परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल शामिल हैं।
  • पिछले कुछ वर्षों में भारत ने अपना न्यूक्लियर ट्रायड पूरा करने में सफलता हासिल कर ली है। यह भारत की ‘नो-फर्स्ट-यूज़’ नीति को देखते हुए भी काफी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि भारत किसी भी परमाणु हमले की स्थिति में व्यापक पैमाने पर जवाबी कार्रवाई का अधिकार सुरक्षित रखता है।

स्रोत: द हिंदू


बरनाडी वन्यजीव अभयारण्य: असम

प्रिलिम्स के लिये:

बरनाडी वन्यजीव अभयारण्य- अवस्थिति, वनस्पति तथा जैव विविधता; हिस्पिड हेयर/असम रैबिट, असम के विभिन्न अभयारण्य

मेन्स के लिये:

बहुत अधिक महत्त्वपूर्ण नहीं

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर-इंडिया (WWF) ने असम के बरनाडी वन्यजीव अभयारण्य (Barnadi Wildlife Sanctuary) में कुछ बाघों को पाया।

  • बरनाडी वन्यजीव अभयारण्य असम के सबसे छोटे वन्यजीव अभयारण्यों में से एक है तथा 26.22 वर्ग किमी. के क्षेत्र को कवर करता है।

प्रमुख बिंदु

अवस्थिति:

  • बरनाडी वन्यजीव अभयारण्य (BWS) उत्तरी असम के बक्सा और उदालगुरी ज़िलों में भूटान की सीमा के निकट स्थित है।
  • अभयारण्य पश्चिम और पूर्व में क्रमशः बरनाडी तथा नलपारा नदी से घिरा हुआ है।

assam

कानूनी दर्जा:

  • असम सरकार द्वारा वर्ष 1980 में वन्यजीव अभयारण्य का दर्जा दिया गया।
  • बरनाडी अभयारण्य की स्थापना विशेष रूप से पिग्मी हॉग (Sus salvanius) और हिस्पिड हेयर (Caprolagus hispidus) के संरक्षण हेतु की गई थी।

जैव-विविधता:

  • यह एशियाई हाथी (Elephas maximus), बाघ/टाइगर (Panthera tigris) और गौर (Bos frontalis) जैसी संकटग्रस्त प्रजातियों के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • BWS के लगभग 60% भाग को चरागाह के रूप में दर्ज किया गया है, इसमें से अधिकांश क्षेत्र अब घासयुक्त वनप्रदेश/जंगल हैं।
  • अभयारण्य में पाए जाने वाले वन मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय नम पर्णपाती प्रकार के हैं जो कि उत्तरी किनारे पर पाए जाते हैं तथा दक्षिणी भागों में कुछ वृक्षों के साथ मिश्रित झाड़ियाँ और घास के मैदान हैं।

वनस्पति:

  • मानव गतिविधियों ने क्षेत्र की वनस्पति को काफी हद तक परिवर्तित किया गया है।
  • अधिकांश प्राकृतिक वनस्पतियों को बॉम्बेक्स सेइबा, टेक्टोना ग्रैंडिस और यूकेलिप्टस के व्यावसायिक वृक्षारोपण तथा छप्पर घास (अधिकांशतः सैकरम, कुछ मात्रा में फ्राग्माइट्स और थीम्डा के साथ) द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है।

असम में अन्य संरक्षित क्षेत्र:

हिस्पिड हेयर/असम रैबिट (Caprolagus hispidus)

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आवास: 

  • मध्य हिमालय की दक्षिणी तलहटी।
  • यह प्रारंभिक क्रमिक लंबे घास, जिसे स्थानीय रूप से हाथी घास कहा जाता है, के मैदानों में रहता है। शुष्क मौसम के दौरान, घास वाले अधिकांश क्षेत्रों में आग लगने की संभावना होती है तब ये खरगोश नदी के किनारे दलदली क्षेत्रों या घास में शरण लेते हैं जो अग्नि के प्रति अतिसंवेदनशील नहीं होते हैं।

खतरे: 

  • हिस्पिड हेयर का आवास बढ़ती कृषि, बाढ़ नियंत्रण और मानव विकास के कारण अत्यधिक खंडित हो रहा है।
  • वनप्रदेशों/जंगलों में घास के मैदानों के अनुक्रमण की प्राकृतिक प्रक्रिया उपयुक्त आवास को कम कर देती है।

संरक्षण:

स्रोत: द हिंदू


बैहेतन बाँध: दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा जलविद्युत बाँध

प्रिलिम्स के लिये:

बैहेतन बाँध, थ्री गॉर्जेस डैम, ब्रह्मपुत्र नदी

मेन्स के लिये:

चीन के लिये बाँध निर्माण का महत्त्व और भारत पर इसका प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में चीन ने दुनिया के दूसरे सबसे बड़े जलविद्युत बाँध- बैहेतन बाँध का संचालन शुरू कर दिया है।

  • चीन की यांग्त्ज़ी नदी पर स्थित ‘थ्री गॉर्जेस डैम’ दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोपावर डैम है। इसने वर्ष 2003 में परिचालन शुरू किया था।

Baihetan-Dam

प्रमुख बिंदु

बाँध के विषय में

  • यह जिंशा नदी पर है, जो कि यांग्त्ज़ी नदी (एशिया की सबसे लंबी नदी) की एक सहायक नदी है।
  • इसे 16,000 मेगावाट की कुल स्थापित क्षमता के साथ बनाया गया है।
  • यह अंततः एक दिन में इतनी बिजली पैदा करने में सक्षम होगा, जो तकरीबन 500000 लोगों की एक वर्ष की बिजली ज़रूरतों को पूरा करने के लिये पर्याप्त होगी।

चीन के लिये इसका महत्त्व

  • यह अधिक जलविद्युत क्षमता का निर्माण करके जीवाश्म ईंधन की बढ़ती मांग को कम करने संबंधी चीन के प्रयासों का हिस्सा है।
    • इसका निर्माण ऐसे समय में किया गया  है जब पर्यावरण संबंधी शिकायतों (जैसे कि खेतों में बाढ़ और नदियों की पारिस्थितिकी में व्यवधान, मछलियों एवं अन्य प्रजातियों के लिये खतरा आदि) के कारण अन्य देश बाँध निर्माण के पक्ष में नहीं हैं।
  • चीन ने वर्ष 2020 में वर्ष 2060 तक कार्बन तटस्थता के लक्ष्य को प्राप्त करने की प्रतिज्ञा की थी, जिसने इस बाँध के निर्माण के निर्णय को लेकर चीन की तात्कालिकता को और बढ़ा दिया था।

चीन की अन्य आगामी परियोजनाएंँ:

  •  तिब्बत के मेडोग काउंटी (Tibet's Medog County) में चीन द्वारा मेगा-डैम की योजना जो आकार में थ्री गॉर्जिज डैम (Three Gorges Dam) से भी विशाल है, के संबंध में विश्लेषकों का मानना है कि यह तिब्बती सांस्कृतिक विरासत के लिये एक खतरा है, साथ ही यह बीजिंग द्वारा भारत की जल आपूर्ति के एक बड़े हिस्से को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने का एक तरीका है।
    • इस योजना के तहत ब्रह्मपुत्र नदी (Brahmaputra River) के निचले हिस्से में एक बाँध का निर्माण किया जाना है।
    • ब्रह्मपुत्र विश्व की सबसे लंबी नदियों में से एक है।
    • ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत में हिमालय से शुरू होकर अरुणाचल प्रदेश राज्य में भारत में प्रवेश करती है, फिर असम, बांग्लादेश से बहते हुए बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है।
  • चीन के मेकांग वाले क्षेत्र में बाँधों के प्रभाव ने इस आशंका को भी बढ़ा दिया है कि इनके निर्माण से उस निचले जलमार्ग में अपरिवर्तनीय क्षति हो रही है जो वियतनामी डेल्टा से होकर गुज़रता है तथा 60 मिलियन लोगों को पोषण/भोजन उपलब्ध कराता है।

चिंताएँ: 

  • कृषि:
    • एक विशाल बाँध (जैसे ब्रह्मपुत्र पर) नदी द्वारा लाई गई गाद को भारी मात्रा में रोक सकता है (सिल्टी मिट्टी अन्य प्रकार की मिट्टी की तुलना में अधिक उपजाऊ होती है और यह फसल उगाने के लिये अच्छी होती है)।
    • इससे नदी के निचले इलाकों में खेती प्रभावित हो सकती है।
  • जल संसाधन:
    • भारत पूर्वोत्तर राज्यों जैसे असम में मानसून के दौरान  बाढ़ का पानी छोड़े जाने को लेकर भी चिंतित है।
    • देशों के बीच गतिरोध के समय यह परिवर्तन चिंता का विषय है।
      • भारत और चीन के बीच वर्ष 2017 के डोकलाम सीमा (Doklam Border) गतिरोध के दौरान चीन ने अपने बाँधों से जल स्तर को रोक दिया था।
  • पारिस्थितिक प्रभाव:
    • हिमालयी क्षेत्र में पारिस्थितिकी तंत्र पहले से ही गिरावट की स्थिति में है। जंगल और जीवों की कई प्रजातियाँ दुनिया के इस हिस्से के लिये स्थानिक हैं तथा उनमें से कुछ गंभीर रूप से संकटग्रस्त हैं। पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील इस क्षेत्र में इसके विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।
    • बड़े पैमाने पर इंजीनियरिंग परियोजनाओं ने भी सैकड़ों-हज़ारों स्थानीय समुदायों को विस्थापित कर दिया है और पड़ोसी देशों के समक्ष चिंता की स्थिति पैदा कर दी है।

आगे की राह

  • भारत ने चीन से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि अपस्ट्रीम क्षेत्रों में किसी भी गतिविधि से डाउनस्ट्रीम राज्यों के हितों को नुकसान न पहुँचे। इस बीच भारत चीनी बाँध के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिये अरुणाचल प्रदेश में दिबांग घाटी में 10 गीगावाट (GW) की जलविद्युत परियोजना बनाने पर विचार कर रहा है।
  • हालाँकि बड़ा मुद्दा यह है कि एक नाजुक पहाड़ी परिदृश्य में बहुत अधिक जल-विद्युत विकास एक अच्छा विचार नहीं है।

स्रोत: लाइवमिंट


कोरोना की दूसरी लहर के बाद आर्थिक राहत पैकेज

प्रिलिम्स के लिये:

भारत नेट, डिजिटल इंडिया, राजकोषीय घाटा, आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना, उत्तर-पूर्वी क्षेत्रीय कृषि विपणन निगम 

मेन्स के लिये:

उत्तर-पूर्वी क्षेत्रीय कृषि विपणन निगम के  पुनरुद्धार से भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर पड़ने वाले प्रभाव  

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वित्त मंत्रालय ने कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से प्रभावित विभिन्न क्षेत्रों को राहत प्रदान करने के लिये कई उपायों की घोषणा की।

  • इस राहत पैकेज का उद्देश्य आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिये स्वास्थ्य प्रणालियों को तैयार करना और विकास तथा रोज़गार के लिये प्रोत्साहन प्रदान करना है। हालाँकि भारतीय स्टेट बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह पैकेज राजकोषीय घाटे में 0.6% की वृद्धि करेगा।
  • कुल 17 उपायों के साथ इस आर्थिक राहत पैकेज में 6,28,993  करोड़ रुपए की राशि की घोषणा की गई है।

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प्रमुख बिंदु:

महामारी से निपटने हेतु आर्थिक राहत:

  • कोरोना प्रभावित क्षेत्रों के लिये ऋण गारंटी योजना:
    • व्यवसायों को 1.1 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त ऋण मिलेगा। इसमें स्वास्थ्य क्षेत्र के लिये 50,000 करोड़ रुप और पर्यटन सहित अन्य क्षेत्रों के लिये 60,000 करोड़ रुपए शामिल हैं।
      • स्वास्थ्य क्षेत्र के घटक का उद्देश्य कम सेवा वाले क्षेत्रों (अर्थात् गैर-महानगरीय क्षेत्रों) को लक्षित करते हुए चिकित्सा बुनियादी ढाँचे को बढ़ाना है।
    • गारंटी कवरेज: विस्तार के लिये 50% और नई परियोजनाओं के लिये 75% का प्रावधान है।
      • आकांक्षी ज़िलों के लिये नई परियोजनाओं और विस्तार दोनों के लिये 75% का गारंटी कवर उपलब्ध होगा।
    • योजना के तहत स्वीकार्य अधिकतम ऋण 100 करोड़ रुपए और गारंटी अवधि 3 वर्ष तक की होगी।
  • आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना:
  • सूक्ष्म वित्त संस्थानों हेतु ऋण गारंटी योजना
    • यह एक नई योजना है, जिसका उद्देश्य सूक्ष्म वित्त संस्थानों (MFIs) के नेटवर्क की सेवा प्राप्त करने वाले छोटे-से-छोटे उधारकर्त्ताओं को लाभ पहुँचाना है।
    • इसके तहत लगभग 25 लाख छोटे उधारकर्त्ताओं को 1.25 लाख रुपए तक के ऋण उपलब्ध कराए जाने पर नए या मौजूदा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी या सूक्ष्म वित्त संस्थानों को ऋण देने के लिये अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को गारंटी प्रदान की जाएगी।
  • आत्मनिर्भर भारत रोज़गार योजना का विस्तार
    • ‘आत्मनिर्भर भारत रोज़गार योजना’ कर्मचारियों के भविष्य निधि संगठन (EPFO) के माध्यम से नए रोज़गार के सृजन और रोज़गार के नुकसान की भरपाई के लिये नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करती है।
  • प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना
    • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 के तहत लाभार्थियों को मई-नवंबर 2021 के दौरान प्रतिमाह 5 किलो खाद्यान्न मुफ्त प्रदान किया जाएगा।

सार्वजनिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाना:

  •  बच्चों और बाल चिकित्सा देखभाल हेतु नई योजना:
    • तकरीबन 23,220 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी अवसंरचना और मानव संसाधन को मज़बूती प्रदान करने के लिये एक नई योजना की भी घोषणा की गई है।
    • यह बच्चों और बाल चिकित्सा देखभाल पर विशेष ज़ोर देने के साथ अल्पकालिक आपातकालीन तैयारियों पर ध्यान केंद्रित करेगी।

वृद्धि एवं रोज़गार

  • 5 लाख पर्यटकों को एक महीने का मुफ्त पर्यटक वीज़ा।
  • डीएपी सहित पीएंडके उर्वरकों के लिये अतिरिक्त सब्सिडी।
  • क्लाइमेट रेसिलिएंट स्पेशल कैरेक्टरिस्टिक वेरायटीज़
    • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने प्रोटीन, आयरन, जिंक, विटामिन-A जैसे उच्च पोषक तत्त्वों वाली बायोफोर्टिफाइड फसल किस्मों को विकसित किया है।
    • ये किस्में रोगों, कीटों, सूखा, लवणता और बाढ़ के प्रति सहिष्णु हैं तथा जल्दी ही परिपक्व होती हैं एवं यांत्रिक कटाई के लिये उपयुक्त हैं।
    • चावल, मटर, बाजरा, मक्का, सोयाबीन, क्विनोआ, बकव्हीट, विंग्ड बीन, अरहर और ज्वार की 21 ऐसी किस्में राष्ट्र को समर्पित की जाएंगी।
  • उत्तर-पूर्वी क्षेत्रीय कृषि विपणन निगम का पुनरुद्धार:
    • उत्तर-पूर्वी क्षेत्रीय कृषि विपणन निगम (North Eastern Regional Agricultural Marketing Corporation- NERAMAC) को 77.45 करोड़ रुपए का पुनरुद्धार पैकेज प्रदान किया जाएगा।
    • NERAMAC ने उत्तर-पूर्व की 13 फसलों को भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication- GI) के पंजीकरण की सुविधा प्रदान की है।
    • इसने बिचौलियों/एजेंटों को दरकिनार कर किसानों को 10-15 फीसदी अधिक कीमत देने की योजना तैयार की है।
    • इसमें उद्यमियों को इक्विटी वित्त की सुविधा प्रदान करने हेतु जैविक खेती के लिये उत्तर-पूर्वी केंद्र स्थापित करने का भी प्रस्ताव है।
  • परियोजना निर्यात को बढ़ावा:
    • 5 वर्षों में राष्ट्रीय निर्यात बीमा खाते (National Export Insurance Account- NEIA) में एक अतिरिक्त कोष प्रदान करने का निर्णय लिया गया है। परियोजना के निर्यात हेतु इस कोष में 33,000 करोड़ रुपए की राशि के लिये हस्ताक्षर किये गए हैं।
      • NEIA ट्रस्ट जोखिम को कम करने के उद्देश्य से मध्यम और दीर्घकालिक (Medium and Long Term- MLT) परियोजना निर्यात को बढ़ावा देता है।
      • यह एक्ज़िम (निर्यात-आयात) बैंक द्वारा कम क्रेडिट-योग्य उधारकर्त्ताओं और सहायक परियोजना निर्यातकों को दिये गए खरीदार के क्रेडिट को कवर प्रदान करता है।
      • यह कम ऋण लेने वाले उधारकर्त्ताओं  को एक्ज़िम बैंक (निर्यात-आयात) के द्वारा दिये गए क्रेडिट को कवर करता है।
  • निर्यात बीमा कवर को बढ़ावा:
    • 5 वर्षों के निर्यात ऋण गारंटी निगम (Export Credit Guarantee Corporation- ECGC) में  इक्विटी डालने का फैसला किया गया है ताकि एक्सपोर्ट इंश्योरेंस कवर को 88,000 करोड़ रुपए से अधिक किया जा सके। 
  • डिज़िटल इंडिया:
    • व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण (Viability Gap Funding) के आधार पर 16 राज्यों में भारत नेट (Bharat Net) में पीपीपी मॉडल मेको लागू करने हेतु  19,041 करोड़ रुपए अतिरिक्त प्रदान किए जाएंगे।
    • यह सभी ग्राम पंचायतों और गांँवों को कवर करते हुए भारत नेट के विस्तार और उन्नयन को अधिक सक्षम बनाएगा।
  • PLI योजना का विस्तार:
    • बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण हेतु उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (Production-Linked Incentive- PLI) योजना का कार्यकाल एक वर्ष और अर्थात् वर्ष 2025-26 तक बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।
  • सुधार आधारित परिणाम संबद्ध विद्युत वितरण योजना:
  • PPP परियोजना और परिसंपत्ति मुद्रीकरण के लिये नई सुव्यवस्थित प्रक्रिया:
    • सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) प्रस्तावों के मूल्यांकन और अनुमोदन के लिये एक नई नीति तैयार की जाएगी तथा इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (InvITs) के माध्यम से कोर इंफ्रास्ट्रक्चर एसेट्स का मुद्रीकरण किया जाएगा।
    • नीति का उद्देश्य बुनियादी ढाँचे के निर्माण और प्रबंधन के वित्तपोषण में निजी क्षेत्र की क्षमता को सुविधाजनक बनाने के लिये परियोजनाओं की त्वरित मंज़ूरी सुनिश्चित करना है।

पैकेज का महत्त्व:

  • यह मौद्रिक तरलता को बढ़ाएगा और पर्यटन जैसे रोज़गार-गहन क्षेत्रों को पुनर्जीवित करने में मदद करेगा।
  • यह आजीविका को बचाने में मदद करेगा और लॉकडाउन के प्रभाव को कम करेगा तथा रोज़गार के नए अवसर भी पैदा करेगा।
  • यह भविष्य में ऐसी किसी भी स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों के लिये प्रयासों को बढ़ावा देगा।
  • यह कोरोना प्रभावित क्षेत्रों को उन चुनौतियों से उबरने में सक्षम बनाएगा, जिनका वे पिछले डेढ़ वर्ष से सामना कर रहे हैं।
  • छोटे व्यवसायों के लिये प्रदत्त तरलता, अप्रत्यक्ष रूप से उन बड़े उद्योगों को पुनर्जीवित कर सकती है जिनसे वे स्रोत या कच्चा माल प्राप्त करते हैं और बाधित आपूर्ति शृंखलाओं की मरम्मत में मदद करते हैं।

स्रोत:पी.आई.बी