डेली न्यूज़ (19 Nov, 2025)



भारत की AI-संचालित अर्थव्यवस्था का निर्माण

स्रोत: ET

चर्चा में क्यों?

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) भारत की अगली आर्थिक वृद्धि को गति देने वाली है और नीति आयोग का अनुमान है कि AI वर्ष 2030 तक भारत की GDP में 500–600 बिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान कर सकती है।

भारत की अर्थव्यवस्था पर AI के प्रभाव को लेकर नीति आयोग की रिपोर्ट क्या निष्कर्ष प्रस्तुत करती है?

  • AI अर्थव्यवस्था में रोज़गार सृजन के रोडमैप: यह रिपोर्ट भारत की रणनीतिक योजना प्रस्तुत करती है, जिसका उद्देश्य AI से उत्पन्न होने वाले बदलावों का समाधान करना और देश को AI-संचालित कार्यबल विकास का वैश्विक केंद्र बनाना है।
    • रिपोर्ट 3W फ्रेमवर्क प्रस्तुत करती है, जो AI के Work (कार्य), Workers (कार्य करने वाले) और Workforce (कार्यबल) पर प्रभाव को रेखांकित करता है।

  • समावेशी सामाजिक विकास हेतु AI रोडमैप: यह रिपोर्ट अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करके अनौपचारिक श्रमिकों को अधिक औपचारिक, सशक्त और भविष्य-उन्मुख कार्यबल में परिवर्तित करने पर केंद्रित है।
    • यह समावेशिता को बढ़ाने और सतत् विकास को बढ़ावा देने में AI की क्षमता पर ज़ोर देता है।
  • भारत के लिये चुनौती और अवसर, दोनों के रूप में AI: AI भारत की अर्थव्यवस्था के लिये चुनौतियाँ भी लाता है और अवसर भी।
    • जहाँ यह पारंपरिक औपचारिक रोज़गार में व्यवधान उत्पन्न करता है, वहीं यह विशाल अनौपचारिक कार्यबल को औपचारिक रूप देने और उसकी उत्पादकता को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाने का एक अनोखा अवसर भी प्रदान करता है।

भारत के आर्थिक परिवर्तन के लिये AI में क्या संभावनाएँ हैं?

  • नए, उच्च-मूल्य वाले क्षेत्रों में रोज़गार सृजन: भारत वर्ष 2031 तक लगभग 4 मिलियन नए रोज़गार उत्पन्न कर सकता है, विशेषकर तकनीक और ग्राहक सेवा क्षेत्रों में। इन रोज़गारों में प्रॉम्प्ट इंजीनियर, क्वांटम ML इंजीनियर और उन्नत AI मॉडल डेवलपर जैसे उच्च-कौशल वाले पद शामिल होंगे।
  • वैश्विक आर्थिक स्थिति में सुधार: मज़बूत डिजिटल प्रतिभा आधार का उपयोग करते हुए, पारंपरिक IT सेवाओं से AI-आधारित कार्य और नवाचार की ओर बढ़कर भारत विश्व की ‘AI वर्कफोर्स कैपिटल’ बन सकता है।
    • प्रस्तावित इंडिया AI टैलेंट मिशन सिंगापुर और UAE जैसी पहल की तरह भारत में प्रतिभा पलायन को रोकने में भी सहायता कर सकता है।  
  • नए राजस्व स्रोत और उद्योग: यह AI-संचालित दवा खोज और स्मार्ट विनिर्माण जैसे उभरते क्षेत्रों में नई संभावनाएँ प्रस्तुत कर रहा है, जबकि क्वांटम कंप्यूटिंग, IoT तथा 5G के साथ इसका अभिसरण स्मार्ट सिटीज़ एवं लॉजिस्टिक्स अनुकूलन में अवसर उत्पन्न कर रहा है।
  • उत्पादकता लाभ: AI दक्षता और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाता है, सॉफ्टवेयर विकास में 10-20% उत्पादकता लाभ प्रदान करता है तथा चैटबॉट एवं रियल-टाइम ट्रांसलेशन के माध्यम से ग्राहक सेवा में लागत को कम करता है।
  • भविष्य-उन्मुख अर्थव्यवस्था की नींव: एक ओपन-सोर्स इंडिया AI कॉमन्स की स्थापना से डेटासेट, मॉडल और बेंचमार्क उपलब्ध होंगे, जिससे नवाचार को लोकतांत्रिक बनाया जा सकेगा। साथ ही इंडिया AI कंप्यूट ग्रिड साझा हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग उपलब्ध कराएगा, जिससे स्थानीय अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा मिलेगा तथा प्रतिभा भारत में बनी रहेगी।

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये AI द्वारा प्रस्तुत चुनौतियाँ क्या हैं?

  • तकनीकी क्षेत्र में रोज़गार हानि: नीति आयोग के अनुसार, IT सेवा क्षेत्र का कार्यबल वर्ष 2023 में 7.5–8 मिलियन से घटकर वर्ष 2031 तक 6 मिलियन तक पहुँच सकता है।
    • सामान्य रूप से भारत में वर्ष 2030 तक औपचारिक रोज़गार का लगभग 60% हिस्सा ऑटोमेशन के जोखिम में है, जिसमें IT और BPO क्षेत्र विशेष रूप से संवेदनशील हैं, क्योंकि इन क्षेत्रों में दिनचर्या आधारित पैमाने योग्य कार्य अधिक हैं।
  • शिक्षा प्रणाली में अंतराल: भारत में कंप्यूटर विज्ञान शिक्षा में अंतराल है, जिसकी पहुँच सीमित है और AI पाठ्यक्रम पुराना है, जिसमें रिट्रीवल ऑग्मेंटेड जेनरेशन (RAG) जैसी उभरती अवधारणाएँ शामिल नहीं हैं।
    • इन कमियों के कारण अनुसंधान उत्पादन कम है, AI पेटेंट में हिस्सेदारी 5% से भी कम है और प्रतिवर्ष AI से संबंधित 500 से कम पीएचडी ही प्रदान की जाती हैं।
  • AI प्रतिभा की मांग–आपूर्ति का अंतर: AI प्रतिभा की मांग 25% की संयोजित वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ रही है (वर्ष 2026 तक 8 लाख से बढ़कर 12.5 लाख तक), जबकि आपूर्ति केवल 15% CAGR से बढ़ रही है।
    • भारत को नकारात्मक प्रतिभा प्रवासन का भी सामना करना पड़ रहा है, जिसमें शीर्ष AI शोधकर्त्ता 10,000 में से 1.55 की दर से विदेश जा रहे हैं।
  • व्यापक प्रणालीगत जोखिम: भारत प्रतिस्पर्द्धात्मकता और रणनीतिक बढ़त चीन, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और सिंगापुर जैसे देशों के मुकाबले खोने के जोखिम का सामना कर रहा है। सामजिक रूप से, 40 करोड़ अनौपचारिक श्रमिकों के लिये सीमित सुरक्षा और विभिन्न क्षेत्रों व समूहों पर असमान प्रभाव बड़े चुनौतियाँ उत्पन्न करते हैं।

भारत में AI के सतत् उपयोग के लिये नीति आयोग ने क्या सिफारिशें की हैं?

  • शिक्षा प्रणाली में AI का एकीकरण: स्कूल स्तर से ही AI शिक्षा को शामिल किया जाए, AI-केंद्रित उच्च शिक्षा कार्यक्रमों का विस्तार किया जाए तथा अनुसंधान को सशक्त बनाने के लिये AI पीएचडी फेलोशिप बढ़ाई जाए। साथ ही संकाय–उद्योग सहयोग के माध्यम से पाठ्यक्रम को निरंतर अद्यतन बनाए रखना सुनिश्चित किया जाए।
  • वैश्विक AI प्रतिभा का केंद्र बनना: भारतीय AI शोधकर्त्ताओं को बनाए रखने और उन्हें वापस आकर्षित करने के लिये प्रतिस्पर्द्धी अनुदान, बेहतर वेतन और राष्ट्रीय कंप्यूटिंग ग्रिड तक प्राथमिकता वाली पहुँच प्रदान की जाए। साथ ही वैश्विक विशेषज्ञों को आकर्षित करने हेतु एक विशेष AI टैलेंट वीज़ा शुरू किया जाए।
  • एआई कौशल आधार का निर्माण: व्यापक AI साक्षरता को बढ़ावा देने के लिये NAPS (राष्ट्रीय शिक्षुता संवर्द्धन योजना) और PMKVY (प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना) को विस्तृत करते हुए एक राष्ट्रीय पुनर्कौशल कार्यक्रम शुरू किया जाए। साथ ही कार्यरत पेशेवरों को उच्च-स्तरीय भूमिकाओं में उन्नत करने हेतु अनुकूल AI मास्टर और डॉक्टरेट कार्यक्रम आरंभ किये जाएँ।
  • भारत ओपन-सोर्स AI कॉमन्स की स्थापना: उच्च गुणवत्ता वाले डेटासेट, मॉडल और बेंचमार्क के साथ एक केंद्रीय AI कॉमन्स बनाएँ, विश्वविद्यालयों और मंत्रालयों से डेटा योगदान को प्रोत्साहित करना तथा विश्वसनीय सत्यापन उपकरणों के माध्यम से विश्वास और पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
  • संघीय राष्ट्रीय कंप्यूट एवं नवाचार ग्रिड: विखंडित HPC संसाधनों को एकीकृत कंप्यूट ग्रिड में समेकित करना तथा उन्नत मॉडल प्रशिक्षण का समर्थन करने तथा विदेशी बुनियादी ढाँचे पर निर्भरता को कम करने के लिये छात्रों, स्टार्टअप और शोधकर्त्ताओं के लिये स्तरीय, किफायती पहुँच प्रदान करना।

निष्कर्ष:

AI भारत के लिये एक परिवर्तनकारी आर्थिक अवसर प्रस्तुत करता है — नीति आयोग का अनुमान है कि यदि इसे पुनर्कौशल, सुदृढ़ AI शिक्षा, मज़बूत डेटा गवर्नेंस, ओपन-सोर्स संसाधनों और राष्ट्रीय कम्प्यूटेशनल अवसंरचना के साथ जोड़ा जाए तो यह वर्ष 2030 तक जीडीपी में 500–600 अरब अमेरिकी डॉलर की बढ़ोतरी कर सकता है। सतत् विकास सुनिश्चित करने के लिये नौकरी विस्थापन और क्षेत्रीय असमानताओं को कम करने हेतु रणनीतिक नीतियाँ, समावेशी कौशल विकास और अनुसंधान निवेश अत्यंत आवश्यक हैं।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न

प्रश्न: कृत्रिम बुद्धिमत्ता भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये एक दोधारी तलवार है। इस कथन का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये तथा समावेशी AI के क्षेत्र में भारत को वैश्विक अग्रणी बनाने हेतु एक रणनीतिक रोडमैप प्रस्तावित कीजिये।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

वर्ष 2030 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद में AI का अनुमानित योगदान क्या है?

नीति आयोग का अनुमान है कि उत्पादकता और नवाचार में वृद्धि के माध्यम से AI वर्ष 2030 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 500-600 बिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान दे सकता है।

वर्ष 2031 तक भारत में AI कितने रोज़गार के अवसर प्रदान कर सकता है?

AI वर्ष 2031 तक 4 मिलियन तक नए रोज़गार उत्पन्न कर सकता है, विशेष रूप से तकनीक, ग्राहक सेवा और उच्च-मूल्य वाली AI भूमिकाओं में।

AI भारत के औपचारिक रोज़गार क्षेत्र के लिये किस प्रकार जोखिम उत्पन्न करता है?

नीति आयोग बड़े पैमाने पर रोज़गार विस्थापन के जोखिम पर प्रकाश डालता है, जिसमें IT सेवा कार्यबल वर्ष 2031 तक संभावित रूप से 7.5-8 मिलियन से घटकर 6 मिलियन रह जाएगा, जिससे औपचारिक क्षेत्र की 60% नौकरियाँ प्रभावित होंगी।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रिलिम्स:

प्रश्न. विकास की वर्तमान स्थिति के साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता निम्नलिखित में से कौन-से कार्य प्रभावी ढंग से कर सकती है? (2020)

  1. औद्योगिक इकाइयों में बिजली की खपत को कम करना 
  2. सार्थक लघु कथाएँ और गीत की रचना 
  3. रोग निदान 
  4. टेक्स्ट-टू-स्पीच रूपांतरण 
  5. विद्युत ऊर्जा का वायरलेस संचरण

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2, 3 और 5
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (b)


मेन्स: 

प्रश्न. कृत्रिम बुद्धि (AI) की अवधारणा का परिचय दीजिये। AI क्लिनिकल निदान में कैसे मदद करता है? क्या आप स्वास्थ्य सेवा में AI के उपयोग में व्यक्ति की निजता को कोई खतरा महसूस करते हैं? (2023)


महिला सैनिक प्रादेशिक सेना की बटालियनों में शामिल

स्रोत: IE

चर्चा में क्यों? 

प्रादेशिक सेना महानिदेशालय ने पहली बार महिलाओं को टेरिटोरियल आर्मी (TA) होम एंड हर्थ (H&H) इन्फैंट्री बटालियन में शामिल करने का निर्णय लिया है, जो रक्षा बलों में महिलाओं की भूमिकाओं के विस्तार की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।

प्रादेशिक सेना (टेरिटोरियल आर्मी-TA) क्या है?

  • परिचय: प्रादेशिक सेना (TA) एक अंशकालिक स्वैच्छिक सैन्य बल है, जो नियमित भारतीय सेना को समर्थन और संवर्द्धन प्रदान करता है।
    • यह नागरिक सैनिकों की सेना (भूमि पुत्र) की अवधारणा पर आधारित है और इसके अधिकारियों को बुनियादी सैन्य कौशल पर वार्षिक प्रशिक्षण दिया जाता है।
    • यह प्रादेशिक सेना अधिनियम, 1948 के अंतर्गत कार्य करता है तथा प्रशिक्षित नागरिक स्वयंसेवकों को अपना नियमित व्यवसाय जारी रखते हुए वर्दी में सेवा करने की अनुमति प्रदान करता है।
  • पृष्ठभूमि: TA की उत्पत्ति वर्ष 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद स्थापित किये गए स्वयंसेवी बलों से मानी जाती है।
    • वर्ष 1917 के भारतीय रक्षा बल अधिनियम के तहत विश्वविद्यालयों को रक्षा इकाइयाँ गठित करने का अधिकार दिया गया, जिसके तहत नेताजी सुभाष चंद्र बोस और जवाहरलाल नेहरू वर्ष 1918 में कलकत्ता विश्वविद्यालय कोर में शामिल हुये। 
      • इस बल के दो भाग थे- यूरोपीय सहायक बल और भारतीय शाखा, जो बाद में भारतीय प्रादेशिक बल बन गया।
      • बल के दो भाग थे- यूरोपियन ऑक्सिलरी फोर्स और इंडियन ब्रांच — जो बाद में भारतीय प्रादेशिक बल (Indian Territorial Force) बना।
    • स्वतंत्रता के बाद प्रादेशिक सेना अधिनियम, 1948 पारित किया गया, प्रादेशिक सेना का औपचारिक उद्घाटन 9 अक्तूबर, 1949 को प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल श्री सी राजगोपालाचारी द्वारा किया गया (जिसे अब प्रादेशिक सेना के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है)।
  • विकास: TA की शुरुआत विभिन्न प्रकार की इकाइयों के साथ हुई थी, लेकिन समय के साथ इनमें से अधिकांश का या तो विलय कर दिया गया या उन्हें भंग कर दिया गया।
    • अब इसमें इन्फैंट्री बटालियन, जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व में होम एंड हर्थ यूनिट्स, इकोलॉजिकल्स बटालियन, नियंत्रण रेखा पर फेंसिंग के लिये इंजीनियर यूनिट्स, रेलवे जैसी विभागीय इकाइयाँ और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के लिये कॉम्पोज़िट इको टास्क फोर्स शामिल हैं।
  • महत्त्व: यह नियमित सेना को स्थैतिक कर्त्तव्यों से मुक्त करता है ताकि पूर्णकालिक सैनिक मुख्य युद्ध कार्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकें।
    • विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व में टीए होम एंड हर्थ बटालियनों के माध्यम से उग्रवाद और आतंकवाद विरोधी अभियानों में सहायता प्रदान करना।
    • प्राकृतिक आपदाओं, औद्योगिक अशांति और आवश्यक सेवाओं की बहाली के दौरान सहायता प्रदान करता है।
    • TA इको बटालियनों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण, वनरोपण और भूमि क्षरण को रोकने में प्रमुख भूमिका निभाता है।
    • राष्ट्रीय आपातकाल, युद्ध और बड़े पैमाने पर आंतरिक संघर्ष के दौरान जुटाए जाने में सक्षम एक आरक्षित बल के रूप में कार्य करता है।
    • यह नागरिक-सैन्य समन्वय को मज़बूत करता है, क्योंकि इसके सदस्य स्वयं नागरिक होते हैं, जो राष्ट्रीय सेवा में विविध कौशल प्रदान करते हैं।

टेरिटोरियल आर्मी (TA) होम एंड हर्थ (H&H) बटालियनों में महिलाओं को शामिल करने का क्या महत्त्व है?

  • प्रादेशिक सेना ने वर्ष 2019 में महिला अधिकारियों को कमीशन देना शुरू किया, जिसके तहत वे इकोलॉजिकल टास्क फोर्स इकाइयों, तेल क्षेत्र से संबंधित TA इकाइयों और रेलवे इंजीनियर रेजिमेंट में सेवा दे सकती हैं।
  • सकारात्मक अनुभवों के बाद सेना ने अब उनकी भूमिकाओं का और विस्तार करने का निर्णय लिया है तथा होम एंड हर्थ बटालियनों में महिला सैनिकों की भर्ती की तैयारी कर रही है, जिससे उन्हें व्यापक संचालनात्मक ज़िम्मेदारियाँ सॅंभालने के अवसर मिलेंगे।
  • यह कदम महिलाओं के लिये संचालनात्मक अवसरों को बढ़ाता है, आंतरिक सुरक्षा और आपदा प्रबंधन के लिये मानव संसाधन को सुदृढ़ करता है तथा भारत की रक्षा सेनाओं में लैंगिक समावेशन को आगे बढ़ाता है।

रक्षा बलों में महिलाएँ

  • प्रारंभिक सैन्य भूमिकाएँ: महिलाओं ने सबसे पहले सैन्य नर्सिंग सेवा (1888) के माध्यम से सेना में प्रवेश किया। बाद में वर्ष 1958 में उन्हें इंडियन आर्मी मेडिकल कॉर्प्स में नियमित कमीशन के साथ डॉक्टरों के रूप में शामिल किया गया।
  • गैर-चिकित्सीय प्रवेश: वर्ष 1992 में  महिला विशेष प्रवेश योजना (WSES) की शुरुआत हुई, जिसने महिलाओं के लिये नॉन-कॉम्बैट भूमिकाएँ खोलीं। इसके तहत आर्मी एजुकेशन कॉर्प्स, सिग्नल्स, इंटेलिजेंस और इंजीनियर्स जैसी शाखाओं में शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) के लिये अवसर मिले।
    • सेना अधिनियम, 1950 ने महिलाओं की भूमिकाओं को सीमित रखा और उन्हें केवल अधिसूचित शाखाओं में ही नियुक्ति की अनुमति दी, जैसे—आर्मी पोस्टल सर्विस, जज एडवोकेट जनरल (JAG) विभाग, आर्मी एजुकेशन कॉर्प्स (AEC), ऑर्डिनेंस कॉर्प्स और सर्विस कॉर्प्स।
  • शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC): वर्ष 2005 में SSC प्रणाली को औपचारिक रूप से लागू किया गया, जिसमें महिला अधिकारियों को 14 वर्षों की सेवा अवधि प्रदान की गई, जिससे उनके सैन्य करियर की संरचना अधिक व्यवस्थित हुई।
  • स्थायी कमीशन (पीसी) और न्यायिक हस्तक्षेप: वर्ष 2008 में महिलाओं को सबसे पहले JAG और AEC जैसी सीमित शाखाओं में स्थायी कमीशन (PC) प्रदान किया गया था।
    • बबीता पुनिया बनाम भारत सरकार (2020) के ऐतिहासिक निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय ने उन सभी शाखाओं में PC अनिवार्य कर दिया जहाँ SSC की अनुमति है, जिससे महिलाएँ कमांड पदों तक पहुँच सकें।
  • लड़ाकू भूमिकाओं में महिलाएँ: IAF ने वर्ष 2016 में महिला लड़ाकू पायलटों को शामिल किया और वर्ष 2022 में यह लड़ाकू भूमिका एक स्थायी व्यवस्था बन गई।
  • अग्निपथ योजना (2022): सेना, नौसेना और वायु सेना में अग्निवीर के रूप में महिलाओं को शामिल किया जाएगा, जिससे सैनिक स्तर के अवसरों का विस्तार होगा।
  • सशस्त्र बलों में महिलाओं की वर्तमान स्थिति: महिलाएँ वर्तमान में भारतीय सेना का लगभग 4% हिस्सा हैं। वर्ष 2022 से नौसेना ने पनडुब्बी और विमानन सहित सभी शाखाओं को महिला अधिकारियों के लिये खोल दिया है। कई महिलाएँ अब युद्धक विमानन भूमिकाओं में और नौसेना के जहाज़ों पर तैनात होकर सक्रिय रूप से सेवा दे रही हैं।
  • प्रमुख उपलब्धियाँ: कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर में प्रमुख भूमिका निभाई। 
    • लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के. और रूपा ए. ने 25,600 नॉटिकल मील का अभियान, नाविका सागर परिक्रमा II पूरा किया।

निष्कर्ष

प्रादेशिक सेना की होम एंड हर्थ बटालियनों में महिला सैनिकों की भर्ती भारत के रक्षा बलों में लैंगिक समावेशन की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। यह कदम भारत के सशस्त्र बलों में महिलाओं की भूमिका के निरंतर विकास को दर्शाता है, जो अधिक समानता और सशक्तीकरण का मार्ग प्रशस्त करता है।

और पढ़ें: भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाएँ

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. सशस्त्र बलों में लैंगिक बाधाओं को तोड़ना न केवल समानता का प्रश्न है, बल्कि परिचालनात्मक आवश्यकता भी है। विवेचना कीजिये।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. प्रादेशिक सेना (TA) क्या है?
प्रादेशिक सेना एक अंशकालिक स्वैच्छिक सैन्य बल है, जिसे प्रादेशिक सेना अधिनियम, 1948 के तहत संचालित किया जाता है। यह नियमित भारतीय सेना का सहयोग और समर्थन करता है, जबकि नागरिकों को पार्ट-टाइम सेवा का अवसर भी प्रदान करता है।

2. प्रादेशिक सेना स्थापना दिवस कब मनाया जाता है? 

प्रादेशिक सेना स्थापना दिवस प्रतिवर्ष 9 अक्तूबर को मनाया जाता है, जिसका औपचारिक उद्घाटन 1949 में सी. राजगोपालाचारी द्वारा किया गया था।

3. TA में महिलाओं की भर्ती क्यों महत्त्वपूर्ण है?
यह महिलाओं के लिये परिचालन अवसरों का विस्तार करती है, आंतरिक सुरक्षा और आपदा प्रबंधन के लिये मानव संसाधन को मज़बूत बनाती है तथा भारत की रक्षा सेवाओं में लैंगिक समावेशन को बढ़ावा देती है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रिलिम्स 

प्रश्न. भारतीय रक्षा के संदर्भ में 'ध्रुव' क्या है? (2008)

(a) विमान ले जाने वाला युद्धपोत
(b) मिसाइल ले जाने वाली पनडुब्बी
(c) उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर
(d) अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल

उत्तर: (c)


मेन्स 

प्रश्न. भारत में समय और स्थान के विरुद्ध महिलाओं के लिये निरंतर चुनौतियाँ क्या हैं? (2019)