मध्य प्रदेश में खाद्य अपमिश्रण के मामले | मध्य प्रदेश | 25 Aug 2025
चर्चा में क्यों?
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री, प्रताप राव जाधव ने राज्यसभा में उत्तर दिया कि, औसतन, मध्य प्रदेश में प्रतिदिन सात खाद्य अपमिश्रण (मिलावट) के मामले दर्ज होते हैं, जिससे राज्य खाद्य सुरक्षा उल्लंघनों के मामले में उत्तर प्रदेश और राजस्थान के बाद भारत में तीसरे स्थान पर है।
मुख्य बिंदु
- FSS अधिनियम के तहत दंड: वित्तीय वर्ष 2024-25 में, कुल 13,920 खाद्य नमूनों के परीक्षण में से 2,597 मामलों पर खाद्य सुरक्षा और मानक (FSS) अधिनियम, 2006 के तहत दंड लगाया गया।
- यह 2023-24 की तुलना में 659 मामलों की वृद्धि को दर्शाता है, जब 13,842 नमूनों पर 1,938 दंड लगाए गए थे।
- रुझान विश्लेषण: पिछले पाँच वर्षों में, मध्य प्रदेश ने उत्तर प्रदेश और राजस्थान के बाद सभी राज्यों में खाद्य अपमिश्रण के लिये सबसे अधिक दंड लगाए जाने वाले मामलों का अनुभव किया है।
खाद्य अपमिश्रण
- परिचय: भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के अनुसार, खाद्य अपमिश्रण से तात्पर्य उन पदार्थों का आशय से जोड़ना, प्रतिस्थापन करना या हटाना है, जो खाद्य की प्रकृति, गुणवत्ता, या सुरक्षा पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
- इसमें उन अप्रत्यक्ष संदूषण (unintentional contamination) को भी शामिल किया जाता है, जो खेती, फसल कटाई, भंडारण, प्रसंस्करण, परिवहन, या वितरण के दौरान हो सकता है।
- भारत में खाद्य अपमिश्रण के कारण:
- अप्रभावी प्रवर्तन और खंडित खाद्य आपूर्ति शृंखलाएँ (80% अनौपचारिक बाज़ारों में)।
- एकीकृत राष्ट्रीय नीति का अभाव और वैश्विक सुरक्षा मानकों से विचलन।
- प्रसंस्करण उद्योगों में संसाधन की कमी, तलने के तेल का पुन: उपयोग, अस्वच्छता।
- कीटनाशक अवशेष और निम्नस्तरीय पोषण संवर्द्धन प्रथाएँ; भ्रामक लेबलिंग।
- कानूनी और नीतिगत ढाँचा:
- FSSA, 2006 और FSSAI- उत्पादन, आयात, बिक्री और मानकों को नियंत्रित करता है।.
- पैकेजिंग और लेबलिंग नियम, 2011- सामग्री, एलर्जन और समाप्ति तिथि का खुलासा।
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019- अपमिश्रित खाद्य के लिये मुआवज़े का अधिकार।
- अनुशंसित उपाय:
- खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को औपचारिक रूप प्रदान करना (जैसे, PM FME योजना)।
- नियमों को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाना; FSSA में संशोधन करना।
- कुशल कार्यबल बढ़ाना; उद्योग–शैक्षणिक सहयोग को बढ़ावा देना।
- निगरानी, दंड, मोबाइल लैब्स और आपूर्ति शृंखला प्रबंधन को सुदृढ़ करना।
- अपस्ट्रीम/डाउनस्ट्रीम संदूषण नियंत्रण के लिये वन हेल्थ दृष्टिकोण अपनाना।
मध्य प्रदेश में घोषित प्रमुख अवसंरचना परियोजनाएँ | मध्य प्रदेश | 25 Aug 2025
चर्चा में क्यों?
सड़क परिवहन और राजमार्गों के केंद्रीय मंत्री, नितिन गडकरी ने मध्य प्रदेश में प्रमुख अवसंरचना परियोजनाओं की घोषणा की, जिनमें पर्यटन को प्रोत्साहन देने हेतु प्रमुख बाघ अभयारण्यों को जोड़ने वाला चार-लेन कॉरिडोर और भोपाल और जबलपुर के बीच एक ग्रीनफील्ड हाईवे शामिल है, जिसका निर्माण अगले वर्ष शुरू होने वाला है।
मुख्य बिंदु
- टाइगर कॉरिडोर: ₹5,500 करोड़ का 'टाइगर कॉरिडोर' कान्हा, पेंच, बांधवगढ़ और पन्ना टाइगर रिज़र्व को जोड़ेगा, जिसका उद्देश्य पर्यटन को प्रोत्साहन देना, रोज़गार सृजित करना और राज्य की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना है।
- राजमार्ग (Highways): भोपाल और जबलपुर के बीच 255 किमी. लंबा नया ग्रीनफील्ड हाईवे बनाया जाएगा, जिसकी लागत ₹15,000 करोड़ होगी और इसका विस्तृत परियोजना विवरण (DPR) दिसंबर 2025 तक तैयार होने की आशा है।
- एक 220 किमी. लंबा हाई-स्पीड कॉरिडोर, जो सिवनी ज़िले के लखनादौन को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से जोड़ेगा, की भी घोषणा की गई।
- सबसे लंबा फ्लाईओवर: जबलपुर में 6.85 किमी. लंबे नए फ्लाईओवर का भी उद्घाटन किया गया, जो राज्य का सबसे लंबा फ्लाईओवर है। इसके शुरू होने से मदन महल और दमोह नाका के बीच यात्रा का समय 45 मिनट से घटकर केवल 7 मिनट रह जाएगा।
- इसमें 192 मीटर लंबा केबल-स्टे ब्रिज और तीन बो-स्ट्रिंग ब्रिज भी शामिल हैं।
- 1,200 करोड़ रुपए की लागत से बना यह फ्लाईओवर केंद्रीय सड़क एवं अवसंरचना निधि (CRIF) द्वारा वित्तपोषित है और इसकी शुरुआत वर्ष 2019 में हुई थी।
केंद्रीय सड़क एवं अवसंरचना निधि (CRIF):
- केंद्रीय सड़क एवं अवसंरचना निधि (CRIF), जिसे प्रारंभ में केंद्रीय सड़क निधि कहा जाता था, वर्ष 2000 में केंद्रीय सड़क निधि अधिनियम, 2000 के अंतर्गत स्थापित किया गया था।
- इस निधि का वित्तपोषण पेट्रोल और डीज़ल पर उत्पाद शुल्क के साथ लगाए गए उपकर के माध्यम से किया जाता है।
- वर्तमान में इस निधि का प्रशासन वित्त मंत्रालय द्वारा किया जाता है, जबकि पहले इसका प्रबंधन सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा किया जाता था।
- केंद्रीय सड़क निधि अधिनियम (संशोधन), 2018 के अंतर्गत इस निधि का नाम परिवर्तित किया गया और इसकी परिधि का विस्तार किया गया, जिससे इस निधि का उपयोग अन्य अवसंरचना परियोजनाओं जैसे जलमार्ग, रेलवे अवसंरचना और सामाजिक अवसंरचना (जैसे शैक्षणिक एवं चिकित्सा संस्थान) के वित्तपोषण के लिये भी किया जा सके।