लाडो लक्ष्मी योजना | हरियाणा | 28 Jun 2025
चर्चा में क्यों?
हरियाणा सरकार आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग की महिलाओं को 2,100 रुपए की मासिक वित्तीय सहायता प्रदान करने वाली लाडो लक्ष्मी योजना शुरू करने जा रही है।
मुख्य बिंदु
- लक्ष्मी योजना के बारे में:
- सूचना, जनसंपर्क, भाषा एवं संस्कृति विभाग (DIPR) के अनुसार, हरियाणा सरकार इस वर्ष के अंत तक लाडो लक्ष्मी योजना को लागू करेगी।
- राज्य सरकार ने इस योजना के सफल क्रियान्वयन हेतु 5,000 करोड़ रुपए का आवंटन किया है।
- 18 वर्ष से अधिक आयु की वे महिलाएँ, जो हरियाणा की स्थायी निवासी हैं और गरीबी रेखा से नीचे (BPL) परिवारों से संबंधित हैं, इस योजना के तहत पात्र होंगी।
- लाभार्थियों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के माध्यम से सीधे उनके बैंक खातों में धनराशि प्राप्त होगी।
- इस योजना का उद्देश्य शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा तक बेहतर पहुँच के माध्यम से स्वतंत्रता को बढ़ावा देना और हरियाणा की महिलाओं को सशक्त बनाना है।
- यह योजना महिलाओं को अपना व्यवसाय शुरू करने में सहायता देकर उनकी वित्तीय स्थिरता को भी सुदृढ़ करने का प्रयास करती है।
महिला सशक्तीकरण से संबंधित सरकारी पहल
- प्रधानमंत्री मुद्रा योजना: महिला उद्यमियों और स्वयं सहायता समूहों को किफायती ऋण तक पहुँच प्रदान करती है।
- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ: शिक्षा के माध्यम से जागरूकता बढ़ाने और महिला कल्याण में सुधार पर केंद्रित है।
- महिला ई-हाट: महिला उद्यमियों और स्वयं सहायता समूहों के लिये ऑनलाइन विपणन मंच प्रदान करती है।
- महिला शक्ति केंद्र: कौशल विकास और उद्यमिता हेतु गाँव स्तर पर सशक्तीकरण कार्यक्रम और संसाधन उपलब्ध कराती है।
- कामकाजी महिला छात्रावास: शहरी क्षेत्रों में कामकाज़ी महिलाओं को सुरक्षित और किफायती आवास उपलब्ध कराती है।
- प्रधानमंत्री आवास योजना:
- यह योजना महिलाओं के नाम पर आवास सुनिश्चित करती है।
गाज़ियाबाद में ग्रीन डाटा सेंटर | उत्तर प्रदेश | 28 Jun 2025
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद में अत्याधुनिक ग्रीन डाटा सेंटर का उद्घाटन किया गया।
मुख्य बिंदु
- परियोजना विवरण:
- यह परियोजना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (CEL) और ESDS के बीच एक संयुक्त पहल है।
- इसमें 1,000 करोड़ रुपए का अनुमानित निवेश प्रस्तावित है तथा इसकी क्षमता 30 मेगावाट होगी।
- संरचना:
- यह डाटा सेंटर ऊर्जा-कुशल प्रौद्योगिकियों, नवीकरणीय ऊर्जा तथा पर्यावरण-अनुकूल डिज़ाइन का उपयोग करेगा।
- कनेक्टिविटी और अनुकूलता:
- इसमें क्लाउड एकीकरण तथा आपदा पुनर्प्राप्ति के लिये 40 Gbps रिंग फाइबर नेटवर्क और दोहरे 10 Gbps कनेक्शन की सुविधा होगी।
- इसमें वर्षा जल संचयन, परावर्तक छत तथा स्मार्ट शीतलन प्रणाली जैसी सुविधाएँ भी शामिल की जाएंगी।
उत्तर प्रदेश डाटा सेंटर नीति 2021
- विज़न और मिशन:
- उत्तर प्रदेश को डाटा सेंटर उद्योग के लिये एक पसंदीदा निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित करना।
- वैश्विक एवं घरेलू निवेश को आकर्षित करते हुए तथा MSME/स्टार्ट-अप्स को समर्थन प्रदान कर विश्व स्तरीय डाटा सेंटर पारिस्थितिकी तंत्र का विकास करना।
- लक्ष्य:
- राज्य में 900 मेगावाट की डाटा सेंटर क्षमता विकसित करना।
- लगभग 30,000 करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित करना।
- कम-से-कम 8 निजी अत्याधुनिक डाटा सेंटर पार्क स्थापित करना।
- नोडल एजेंसी:
- उत्तर प्रदेश का IT एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग इस नीति के क्रियान्वयन हेतु नोडल एजेंसी नियुक्त करेगा।
- परिभाषाएँ:
- डाटा सेंटर पार्क: इसकी न्यूनतम क्षमता 40 मेगावाट होनी चाहिये।
- डाटा सेंटर यूनिट: इसकी क्षमता 2 मेगावाट से अधिक और 40 मेगावाट से कम होनी चाहिये; इसमें कैप्टिव डाटा सेंटर शामिल नहीं होंगे।
- डाटा सेंटर पार्क हेतु प्रोत्साहन:
- डाटा सेंटर पार्कों को 7 वर्षों तक अधिकतम 60% ब्याज अनुदान मिलेगा, जिसकी वार्षिक अधिकतम सीमा 10 करोड़ रुपए तथा प्रत्येक पार्क हेतु कुल अधिकतम सीमा 50 करोड़ रुपए निर्धारित की गई है।
- मध्यांचल और पश्चिमांचल में 25% तथा बुंदेलखंड एवं पूर्वांचल में 50% की भूमि सब्सिडी उपलब्ध है, जिसकी अधिकतम सीमा कुल परियोजना लागत के 7.5% या 75 करोड़ रुपए (जो भी कम हो) तक निर्धारित है।
- यह सब्सिडी केवल नीति के अंतर्गत अधिसूचित पहले 8 डाटा सेंटर पार्कों पर लागू होगी तथा यदि किसी पार्क में यह पहले से दावा की जा चुकी है, तो उस पार्क के भीतर डाटा सेंटर इकाइयों पर यह लागू नहीं होगी।
- स्टाम्प ड्यूटी में छूट: पहले लेनदेन पर 100% छूट तथा दूसरे लेनदेन पर 50% छूट प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त, दोहरी पावर ग्रिड आपूर्ति की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है।
- डेटा सेंटर इकाइयों के लिये प्रोत्साहन:
- डेटा सेंटर इकाइयाँ 20 करोड़ रुपए तक के निश्चित पूंजी निवेश (भूमि और भवन को छोड़कर) पर 7% पूंजी सब्सिडी का लाभ उठा सकती हैं, जिसे 10 वर्षों में 2 करोड़ रुपए प्रति वर्ष की अधिकतम सीमा के साथ वितरित किया जाएगा।
- भूमि सब्सिडी के लिये भी ये इकाइयाँ पात्र हैं: मध्यांचल और पश्चिमांचल में 25% तथा बुंदेलखंड एवं पूर्वांचल में 50% की दर से, जिसकी अधिकतम सीमा परियोजना लागत के 7.5% या 75 करोड़ रुपए (जो भी कम हो) तक होगी।
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बिहार कैबिनेट ने ग्रामीण कल्याण पहल को मंजूरी दी | बिहार | 28 Jun 2025
चर्चा में क्यों?
बिहार मंत्रिमंडल ने गाँव के बुनियादी ढाँचे, सामाजिक पेंशन, महिला उद्यमिता, सब्सिडी वाले भोजन तथा मज़बूत स्थानीय शासन और कल्याण उपायों को मंजूरी प्रदान की है।
मुख्य बिंदु
- जीविका दीदी की रसोई का संचालन: मंत्रिमंडल ने किफायती भोजन उपलब्ध कराने के लिये प्रखंड स्तर के कार्यालयों, उप-मंडल तथा ज़िला मुख्यालयों पर जीविका दीदी की रसोई इकाइयों के संचालन को मंजूरी दी है।
- यह पहल अब सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों तक विस्तारित की जाएगी, जहाँ 5 करोड़ रुपए के अनुमानित बजट के तहत रियायती भोजन उपलब्ध कराया जाएगा।
- वित्तीय सहायता: हाल ही में सम्पन्न जाति-आधारित सर्वेक्षण में चिह्नित 94 लाख आर्थिक रूप से वंचित परिवारों की महिला उद्यमियों को 2 लाख रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिये विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है, जो इसके लिये मानदंड निर्धारित करेगी।
- पेंशन में वृद्धि: मंत्रिमंडल ने बुज़ुर्गों, दिव्यांग व्यक्तियों तथा विधवाओं हेतु संचालित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के अंतर्गत दी जाने वाली पेंशन राशि में वृद्धि को मंजूरी दी है, जिसके तहत मासिक पेंशन ₹400 से बढ़ाकर ₹1,100 कर दी गई है।
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के अंतर्गत ग्राम पंचायत द्वारा अनुमोदित कार्यों के लिये व्यय सीमा को 5 लाख रुपए से बढ़ाकर 10 लाख रुपए कर दिया गया है।
- पंचायती राज प्रतिनिधियों के लिये भत्ते: त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित प्रतिनिधियों तथा ग्राम कचहरी के सदस्यों को दिये जाने वाले भत्तों में 1.5 गुना की वृद्धि की गई है।
- अनुग्रह राशि: पंचायत या ग्राम कचहरी के सदस्य की कार्यकाल के दौरान प्राकृतिक मृत्यु होने पर, उनके निकटतम परिजन को 5 लाख रुपए की अनुग्रह राशि प्रदान की जाएगी।
- विवाह हॉल निर्माण: प्रत्येक विवाह हॉल का निर्माण 50 लाख रुपए की लागत से किया जाएगा और इसे वर्तमान वित्त वर्ष से आरंभ करते हुए पाँच वर्षों की अवधि में चरणबद्ध रूप से क्रियान्वित किया जाएगा।
बिहार ग्रामीण आजीविका परियोजना
- जीविका:
- इस परियोजना को प्रारंभ में विश्व बैंक द्वारा समर्थन प्राप्त था तथा बाद में इसे बिहार कोसी बाढ़ पुनर्प्राप्ति परियोजना (BKFRP) के अजीविका पुनर्स्थापन घटक को सम्मिलित करते हुए विस्तारित किया गया।
- जीविका, बिहार ग्रामीण आजीविका परियोजना है, जिसका उद्देश्य बिहार में ग्रामीण गरीबों का सामाजिक और आर्थिक सशक्तीकरण करना है।
- यह परियोजना बिहार ग्रामीण आजीविका संवर्द्धन सोसाइटी (BRLPS) द्वारा प्रबंधित की जाती है, जो बिहार सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के अधीन एक स्वायत्त निकाय है।
- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के अंतर्गत गरीबी उन्मूलन की रणनीतियों को लागू करने हेतु BRLPS को बिहार राज्य के लिये राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (SRLM) के रूप में नामित किया गया है।
- दीदी की रसोई पहल:
- केरल के कुडुम्बश्री मॉडल से प्रेरित यह पहल वर्ष 2018 में शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य बिहार में सस्ता भोजन उपलब्ध कराना है।
- यह बिहार परिवर्तनकारी विकास परियोजना के तहत विश्व बैंक द्वारा समर्थित है तथा BRLPS (जीविका) द्वारा क्रियान्वित की जा रही है।
- इसका पहला केंद्र वैशाली में स्थापित किया गया था और वर्तमान में बिहार के 38 ज़िलों में 83 से अधिक केंद्र संचालित हो रहे हैं, जिनमें अस्पताल, मेडिकल कॉलेज तथा स्कूल शामिल हैं।
- इस पहल के अंतर्गत 1,200 से अधिक महिला उद्यमियों तथा 150 पूर्णकालिक कर्मचारियों को रोज़गार मिला है, जिन्हें होटल प्रबंधन और खानपान विशेषज्ञों का समर्थन प्राप्त है।
- महिला उद्यमियों को जीविका द्वारा संचालित 7-दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से स्वच्छता, लेखांकन तथा ग्राहक सेवा में प्रशिक्षित किया जाता है।
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