उत्तर प्रदेश में FDI वृद्धि | उत्तर प्रदेश | 05 Aug 2025
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार, वर्ष 2019 से 2023 के दौरान प्रदेश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।
मुख्य बिंदु
- ऐतिहासिक चुनौतियाँ: ऐतिहासिक रूप से, उत्तर प्रदेश एक खराब औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र से जूझता रहा है, जिसने विदेशी निवेशकों को हतोत्साहित किया है। इसके लिये कई कारक ज़िम्मेदार थे, जिनमें शामिल हैं:
- FDI प्रवृत्तियों में बदलाव: वर्ष 2000 से 2017 तक उत्तर प्रदेश में FDI मात्र 3,000 करोड़ रुपए तक सीमित था, किंतु हाल के वर्षों में इसमें तीव्र वृद्धि हुई है।
- अब उत्तर प्रदेश FDI के लिये भारत का 11वाँ सबसे आकर्षक राज्य है। अक्तूबर 2019 से सितंबर 2024 तक राज्य में कुल 1.7 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ है।
- उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में उत्तर प्रदेश भारत में प्रथम स्थान पर है। वर्तमान में राज्य में 196 इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिज़ाइन और विनिर्माण (ESDM) कंपनियाँ संचालित हैं।
- प्रमुख नीतिगत सुधार :
- वर्ष 2018 में आयोजित UP इन्वेस्टर्स समिट ने निवेश-हितैषी पहलों के लिये मंच तैयार किया।
- इस समिट में 4.28 लाख करोड़ रुपए मूल्य के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए।
- इस सफलता के आधार पर वर्ष 2023 में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (GIS) में 33.50 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए।
- प्रमुख नीतियाँ:
- परियोजना कार्यान्वयन:
- उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनीज़ (GBCs) की अवधारणा शुरू की।
- ये आयोजन राज्यव्यापी बड़े निवेश परियोजनाओं के शुभारंभ के मंच होते हैं।
- अब तक हुई पहली चार GBCs में 16,000 से अधिक परियोजनाओं की शुरुआत हो चुकी है, जिनमें से 8,000 से अधिक परियोजनाएँ क्रियाशील हैं।
- आगामी GBC-5 के लिये राज्य सरकार ने 5 लाख करोड़ रुपए की परियोजनाओं के ग्राउंडिंग का लक्ष्य रखा है, जिसे बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपए तक किया जा सकता है।
- कुल निवेश का अधिकांश भाग विनिर्माण, सेवा और अवसंरचना क्षेत्रों में गया है, जिसमें विनिर्माण क्षेत्र को सर्वाधिक 62.25% का हिस्सा प्राप्त हुआ है।

उत्तर प्रदेश आर्थिक अपराध शाखा का पुनर्गठन | उत्तर प्रदेश | 05 Aug 2025
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) से प्रेरणा लेते हुए उत्तर प्रदेश आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के लिये पुनर्गठन किया है।
- नए उपायों में उन्नत प्रौद्योगिकी उपकरणों को अपनाने, तीव्र अन्वेषण और वित्तीय अपराधों की रिपोर्ट करने के लिये सार्वजनिक पहुँच में सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
मुख्य बिंदु
प्रमुख सुधार और उपाय
- उन्नत सार्वजनिक पहुँच:
- एक प्रमुख सुधार के तहत नागरिकों को आर्थिक अपराधों की रिपोर्ट करने के लिये आसान पहुँच प्रदान की गई है।
- राज्य की आपातकालीन हेल्पलाइन 112 को EOW के साथ एकीकृत किया गया है, ताकि जनता पोंजी स्कीम धोखाधड़ी, स्टांप धोखाधड़ी, मल्टी-मार्केटिंग धोखाधड़ी आदि जैसे मामलों की रिपोर्ट कर सके।
- व्यावसायिक विशेषज्ञता और प्रशिक्षण:
- कार्यशाला का उद्देश्य वित्तीय अपराधों के विभिन्न स्वरूपों के बारे में शिक्षित करना, जाँच की बारीकियों पर ध्यान देना तथा वित्तीय अपराध प्रवर्तन में उभरती चुनौतियों से निपटना था।
- EOW का लक्ष्य प्रवर्तन तथा सार्वजनिक पहुँच दोनों के संदर्भ में एक मज़बूत और विश्वसनीय संस्थान बनना है।
- अपने अधिकारियों की व्यावसायिकता बढ़ाने के लिये CBI, प्रवर्तन निदेशालय तथा अन्य केंद्रीय एजेंसियों के विशेषज्ञों के साथ एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
- जन जागरूकता और शिक्षा:
- EOW की रणनीति का एक मुख्य भाग जन जागरूकता है।
- एजेंसी ने नागरिकों को विभिन्न आर्थिक अपराधों के बारे में शिक्षित करने तथा उन्हें सतर्क और सुरक्षित रहने के लिये जागरूक करने हेतु डिजिटल और प्रिंट दोनों प्रारूपों में आठ एनिमेटेड पुस्तिकाएँ तैयार की हैं।
- जनता को शामिल करने के लिये वित्तीय अपराध रोकथाम पर एक लघु फिल्म भी लॉन्च की गई, साथ ही एक नया EOW लोगो भी जारी किया गया।
- तकनीकी उन्नयन:
- EOW अब परिचालन को सुव्यवस्थित करने के लिये अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित है, जिसमें वास्तविक समय पर केस की निगरानी और तीव्र समाधान हेतु 24x7 केस प्रबंधन सॉफ्टवेयर (CMS) भी शामिल है।
आर्थिक अपराध शाखा (EOW)
- आर्थिक अपराधों से निपटने के लिये CID के अंतर्गत वर्ष 1970 में आर्थिक अपराध शाखा (EOW) की स्थापना की गई थी, जिसका विस्तार वर्ष 1972 में 10 सरकारी विभागों से संबंधित अपराधों को शामिल करने हेतु किया गया।
- वर्ष 1977 में EOW को उत्तर प्रदेश पुलिस की एक अलग और विशेष जाँच शाखा के रूप में पुनर्गठित किया गया।
- वर्ष 2006 में EOW के अधिकार क्षेत्र को और अधिक विस्तृत कर दिया गया तथा इसमें सभी सरकारी विभागों में आर्थिक अपराधों की जाँच एवं पूछताछ को शामिल कर लिया गया।
- वर्ष 2018 में सरकार ने लखनऊ, वाराणसी, मेरठ और कानपुर में EOW क्षेत्रों के अंतर्गत चार पुलिस स्टेशन स्थापित किये।
- EOW का नेतृत्व महानिदेशक, EOW द्वारा किया जाता है, जिसका मुख्यालय लखनऊ में स्थित है। इसे पाँच सेक्टरों में विभाजित किया गया है, जिनमें से प्रत्येक का प्रबंधन एसपी रैंक के अधिकारी द्वारा किया जाता है।