उत्तर प्रदेश में मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी | उत्तर प्रदेश | 27 Sep 2025
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (मनरेगा) में महिलाओं की भागीदारी 42.31% के अभूतपूर्व स्तर पर पहुँच गई, जो ग्रामीण आर्थिक गतिशीलता और लैंगिक कार्य विभाजन में परिवर्तन को दर्शाती है।
मुख्य बिंदु
- भागीदारी के बारे में:
- उत्तर प्रदेश में मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी वित्तीय वर्ष 2025-26 में 42.31% के अभूतपूर्व स्तर पर पहुँच गई, जो वित्तीय वर्ष 2023-24 में 42.26% के उच्च स्तर से थोड़ी अधिक है, जबकि वित्तीय वर्ष 2024-25 में यह घटकर 41.87% रह गई थी।
- राष्ट्रीय औसत से तुलना:
- उल्लेखनीय वृद्धि के बावजूद, उत्तर प्रदेश में मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी राष्ट्रीय औसत 53% से कम है। इस असमानता के निम्नलिखित कारण हैं:
- प्रणालीगत बाधाएँ: अधिक शारीरिक श्रम, शिशु-गृह सुविधाओं का अभाव तथा वेतन में अंतर।
- मौसमी रोज़गार में उतार-चढ़ाव: मज़दूरी भुगतान में देरी और रोज़गार की अस्थिरता ने निरंतर भागीदारी को हतोत्साहित किया है।
- वृद्धि के कारक:
- आर्थिक आवश्यकता: बढ़ते घरेलू खर्च, मुद्रास्फीति और सीमित रोज़गार के अवसरों के कारण अधिकाधिक महिलाएँ मनरेगा के अंतर्गत रोज़गार की तलाश कर रही हैं।
- ग्रामीण दृष्टिकोण में बदलाव: मज़दूरी पर काम करने वाली महिलाओं की स्वीकार्यता बढ़ रही है, जो पहले पारंपरिक रूप से पुरुषों के लिये आरक्षित थी।
- सरकारी सहायता: उत्तर प्रदेश सरकार स्वयं सहायता समूहों (SHG) और ग्रामीण आजीविका मिशनों में महिलाओं को शामिल करने को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रही है, जिससे मनरेगा में भाग लेने के लिये महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ रहा है।
- महामारी के बाद का प्रवास: कोविड-19 के बाद काम के लिये अधिक पुरुषों के शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन के साथ, महिलाओं ने ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार के अंतर को शीघ्रता से पूरा किया है।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा)
- परिचय: मनरेगा सामाजिक सुरक्षा के लिये एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसका उद्देश्य भारत में ग्रामीण रोज़गार की गारंटी प्रदान करना है।
- इसे वर्ष 2005 में ग्रामीण विकास मंत्रालय के नोडल मंत्रालय के रूप में अधिनियमित किया गया था।
- उद्देश्य: अकुशल शारीरिक कार्य करने के इच्छुक पंजीकृत वयस्क ग्रामीण परिवारों को कम-से-कम 100 दिनों का गारंटीकृत रोज़गार उपलब्ध कराना।
- विस्तार: यह योजना पूरे देश में लागू है, जिसमें 100% शहरी आबादी वाले ज़िले शामिल नहीं हैं।
- मांग-आधारित ढाँचा: मांग के आधार पर रोज़गार उपलब्ध कराया जाता है। यदि 15 दिनों के भीतर रोज़गार न मिले, तो श्रमिकों को बेरोज़गारी भत्ता मिलता है, जो पहले 30 दिनों के लिये न्यूनतम मज़दूरी का एक-चौथाई और उसके बाद न्यूनतम मज़दूरी का आधा होता है।
- विकेंद्रीकृत योजना: योजना में ग्रामीण स्तर पर योजना निर्माण पर ज़ोर दिया गया है। कम-से- कम 50% कार्य ग्राम पंचायतों द्वारा ग्रामसभा की सिफारिशों के आधार पर संचालित किया जाता है।
- निधि साझाकरण: केंद्र सरकार अकुशल श्रम लागत का 100% और सामग्री लागत का 75% वहन करती है, जबकि राज्य सरकारें सामग्री लागत का 25% योगदान करती हैं, जिससे कार्यान्वयन में सहकारी संघवाद सुनिश्चित होता है।
- मज़दूरी भुगतान तंत्र: मज़दूरी को राज्य-विशिष्ट न्यूनतम मज़दूरी दरों से जोड़ा जाता है और पारदर्शिता के लिये सीधे श्रमिकों के बैंक या आधार-लिंक्ड खातों में भुगतान किया जाता है।
- विलंबित भुगतान के लिये प्रतिदिन अवैतनिक मज़दूरी के 0.05% की दर से भत्ता प्रदान किया जाता है, जो मस्टर रोल बंद होने के 16वें दिन से शुरू होता है।
छठा नदी उत्सव | राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स | 27 Sep 2025
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने छठे नदी उत्सव का उद्घाटन किया तथा नदियों के संरक्षण हेतु नागरिकों की सामूहिक ज़िम्मेदारी पर ज़ोर दिया।
- उन्होंने नमामि गंगे परियोजना के महत्त्व को रेखांकित किया, जो नदियों की स्वच्छता बनाए रखने, अतिक्रमण रोकने और धार्मिक तथा सांस्कृतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण पवित्र नदियों के संरक्षण पर केंद्रित है।
मुख्य बिंदु
- उद्देश्य: संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) द्वारा आयोजित नदी उत्सव में नदियों के महत्त्व को आवश्यक जीवनरेखा और सांस्कृतिक जलाशय के रूप में उजागर किया गया।
- उत्सव में नदियों के पर्यावरणीय, सांस्कृतिक और कलात्मक आयामों को उजागर किया गया, जिससे उनकी महत्ता को गहराई से समझने का अवसर मिला।
- कार्यक्रम की अवधि: यह कार्यक्रम 25 से 27 सितंबर 2025 तक दिल्ली में आयोजित किया गया, जिसमें सेमिनार, फिल्म स्क्रीनिंग और प्रदर्शनियाँ शामिल थीं।
- रिवरस्केप डायनेमिक्स: परिवर्तन और निरंतरता शीर्षक वाले सेमिनार में पारंपरिक नदी ज्ञान, नदी देवताओं तथा लोक कथाओं एवं नदियों की कला, शिल्प व विज्ञान में भूमिका पर चर्चा की गई।
- मेरी नदी की कहानी: इस उत्सव में नदियों से जुड़े पर्यावरणीय मुद्दों और मानव संबंधों पर केंद्रित डॉक्यूमेंट्री था फिल्में प्रदर्शित की गईं।
- प्रदर्शित फिल्मों में गोताखोर: लुप्त होते गोताखोर समुदाय, भारत का नदी पुरुष, अर्थ गंगा, मोलाई - जंगल के पीछे का आदमी, कावेरी - जीवन की नदी, और लद्दाख -सिंधु नदी के किनारे जीवन शामिल हैं।
