उत्तराखंड की पंचायती राज संस्थानों को अनुदान | उत्तराखंड | 20 Dec 2025
चर्चा में क्यों?
केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिये 15वें वित्त आयोग की संस्तुतियों के अंतर्गत उत्तराखंड की पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को 94.236 करोड़ रुपये की अनुदान राशि जारी की।
मुख्य बिंदु
- अनुदान आवंटन: केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिये उत्तराखंड के ग्रामीण स्थानीय निकायों (RLB)/पंचायती राज संस्थाओं (PRI) को 15वें वित्त आयोग के तहत 94.236 करोड़ रुपये आवंटित किये हैं।
- अप्रतिबंधित अनुदान: इसमें वित्त वर्ष 2024-25 के अप्रतिबंधित अनुदान की दूसरी किस्त शामिल है, जो 13 ज़िला पंचायतें, 95 ब्लॉक पंचायतें और 7,784 ग्राम पंचायतें सम्मिलित करती है।
- अतिरिक्त राशि जारी करना: वित्त वर्ष 2024-25 की पहली किस्त से रोकी गई 13.60 लाख रुपये की राशि 15 नव पात्र ग्राम पंचायतों को जारी कर दी गई है।
- मंत्रालयों की भूमिका: पंचायती राज मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय (पेयजल एवं स्वच्छता विभाग) अनुदानों की सिफारिश करते हैं, जिन्हें वित्त मंत्रालय वित्त वर्ष के दौरान दो किस्तों में जारी करता है।
- अप्रतिबंधित अनुदानों का उद्देश्य: ये अनुदान RLB/PRI को ग्यारहवीं अनुसूची के 29 विषयों के अंतर्गत स्थानीय आवश्यकताओं को पूरा करने की अनुमति देते हैं, जिसमें वेतन और स्थापना व्यय शामिल नहीं हैं।
- बद्ध अनुदान: बद्ध अनुदान स्वच्छता, खुले में शौच मुक्त वातावरण का रखरखाव, अपशिष्ट प्रबंधन, पेयजल आपूर्ति, वर्षा जल संचयन और जल पुनर्चक्रण जैसी आवश्यक सेवाओं के लिये निर्धारित किये जाते हैं।
- वित्त आयोग: यह संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत गठित एक संवैधानिक निकाय है, जो संघ और राज्यों के बीच वित्तीय संसाधनों के वितरण, कर हस्तांतरण तथा अनुदान सहायता पर सिफारिश करने के लिये उत्तरदायी है।
भेजा-बकौर कोसी पुल परियोजना | राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स | 20 Dec 2025
चर्चा में क्यों?
उत्तरी बिहार में निर्माणाधीन 13.3 किलोमीटर लंबा भेजा–बकौर कोसी पुल अब अपने अंतिम चरण में पहुँच चुका है, जिससे बाढ़-प्रभावित क्षेत्रों में कनेक्टिविटी में गुणात्मक सुधार, यात्रा दूरी में कमी और क्षेत्रीय विकास को गति मिलने की संभावना है।
मुख्य बिंदु
- परियोजना स्थान: भेजा–बकौर कोसी पुल का निर्माण बिहार में कोसी नदी पर किया जा रहा है।
- कोसी नदी: कोसी को प्रायः “बिहार का शोक” कहा जाता है। यह नदी तिब्बती पठार से उद्गमित होकर नेपाल से प्रवाहित होती हुई बिहार के कटिहार ज़िले में कुरसेला के पास गंगा नदी में मिल जाती है।
- रणनीतिक संपर्क: इस पुल के चालू होने से यात्रा दूरी में लगभग 44 किलोमीटर की कमी आएगी, जिससे मधुबनी और सुपौल के बीच NH-27 के माध्यम से पटना के साथ सीधा संपर्क स्थापित होगा।
- क्षेत्रीय वाणिज्य: परियोजना से नेपाल और उत्तर-पूर्वी भारत के लिये निर्बाध परिवहन मार्ग उपलब्ध होने की संभावना है, जिससे सीमा-पार व्यापार तथा क्षेत्रीय वाणिज्य को प्रोत्साहन मिलेगा।
- योजना: यह परियोजना सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा भारत माला परियोजना (चरण-I) के अंतर्गत विकसित की जा रही है।
- निवेश: परियोजना की अनुमानित लागत 1101.99 करोड़ रुपए है।
- परियोजना पूर्णता की समयसीमा: इसे वित्त वर्ष 2026–27 के दौरान पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
- धार्मिक और पर्यटन स्थल: पुल के माध्यम से भगवती उच्चैठ, बिदेश्वर धाम, उग्रतारा मंदिर तथा सिंघेश्वर स्थान जैसे प्रमुख धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों तक आसान कनेक्टिविटी सुनिश्चित होगी।
- परिवर्तनकारी प्रतीक: यह पुल उत्तरी बिहार में दशकों से चली आ रही बाढ़, भौगोलिक अलगाव और अविकास की स्थिति से निकलकर बेहतर संपर्क, समावेशी विकास तथा क्षेत्रीय एकीकरण की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण परिवर्तनकारी प्रतीक है।