झारखंड के विद्यार्थियों ने इंस्पायर प्रदर्शनी में प्रतिनिधित्व किया | झारखंड | 20 Dec 2025
चर्चा में क्यों?
झारखंड के 15 विद्यार्थियों को नई दिल्ली में आयोजित होने वाली राष्ट्रीय-स्तरीय इंस्पायर पुरस्कार–मानक प्रदर्शनी में राज्य का प्रतिनिधित्व करने के लिये चयनित किया गया है।
मुख्य बिंदु
- कार्यक्रम एवं आयोजक: यह आयोजन भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के अंतर्गत संचालित इंस्पायर पुरस्कार–मानक (Million Minds Augmenting National Aspirations and Knowledge) पहल का एक अभिन्न हिस्सा है।
- चयन प्रक्रिया: विद्यार्थियों का चयन राज्य स्तरीय विज्ञान प्रदर्शनी-सह-परियोजना प्रतियोगिता में सहभागिता और प्रदर्शन के उपरांत किया गया है।
- चयनित विद्यार्थियों की संख्या: झारखंड के विभिन्न ज़िलों से कुल 15 विद्यार्थी राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनी में राज्य का प्रतिनिधित्व करेंगे।
- मंच: राष्ट्रीय स्तर की इंस्पायर प्रदर्शनी युवा नवोन्मेषकों को अपनी परियोजनाओं के प्रदर्शन का अवसर प्रदान करती है तथा उन्हें देश के अन्य प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के साथ प्रतिस्पर्द्धा करने का मंच उपलब्ध कराती है।
- उद्देश्य: इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य स्कूली विद्यार्थियों में, विशेष रूप से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में, वैज्ञानिक सोच, रचनात्मक चिंतन तथा नवाचार की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करना है।
- व्यापक योजना: इंस्पायर पुरस्कार–मानक कक्षा 6 से 10 तक के विद्यार्थियों को मौलिक विचारों और समाधान विकसित करने हेतु प्रेरित करने की एक प्रमुख योजना है, जिनका चयन क्रमशः ज़िला, राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं के माध्यम से किया जाता है।
- इंस्पायर पुरस्कार- मानक (MANAK), इसके घटकों में से एक है।

भेजा-बकौर कोसी पुल परियोजना | राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स | 20 Dec 2025
चर्चा में क्यों?
उत्तरी बिहार में निर्माणाधीन 13.3 किलोमीटर लंबा भेजा–बकौर कोसी पुल अब अपने अंतिम चरण में पहुँच चुका है, जिससे बाढ़-प्रभावित क्षेत्रों में कनेक्टिविटी में गुणात्मक सुधार, यात्रा दूरी में कमी और क्षेत्रीय विकास को गति मिलने की संभावना है।
मुख्य बिंदु
- परियोजना स्थान: भेजा–बकौर कोसी पुल का निर्माण बिहार में कोसी नदी पर किया जा रहा है।
- कोसी नदी: कोसी को प्रायः “बिहार का शोक” कहा जाता है। यह नदी तिब्बती पठार से उद्गमित होकर नेपाल से प्रवाहित होती हुई बिहार के कटिहार ज़िले में कुरसेला के पास गंगा नदी में मिल जाती है।
- रणनीतिक संपर्क: इस पुल के चालू होने से यात्रा दूरी में लगभग 44 किलोमीटर की कमी आएगी, जिससे मधुबनी और सुपौल के बीच NH-27 के माध्यम से पटना के साथ सीधा संपर्क स्थापित होगा।
- क्षेत्रीय वाणिज्य: परियोजना से नेपाल और उत्तर-पूर्वी भारत के लिये निर्बाध परिवहन मार्ग उपलब्ध होने की संभावना है, जिससे सीमा-पार व्यापार तथा क्षेत्रीय वाणिज्य को प्रोत्साहन मिलेगा।
- योजना: यह परियोजना सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा भारत माला परियोजना (चरण-I) के अंतर्गत विकसित की जा रही है।
- निवेश: परियोजना की अनुमानित लागत 1101.99 करोड़ रुपए है।
- परियोजना पूर्णता की समयसीमा: इसे वित्त वर्ष 2026–27 के दौरान पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
- धार्मिक और पर्यटन स्थल: पुल के माध्यम से भगवती उच्चैठ, बिदेश्वर धाम, उग्रतारा मंदिर तथा सिंघेश्वर स्थान जैसे प्रमुख धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों तक आसान कनेक्टिविटी सुनिश्चित होगी।
- परिवर्तनकारी प्रतीक: यह पुल उत्तरी बिहार में दशकों से चली आ रही बाढ़, भौगोलिक अलगाव और अविकास की स्थिति से निकलकर बेहतर संपर्क, समावेशी विकास तथा क्षेत्रीय एकीकरण की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण परिवर्तनकारी प्रतीक है।