मध्य प्रदेश में 10वीं शताब्दी की मूर्तियाँ मिलीं | मध्य प्रदेश | 09 Oct 2025
चर्चा में क्यों?
पुरातत्त्वविदों को मध्य प्रदेश के दमोह ज़िले के डोनी गाँव में 10वी–11वीं शताब्दी की 15 दुर्लभ मूर्तियाँ प्राप्त हुई हैं, जो कलचुरी काल की समृद्ध मंदिर वास्तुकला को प्रदर्शित करती हैं।
- इन मूर्तियों ने विशेषज्ञों को आश्चर्यचकित कर दिया है और ये मध्य भारत में मध्ययुगीन मंदिर वास्तुकला के इतिहास को पुनर्परिभाषित कर सकती हैं।
मुख्य बिंदु
- राज्य पुरातत्त्व विभाग (उत्तरी क्षेत्र) ग्वालियर के उप-निदेशक पी.सी. महोबिया के नेतृत्व में एक दल अप्रैल 2025 से इस स्थल का उत्खनन कर रहा है।
- लाल बलुआ पत्थर से निर्मित ये मूर्तियाँ विविध देवी-देवताओं का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिनमें अर्द्धनारीश्वर और नरसिंह जैसी दुर्लभ मूर्तियाँ भी सम्मिलित हैं।
- इन कलाकृतियों की खोज ने इतिहासकारों और विद्वानों का ध्यान आकर्षित किया है, जो मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत में एक महत्त्वपूर्ण योगदान है।
- कलाकृतियाँ:
- नरसिंह मूर्ति: अर्द्ध-मानव, अर्द्ध-सिंह रूप में मिली यह मूर्ति ऊपर से सुरक्षित है, जबकि इसका निचला भाग क्षतिग्रस्त है।
- अर्द्धनारीश्वर मूर्ति: शिव और पार्वती का अद्वितीय संयुक्त रूप, जिसमें नंदी पार्वती को उठाए हुए हैं, जो अत्यंत दुर्लभ चित्रण है।
- अन्य मूर्तियाँ: ब्रह्मा, वायु, नायिका तथा पार्वती की मूर्तियाँ भी उत्खनन में प्राप्त हुई हैं, जो अत्यधिक सूक्ष्मता और कलात्मकता के साथ निर्मित हैं।
- महत्त्व
- ये मूर्तियाँ कलचुरी काल की मंदिर वास्तुकला तथा धार्मिक प्रतीकवाद की उत्कृष्ट झलक प्रस्तुत करती हैं तथा मध्यकालीन हिंदू मूर्तिकला की समझ को और गहराई प्रदान करती हैं।
- विशेष रूप से अर्द्धनारीश्वर की वह अद्वितीय प्रतिमा, जिसमें नंदी को पार्वती को वहन करते हुए दर्शाया गया है, पारंपरिक मूर्तिशिल्प प्रतिमानों को चुनौती देती है और शैक्षणिक अध्ययन के नये आयाम खोलती है।
- लाल बलुआ पत्थर से निर्मित इन मूर्तियों का सांस्कृतिक एवं संभावित आर्थिक मूल्य अत्यंत उच्च माना जा रहा है।
कलचुरी राजवंश
- उत्पत्ति:
- कलचुरियों को हैहय (Haihayas) के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि इनकी उत्पत्ति क्षत्रिय जनजाति से हुई थी।
- इनका उल्लेख ब्राह्मण महाकाव्यों और पुराणों में मिलता है। प्रारंभिक कलचुरी, या महिष्मती के शासक, वर्तमान गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के क्षेत्रों पर शासन करते थे।
- प्रारंभिक शासक:
- उल्लेखनीय प्रारंभिक शासकों में कृष्णराज, शंकरगण और बुद्धराज (550-620 ई.) शामिल हैं। अपने प्रारंभिक उत्थान के बावजूद, कलचुरियों ने वातापी के चालुक्यों तथा वल्लभी के मैत्रकों जैसे शक्तिशाली पड़ोसी राज्यों के विरुद्ध संघर्ष किया, जिसके परिणामस्वरूप उनका पतन हुआ।
- वैवाहिक संबंध:
- अपनी स्थिति सुदृढ़ करने के लिये, कलचुरियों ने पूर्वी और पश्चिमी चालुक्यों के साथ वैवाहिक संबंध बनाए। सैन्य पराजय के बाद भी, इन गठबंधनों ने उनके राजनीतिक अस्तित्व को बचाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- चेदि के कलचुरी:
- चेदि के कलचुरी, जिनकी राजधानी त्रिपुरी (अब जबलपुर) थी, 9वीं शताब्दी में प्रमुख शक्ति के रूप में उभरे।
- इस शाखा के प्रथम प्रभावशाली शासक कोक्कलदेव प्रथम थे, जिन्होंने प्रतिहार सम्राट भोज प्रथम और राष्ट्रकूट नरेश कृष्ण द्वितीय को पराजित किया। इसके परिणामस्वरूप कलचुरियों के राष्ट्रकूटों के साथ वैवाहिक संबंध स्थापित हुए।
- धर्म को शाही संरक्षण:
- कलचुरी शासक, विशेष रूप से युवराज प्रथम, ब्राह्मण धर्म के प्रबल संरक्षक थे और उन्होंने शैव संप्रदाय को विशेष संरक्षण प्रदान किया।
- उन्होंने धार्मिक प्रतिष्ठानों के लिये अनेक भूमि अनुदान दिये और युवराज प्रथम ने दुर्वासा जैसे शैव संतों का समर्थन किया, जिन्होंने गोलकि मठ की स्थापना की।
- कलचुरियों ने शैव, शाक्त, जैन और बौद्ध धर्म सहित विविध धार्मिक परंपराओंको संरक्षण दिया।
- कलचुरियों के समय में योगिनी पंथ प्रचलित था, जिसकी झलक खजुराहो, भेराघाट और शहडोल के मंदिरों में देखी जा सकती है।
विश्व पर्यावास दिवस | राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स | 09 Oct 2025
चर्चा में क्यों?
आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) ने विज्ञान भवन, नई दिल्ली में “संकट के लिये शहरी समाधान” विषय के साथ विश्व पर्यावास दिवस 2025 मनाया।
- इस कार्यक्रम में जलवायु परिवर्तन, प्रवासन और तीव्र शहरीकरण जैसी चुनौतियों से निपटने हेतु शहरों को अधिक लचीला, समावेशी और सतत् बनाने के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया।
मुख्य बिंदु
- पृष्ठभूमि:
- वर्ष 1985 में, संयुक्त राष्ट्र ने अक्तूबर के पहले सोमवार को विश्व पर्यावास दिवस के रूप में घोषित किया।
- यह दिवस पहली बार वर्ष 1986 में "आश्रय मेरा अधिकार है" थीम के साथ मनाया गया था और नैरोबी इसका मेज़बान शहर था।
- उद्देश्य:
- यह दिवस आवास की स्थिति पर विचार करने तथा सभी व्यक्तियों के लिये पर्याप्त आश्रय तक पहुँच के मौलिक अधिकार पर ज़ोर देने के लिये मनाया जाता है।
- विषय 2025:
- 6 अक्तूबर को मनाए जाने वाले विश्व पर्यावास दिवस 2025 का विषय “शहरी संकट प्रतिक्रिया” था।
- यह जलवायु परिवर्तन और संघर्षों जैसी चुनौतियों से उत्पन्न शहरी असमानता को संबोधित करने तथा प्रभावी संकट प्रतिक्रिया उपकरणों और दृष्टिकोणों को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
स्क्रॉल ऑफ ऑनर पुरस्कार
- संयुक्त राष्ट्र मानव पर्यावास कार्यक्रम (UN-Habitat) द्वारा वर्ष 1989 में शुरू किया गया स्क्रॉल ऑफ ऑनर अवार्ड मानव बस्तियों के क्षेत्र में विश्व का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार है।
- यह पुरस्कार निम्नलिखित क्षेत्रों में असाधारण योगदान को मान्यता देता है:
- आश्रय प्रावधान: पर्याप्त और सुलभ आवास।
- निराश्रित लोगों की दुर्दशा पर प्रकाश डालना।
- संघर्षोत्तर पुनर्निर्माण में नेतृत्व।
- शहरी जीवन की गुणवत्ता और मानव बस्तियों में सुधार करना।
93वाँ वायु सेना दिवस | राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स | 09 Oct 2025
चर्चा में क्यों?
एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने 93वें वायुसेना दिवस पर राष्ट्र को शुभकामनाएँ दीं और उन साहसी वायु सैनिकों को सम्मानित किया, जिन्होंने त्याग, समर्पण और कौशल के साथ देश की रक्षा की।
मुख्य बिंदु
- परिचय:
- यह दिवस 8 अक्तूबर 1932 को भारतीय वायु सेना (IAF) की स्थापना के सम्मान में प्रतिवर्ष 8 अक्तूबर को मनाया जाता है।
- भारतीय वायुसेना की पहली परिचालन उड़ान 1 अप्रैल 1933 को हुई, जिसने दशकों से भारत की रक्षा को आकार देने वाली वायु शक्ति की नींव रखी।
- सीमित कार्मिक और विमानों वाली छोटी सेना से भारतीय वायुसेना अब विश्व की चौथी सबसे बड़ी वायु सेना बन गई है, जो विभिन्न सैन्य और मानवीय मिशनों में सक्रिय है।
- आदर्श वाक्य:
- भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य ' नभः स्पर्शं दीप्तम्' है, जो भगवद्गीता के ग्यारहवें अध्याय से लिया गया है।
- विषय:
- समारोह:
- इस वर्ष के समारोह में राफेल, Su-30MKI, C-17 ग्लोबमास्टर, अपाचे गार्जियन और अन्य विमानों के साथ भव्य फ्लाईपास्ट, साथ ही परेड, एयर शो और भारतीय वायुसेना की तकनीकी प्रगति और परिचालन तत्परता को प्रदर्शित करने वाली प्रदर्शनियाँ शामिल थीं, साथ ही प्रतिष्ठित मिग-21 को विदाई दी गई।
- यह परेड उत्तर प्रदेश के हिंडन एयर बेस पर आयोजित की गई।
- हेरिटेज फ्लाइट के भाग के रूप में, पुनर्स्थापित हिंदुस्तान ट्रेनर-2 (HT-2) विमान, जो कि पहला स्वदेशी निर्मित भारतीय वायुसेना का विमान है, को भी पहली बार प्रदर्शित किया गया।
- पारंपरिक फ्लाईपास्ट और हवाई प्रदर्शन 9 नवंबर को गुवाहाटी में आयोजित किया जाएगा, जो इस वर्ष के वायु सेना दिवस समारोह का समापन होगा।