डायमंड लीग 2025 | राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स | 01 Sep 2025
चर्चा में क्यों?
नीरज चोपड़ा स्विट्ज़रलैंड के ज़्यूरिख में आयोजित डायमंड लीग फाइनल में उपविजेता रहे। जर्मनी के जूलियन वेबर ने 91.57 मीटर का थ्रो फेंककर अपना पहला डायमंड लीग खिताब जीता।
मुख्य बिंदु:
- नीरज चोपड़ा का सर्वश्रेष्ठ थ्रो फाइनल राउंड में 85.01 मीटर रहा, जिससे वह केशोर्न वालकॉट (84.95 मीटर) को पीछे छोड़कर तीसरे से दूसरे स्थान पर पहुँच गए।
- यूरोपीय चैंपियन जूलियन वेबर ने दो बार 90 मीटर से अधिक का थ्रो करते हुए प्रतियोगिता पर प्रभुत्व स्थापित किया और विश्व चैंपियनशिप के लिये शीर्ष दावेदार के रूप में अपनी स्थिति सुदृढ़ की।
वांडा डायमंड लीग
- शृंखला का अवलोकन: वर्ष 2010 में आरम्भ की गई वांडा डायमंड लीग एक विशिष्ट वैश्विक एथलेटिक्स प्रतियोगिता है, जिसमें चार महाद्वीपों और 13 देशों में आयोजित 15 प्रतिष्ठित स्पर्द्धाएँ शामिल हैं। यह एथलीटों को प्रमुख चैंपियनशिप के अतिरिक्त खेल की सर्वोच्च उपाधि के लिये प्रतिस्पर्द्धा करने का अवसर प्रदान करती है।
- एथलीट अप्रैल से सितंबर तक आयोजित 14 शृंखला प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं और अपने प्रदर्शन के आधार पर अंक अर्जित करते हैं। प्रत्येक प्रतियोगिता के शीर्ष एथलीट, वाइल्डकार्ड प्रविष्टियों के साथ, दो दिवसीय वांडा डायमंड लीग फाइनल के लिये क्वालीफाई करते हैं।
- वांडा डायमंड लीग फाइनल: ज़्यूरिख में आयोजित यह दो दिवसीय आयोजन विजेता-सब-कुछ ले जाए प्रारूप पर आधारित है। प्रत्येक स्पर्द्धा के विजेताओं को डायमंड ट्रॉफी तथा (निर्धारित शर्तों के अनुसार) वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में वाइल्डकार्ड प्रविष्टि प्रदान की जाती है।
जीबी नगर और श्रावस्ती शिकायत निवारण में अग्रणी | उत्तर प्रदेश | 01 Sep 2025
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली (Integrated Grievance Redressal System) के माध्यम से अपनी शिकायत निवारण रिपोर्ट जारी की, जिसमें उन ज़िलों को हाइलाइट किया गया जहाँ नागरिक संतुष्टि सबसे अधिक थी।
मुख्य बिंदु
- पुलिस शिकायत निवारण: गौतम बुद्ध (जीबी) नगर 98.72% संतुष्ट प्रतिक्रिया दर के साथ शीर्ष पर रहा, इसके बाद पीलीभीत (98.23%), बलिया (96.04%), बस्ती (95.43%) और श्रावस्ती (95.14%) हैं।
- ज़िला मजिस्ट्रेट शिकायत निवारण: श्रावस्ती 90.2% संतुष्टि के साथ अग्रणी रहा, इसके बाद शाहजहाँपुर (89.08%), बलरामपुर (83.44%), हमीरपुर (82.15%) और बरेली (80.11%) हैं।
- पारदर्शिता के लिये तंत्र: जिन अधिकारियों के विरुद्ध शिकायत दर्ज की गई है, उनके द्वारा शिकायतों को बंद नहीं किया जा सकता; वरिष्ठ अधिकारी जैसे ADM, ASP, DCP या DCP-स्तरीय अधिकारी निवारण की समीक्षा करते हैं और सीधे शिकायतकर्त्ताओं के साथ संवाद करते हैं।
उर्जित पटेल IMF में कार्यकारी निदेशक नियुक्त | राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स | 01 Sep 2025
चर्चा में क्यों?
भारत सरकार ने भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में कार्यकारी निदेशक (ED) के रूप में नियुक्त करने को मंजूरी दे दी है।
- वह भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे, जो बांग्लादेश, श्रीलंका और भूटान के साथ चार देशों के निर्वाचन क्षेत्र का अंग है।
- IMF के कार्यकारी बोर्ड में 25 निदेशक होते हैं, जिनका चुनाव सदस्य देशों या देशों के समूहों द्वारा किया जाता है।
मुख्य बिंदु
- मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से तीन वर्ष की अवधि के लिये अथवा अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, उनकी नियुक्ति को मंज़ूरी दी है।
- वह पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार के. वी. सुब्रमण्यन का स्थान लेंगे, जिनका कार्यकाल अनियमितता के आरोपों के कारण छह महीने कम कर दिया गया था।
- भूमिका: IMF में कार्यकारी निदेशक के रूप में, वह निम्नलिखित कार्य करेंगे:
- कार्यकारी बोर्ड का हिस्सा बनना, जो वैश्विक और क्षेत्रीय आर्थिक नीतियों, राष्ट्रीय आर्थिक नीतियों तथा कोष की क्षमता-विकास पहलों पर विचार-विमर्श करता है तथा उन पर प्रभाव डालता है।
- अस्थायी भुगतान-संतुलन समस्याओं के समाधान हेतु सदस्य देशों की वित्तीय सहायता पैकेजों की स्वीकृति में सहयोग प्रदान करना।
- सदस्य देशों के आर्थिक सुधारों और नीतिगत पहलों को दिये जाने वाले IMF के सहयोग की निगरानी में केंद्रीय भूमिका निभाना।
उर्जित पटेल:
- परिचय
- उर्जित पटेल वर्ष 2016 से 2018 तक भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के 24वें गवर्नर रहे। उन्होंने रघुराम राजन के उत्तराधिकारी के रूप में यह दायित्व संभाला। इससे पूर्व वे उप-गवर्नर के पद पर कार्यरत थे, जहाँ उन्होंने मौद्रिक नीति, आर्थिक अनुसंधान और जमा बीमा जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों की देखरेख की थी।
- RBI से त्याग-पत्र देने के बाद उर्जित पटेल ने बीजिंग स्थित एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (AIIB) में निवेश परिचालन के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया। पारिवारिक स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने जनवरी 2024 में इस पद से त्यागपत्र दे दिया।
- जून 2020 से वे राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान (NIPFP) के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं।
- RBI में सुधार:
- उनके नेतृत्व में RBI ने मौद्रिक नीति में महत्त्वपूर्ण सुधार पेश किये, जिनमें ब्याज दरों पर निर्णय लेने के लिये अक्तूबर 2016 में गठित मौद्रिक नीति समिति (MPC) भी शामिल है।
- परिवर्तनीय मुद्रास्फीति लक्ष्य निर्धारण: RBI ने जनवरी 2014 में अनुशंसित परिवर्तनीय मुद्रास्फीति लक्ष्य निर्धारण ढाँचे को अपनाया, जिसमें पटेल ने डिप्टी गवर्नर के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
रेमन मैग्सेसे पुरस्कार 2025 | राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स | 01 Sep 2025
चर्चा में क्यों?
भारत के ग्रामीण और शैक्षिक रूप से वंचित क्षेत्रों में बालिकाओं की शिक्षा हेतु सामुदायिक तथा सरकारी संसाधन जुटाने के लिये समर्पित भारतीय गैर-लाभकारी संगठन 'फाउंडेशन टू एजुकेट गर्ल्स ग्लोबली' को वर्ष 2025 का रेमन मैग्सेसे पुरस्कार प्रदान किया गया है।
- अन्य पुरस्कार विजेताओं में मालदीव की शाहिना अली को उनके पर्यावरण संबंधी कार्य के लिये तथा फिलीपींस के फ्लावियानो एंटोनियो एल. विलानुएवा को गरीबों और हाशिये पर पड़े लोगों के उत्थान के प्रयासों के लिये सम्मानित किया गया है।
मुख्य बिंदु
- एजुकेट गर्ल्स के बारे में:
- इसे फाउंडेशन टू एजुकेट गर्ल्स ग्लोबली के नाम से भी जाना जाता है। इसकी स्थापना वर्ष 2007 में सफीना हुसैन द्वारा की गई थी।
- यह एशिया में नोबेल पुरस्कार के समकक्ष इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को प्राप्त करने वाला पहला भारतीय संगठन है।
- उद्देश्य:
- इस संगठन की शुरुआत राजस्थान से हुई, जिसका उद्देश्य स्कूल न जाने वाली बालिकाओं को कक्षाओं में नामांकन कर महिला निरक्षरता को दूर करना तथा उच्च शिक्षा और रोज़गार तक उनकी सहायता करना है।
- मिशन:
- फाउंडेशन का मुख्य मिशन “वन गर्ल एट अ टाइम” है, जो ज़मीनी स्तर के प्रयासों, सामुदायिक प्रोत्साहन तथा साझेदारी पर आधारित है।
- इसका उद्देश्य गरीबी, घरेलू कार्य जैसे अवरोधों को दूर कर समाज में बालिका शिक्षा के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करना है।
- पहल:
- वर्ष 2015 में एजुकेट गर्ल्स ने शिक्षा क्षेत्र में विश्व का पहला विकास प्रभाव बॉण्ड (DIB) शुरू किया, जिसमें वित्तीय सहायता को मापने योग्य परिणामों से जोड़ा गया। इस पहल से 30,000 गाँवों की 20 लाख से अधिक बालिकाएँ लाभान्वित हुईं।
- संगठन ने 15-29 वर्ष की युवा महिलाओं के लिये एक ओपन स्कूलिंग कार्यक्रम ‘प्रगति’ की भी शुरुआत की, जिसमें प्रतिभागियों की संख्या 300 से बढ़कर 31,500 हो गई। इस पहल ने उन्हें अपनी शिक्षा पूरी करने में महत्त्वपूर्ण सहयोग प्रदान किया।
रेमन मैग्सेसे पुरस्कार
- वर्ष 1958 में स्थापित रेमन मैग्सेसे पुरस्कार उन व्यक्तियों और संगठनों को सम्मानित करता है जिन्होंने जटिल सामाजिक मुद्दों को संबोधित करते हुए एशिया तथा विश्व स्तर पर मानव विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
- पुरस्कार विजेताओं का चयन प्रतिवर्ष रेमन मैग्सेसे पुरस्कार फाउंडेशन (RMAF) द्वारा किया जाता है और उन्हें पदक, प्रमाण-पत्र तथा नकद पुरस्कार प्रदान किया जाता है।
- 67वाँ रेमन मैग्सेसे पुरस्कार समारोह 7 नवंबर, 2025 को मनीला के मेट्रोपॉलिटन थिएटर में आयोजित किया जाएगा।
- उद्देश्य:
- यह पुरस्कार जाति, लिंग या धर्म से परे निःस्वार्थ सेवा और भावना की महानता को मान्यता देने के लिये बनाया गया था तथा एशिया में परिवर्तनकारी नेतृत्व तथा साहस का उत्सव मनाता है।
- श्रेणियाँ:
- वर्ष 1958 से 2008 तक यह पुरस्कार छह श्रेणियों में प्रदान किया गया:
- सरकारी सेवा
- सार्वजनिक सेवा
- सामुदायिक नेतृत्व
- पत्रकारिता, साहित्य और रचनात्मक संचार कला
- शांति और अंतर्राष्ट्रीय समझ
- उभरता नेतृत्व (40 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों के लिये)
- वर्ष 2009 के बाद से यह पुरस्कार किसी निश्चित श्रेणी में नहीं दिया जाता, केवल इमर्जेंट लीडरशिप को छोड़कर, जो फोर्ड फाउंडेशन के सहयोग से जारी है।
NARI 2025 में जयपुर की महिला सुरक्षा रैंकिंग | राजस्थान | 01 Sep 2025
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय वार्षिक रिपोर्ट एवं महिला सुरक्षा सूचकांक (NARI) 2025 में जयपुर को सबसे कम प्रदर्शन करने वाले शहरों में स्थान दिया गया है।
मुख्य बिंदु
- NARI सूचकांक के बारे में:
- पीवैल्यू एनालिटिक्स द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट में भारत के 31 प्रमुख शहरों में महिलाओं की समग्र सुरक्षा भावना, उत्पीड़न के अनुभव तथा दिन और रात के बीच सुरक्षा के अंतर पर सर्वेक्षण किया गया।
- जयपुर का प्रदर्शन:
- जयपुर को 59.1% अंक प्राप्त हुए, जो कि राष्ट्रीय औसत 64.6% से कम है।
- 31 शहरों में जयपुर 25वें स्थान पर रहा, जिससे यह पटना, फरीदाबाद, दिल्ली, कोलकाता, श्रीनगर और राँची जैसे शहरों के साथ सबसे निचले समूह में शामिल हो गया।
- जयपुर की 8% महिलाओं ने बताया कि उन्होंने पिछले वर्ष उत्पीड़न का सामना किया, जो सर्वेक्षण में शामिल सभी शहरों के औसत 7% से अधिक है।
- 31% उत्तरदाताओं ने दिन के समय शहर को अत्यधिक सुरक्षित माना जबकि मात्र 10% ने रात के समय को अत्यधिक सुरक्षित माना।
- 17% ने जयपुर के बुनियादी ढाँचे को "अत्यधिक सुरक्षित" बताया, जबकि 11% ने इसे "सुरक्षित" माना।
- 24% उत्तरदाताओं ने प्रशासन को "अत्यधिक सुरक्षित" माना, जबकि 12% ने प्रशासन को अत्यधिक असुरक्षित माना।
- शीर्ष प्रदर्शनकर्त्ता:
- कोहिमा, विशाखापत्तनम और भुवनेश्वर ने महिला सुरक्षा के मामले में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया तथा इनका प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत से कहीं बेहतर रहा।
घुमंतू और विमुक्त जनजातियों हेतु कल्याण बोर्ड | उत्तर प्रदेश | 01 Sep 2025
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में राज्य स्तरीय ‘विमुक्त जनजाति दिवस’ समारोह के दौरान विमुक्त जनजाति और घुमंतू जनजातियों के लिये एक समर्पित कल्याण बोर्ड बनाने की घोषणा की।
- अब 31 अगस्त को विमुक्त जनजाति दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस वर्ष 1952 में दमनकारी आपराधिक जनजाति अधिनियम के निरसन की स्मृति में मनाया जाता है, जिसने इन समुदायों को अन्यायपूर्ण तरीके से अपराधी घोषित कर उनके अधिकार छीन लिये थे।
मुख्य बिंदु
- कल्याण बोर्ड के बारे में:
- नव गठित बोर्ड से इन समुदायों के लिये आवास, भूमि पट्टे और मतदान के अधिकार प्रदान करने पर विशेष ध्यान दिये जाने की उम्मीद है।
- यह बोर्ड शामली और वनटांगिया मॉडल के समान लाभ प्रदान करने पर केंद्रित होगा, जिसमें भूमि पट्टे, आवासीय कॉलोनियाँ तथा विभिन्न सामाजिक सुरक्षा लाभ शामिल हैं।
- समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण को इस बोर्ड के गठन का कार्य सौंपा गया है।
- आपराधिक जनजाति अधिनियम, 1871:
- ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार ने वर्ष 1871 में आपराधिक जनजाति अधिनियम पारित किया था, जिसके अंतर्गत कुछ जनजातियों को “जन्म से अपराधी” घोषित किया गया और उन्हें निरंतर निगरानी व भेदभाव का शिकार बनाया गया।
- विमुक्त जनजातियाँ और घुमंतू जनजातियों में नट, बंजारा, बावरिया, सासी, कंजड़, कालबेलिया, सपेरा तथा जोगी जैसे समुदाय शामिल हैं, जिनका विदेशी आक्रमणों के विरुद्ध प्रतिरोध का एक लंबा इतिहास रहा है।
- डॉ. भीमराव अंबेडकर के प्रयासों से वर्ष 1952 में आपराधिक जनजाति अधिनियम को निरस्त करने के बाद इन समुदायों को औपचारिक रूप से अपराधी की परिभाषा से मुक्त किया गया।
विमुक्त जनजातियाँ (DNT), घुमंतू जनजातियाँ (NT) और अर्द्ध-घुमंतू जनजातियाँ (SNT)
- परिचय:
- विमुक्त जनजातियाँ' उन समुदायों को कहा जाता है, जिन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा आपराधिक जनजाति अधिनियम, 1871 के अंतर्गत अपराधी घोषित किया गया था।
- भारत सरकार ने वर्ष 1952 में इस अधिनियम को समाप्त कर इन्हें अपराधी की परिभाषा से मुक्त किया गया।
- इन समुदायों में से अनेक घुमंतू प्रकृति के थे।
- घुमंतू और अर्द्ध-घुमंतू समुदाय वे हैं, जो स्थायी रूप से एक स्थान पर न रहकर लगातार भ्रमणशील जीवन जीते हैं।
- अधिकांश DNTs, अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) तथा अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) श्रेणियों में शामिल हैं, किंतु कुछ DNTs किसी भी श्रेणी में सम्मिलित नहीं हैं।
- वितरण:
- विमुक्त जनजातियाँ विभिन्न प्रकार के समुदायों को शामिल करती हैं, जिनकी सांस्कृतिक प्रथाएँ, भाषाएँ और सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियाँ विशिष्ट हैं।
- इन समुदायों में कंजर, नट, पारधी और सपेरा प्रमुख हैं।
- दक्षिण एशिया को विश्व में सबसे बड़ी घुमंतू आबादी वाला क्षेत्र माना जाता है। भारत में लगभग 10% जनसंख्या NTs, SNTs और DNTs से मिलकर बनी है।
- भारत में लगभग 150 विमुक्त जनजातियाँ हैं, जबकि घुमंतू जनजातियों की आबादी में लगभग 500 अलग-अलग समुदाय शामिल हैं।
- प्रमुख समितियाँ/आयोग:
- आपराधिक जनजाति जाँच समिति, 1947 (संयुक्त प्रांत, वर्तमान उत्तर प्रदेश)।
- अनंतशयनम अय्यंगार समिति, 1949 – इसकी अनुशंसा पर आपराधिक जनजाति अधिनियम, 1871 को निरस्त किया गया।
- काका कालेलकर आयोग, 1953 (प्रथम OBC आयोग)
- बी.पी. मंडल आयोग, 1980 – इसने NTs, SNTs और DNTs से संबंधित कुछ सिफारिशें दीं।
- संविधान के कार्यान्वयन की समीक्षा हेतु राष्ट्रीय आयोग (NCRWC), 2002 – इसने माना कि DNTs को गलत रूप से अपराध-प्रवण करार दिया गया है तथा कानून-व्यवस्था और सामान्य समाज के प्रतिनिधियों द्वारा उनके साथ दुर्व्यवहार तथा शोषण किया गया है।
- रेणके आयोग (2005): इस आयोग ने इनकी जनसंख्या का अनुमान उस समय लगभग 10 से 12 करोड़ लगाया था।
विक्रमादित्य वैदिक घड़ी | मध्य प्रदेश | 01 Sep 2025
चर्चा में क्यों?
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 1 सितंबर, 2025 को मुख्यमंत्री निवास पर विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का अनावरण किया तथा इसके मोबाइल ऐप का शुभारम्भ भी किया।
मुख्य बिंदु
- विक्रमादित्य वैदिक घड़ी के बारे में:
- यह पारंपरिक भारतीय कालगणना पद्धति पर आधारित पहली घड़ी है, जिसे फरवरी 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उज्जैन में पुनर्जीवित किया गया था।
- इसमें दिन को मानक 24 घंटे के प्रारूप के बजाए 30 मुहूर्तों (प्रत्येक लगभग 48 मिनट) में विभाजित किया गया है।
- उद्देश्य:
- यह भारत की पारंपरिक समय-निर्धारण पद्धतियों को आधुनिक तकनीकी प्रगति के साथ जोड़ती है, जिसका उद्देश्य समय गणना की प्राचीन प्रणालियों को पुनर्जीवित करना है।
- मोबाइल ऐप की विशेषताएँ:
- यह ऐप 3179 ईसा पूर्व (भगवान कृष्ण-जन्म) से लेकर वर्तमान तक के 7,000 वर्षों के इतिहास को समेटे हुए है, जिसमें महाभारत युग का विवरण भी शामिल है।
- पंचांग, तिथि, नक्षत्र, योग, करण, वार, मास, व्रत और त्योहारों की जानकारी प्रदान करती है।
- धार्मिक गतिविधियों, उपवासों और ध्यान के लिये अलर्ट तथा अनुस्मारक उपलब्ध कराती है।
- 30 घंटे के मुहूर्तों में वैदिक समय, मुहूर्त, सूर्योदय/सूर्यास्त का समय तथा मौसम अपडेट (तापमान, हवा की गति, आर्द्रता) प्रदान करती है।
- यह ऐप 189 से अधिक वैश्विक भाषाओं में उपलब्ध है, जिससे इसकी विश्वव्यापी पहुँच सुनिश्चित होती है।
- महत्त्व:
- एकीकरण: यह घड़ी भारतीय कैलेंडर प्रणाली को एकीकृत करती है और योग, तिथि, नक्षत्र तथा हिंदू त्योहारों के समय जैसे विविध समय-संबंधित पहलुओं की जानकारी देती है।
- सांस्कृतिक विरासत: यह भारत की वैज्ञानिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करती है, जो पारंपरिक ज्ञान तथा आधुनिक प्रौद्योगिकी के संयोजन का प्रतीक है।
- यह एक सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में कार्य करती है, जो वैश्विक मंच पर भारत की समय-निर्धारण प्रणालियों के पुनरुत्थान में योगदान देती है।