छत्तीसगढ़ में विश्व जैव ईंधन दिवस मनाया गया | 14 Aug 2025
चर्चा में क्यों?
10 अगस्त, 2024 को छत्तीसगढ़ जैव ईंधन विकास प्राधिकरण (CBDA) ने दुर्ग ज़िले के गोरही गाँव में विश्व जैव ईंधन दिवस मनाया।
- इस कार्यक्रम में हरित ऊर्जा, ग्रामीण सहभागिता और जैव ईंधन संवर्द्धन पर प्रकाश डाला गया, जिसमें CBDA ने गैर-खाद्य तिलहनों तथा प्रयुक्त खाना पकाने के तेल से सफलतापूर्वक जैव-डीज़ल का उत्पादन किया तथा जैव-जेट ईंधन, बायो-इथेनॉल और हरित हाइड्रोजन के लिये भविष्य की योजनाओं पर भी प्रकाश डाला गया।
मुख्य बिंदु
विश्व जैव ईंधन दिवस के बारे में:
- उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य गैर-जीवाश्म ईंधनों को सतत् ऊर्जा विकल्प के रूप में प्रोत्साहित करने तथा जैव ईंधन उद्योग को बढ़ावा देने हेतु सरकारी पहलों को उजागर करना है।
- यह दिन 9 अगस्त,1893 में को जर्मन इंजीनियर सर रुडोल्फ डीज़ल द्वारा मूंगफली के तेल पर इंजन के सफल संचालन की याद में मनाया जाता है।
- वर्ष 2025 का विषय: "जैव ईंधन : नेट ज़ीरो की ओर एक सतत् मार्ग"
जैव ईंधन:
- परिचय:
- जैव ईंधन पौधों के बायोमास या पशु अपशिष्ट से प्राप्त ईंधन हैं, जो अक्षय ऊर्जा स्रोत माने जाते हैं। सामान्य जैव ईंधनों में शामिल हैं:
- इथेनॉल: मक्का एवं गन्ने जैसे फसल अवशेषों के किण्वन से तैयार किया जाता है, जिसे पेट्रोल के साथ मिलाकर उत्सर्जन कम किया जाता है। सामान्य मिश्रण E-10 (10% एथेनॉल) है।
- जैव-डीज़ल: प्रयुक्त खाना पकाने के तेल, पुनर्नवीनीकृत ग्रीस या पशु वसा से उत्पादित एक जैव-निम्नीकरणीय ईंधन, जो तेल या वसा को अल्कोहल और उत्प्रेरक के साथ अभिक्रिया करके बनाया जाता है।
- जैव ईंधन पौधों के बायोमास या पशु अपशिष्ट से प्राप्त ईंधन हैं, जो अक्षय ऊर्जा स्रोत माने जाते हैं। सामान्य जैव ईंधनों में शामिल हैं:
- महत्त्व:
- पर्यावरणीय लाभ: ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी, संसाधनों का संरक्षण एवं अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार।
- ऊर्जा सुरक्षा: 85% से अधिक तेल आयातित होने के कारण जैव ईंधन भारत की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ा सकता है।
- आर्थिक लाभ: जैव ईंधन तेल आयात को कम कर सकता है तथा कृषि आय में वृद्धि कर सकता है, विशेष रूप से मक्का और गन्ना जैसी अधिशेष फसलों से।
- प्रचुर उपलब्धता: जैव ईंधन का उत्पादन फसलों, अपशिष्ट और शैवाल से किया जा सकता है।
नोट:
- भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता (अमेरिका और चीन के बाद) है।
- भारत का लक्ष्य वर्ष 2025 तक 20% इथेनॉल मिश्रण हासिल करना है।
- पहली 2G इथेनॉल परियोजना का उद्घाटन वर्ष 2022 में हरियाणा के पानीपत में किया गया।
- 2G इथेनॉल एक जैव ईंधन है, जो कृषि अवशेषों और अपशिष्ट जैसे गैर-खाद्य स्रोतों से उत्पादित होता है।