उत्तर प्रदेश में अपराध दर राष्ट्रीय औसत से कम | 30 Sep 2025
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) 2023 की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, पंजीकृत मामलों की अधिक संख्या होने के बावजूद, उत्तर प्रदेश ने प्रति लाख जनसंख्या पर अपराध दर के मामले में राष्ट्रीय औसत से बेहतर प्रदर्शन किया है।
प्रमुख निष्कर्ष
- राष्ट्रीय औसत बनाम उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन:
- भारत की कुल अपराध दर: प्रति लाख जनसंख्या पर 448.3
- उत्तर प्रदेश: प्रति लाख जनसंख्या पर 335.3 (राष्ट्रीय औसत से 25% से अधिक कम)।
- उत्तर प्रदेश का विवरण:
- 24 करोड़ की जनसंख्या वाले उत्तर प्रदेश में भारतीय दंड संहिता (IPC) और विशेष एवं स्थानीय कानूनों (SLL) के तहत 7.93 लाख मामले दर्ज किये गए।
- अपराध दर के मामले में यह राज्य 28 राज्यों और 8 केंद्रशासित प्रदेशों में 11वें स्थान पर है।
- अन्य राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों से तुलना:
- केरल: सर्वोच्च अपराध दर, प्रति लाख 1,631.2
- दिल्ली (केंद्रशासित प्रदेश): प्रति लाख जनसंख्या पर 1,602
- वर्ष-दर-वर्ष तुलना (2022 बनाम 2023):
- भारत 2022: प्रति लाख 258
- उत्तर प्रदेश 2022: 71.6 प्रति लाख (4.01 लाख मामलों के साथ 18वें स्थान पर)।
- केरल वर्ष 2022 में भी शीर्ष पर रहा (661 प्रति लाख)।
- वर्ष 2023 में राष्ट्रीय स्तर और उत्तर प्रदेश दोनों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, लेकिन उत्तर प्रदेश अभी भी राष्ट्रीय औसत से कम है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB)
- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की स्थापना वर्ष 1986 में अपराध और अपराधियों से संबंधित जानकारी का भंडार तैयार करने के लिये की गई थी ताकि टंडन समिति, राष्ट्रीय पुलिस आयोग (1977-1981) और गृह मंत्रालय (MHA) टास्कफोर्स (1985) की सिफारिशों के आधार पर अपराध को अपराधियों से जोड़ने में जाँचकर्त्ताओं की सहायता की जा सके।
- यह गृह मंत्रालय का एक अंग है और इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
- NCRB भारतीय और विदेशी अपराधियों के फिंगरप्रिंट रिकॉर्ड के लिये एक "राष्ट्रीय भंडार" के रूप में भी कार्य करता है और फिंगरप्रिंट खोज के माध्यम से अंतरराज्यीय अपराधियों का पता लगाने में सहायता करता है।
- NCRB के चार खंड हैं: अपराध और अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम (CCTNS), अपराध सांख्यिकी, फिंगरप्रिंट और प्रशिक्षण।
- NCRB के प्रकाशन:
- क्राइम इन इंडिया, आकस्मिक मृत्यु और आत्महत्याएँ, प्रिज़न स्टेटिस्टिक्स, और भारत में लापता महिलाओं और बच्चों पर रिपोर्ट।
- ये प्रकाशन न केवल पुलिस अधिकारियों के लिये बल्कि अपराधशास्त्रियों, शोधकर्त्ताओं, मीडिया और नीति-निर्माताओं के लिये भी अपराध संबंधी आँकड़ों का मुख्य संदर्भ स्रोत हैं, और यह केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी उपयोगी हैं।