उत्तर प्रदेश में 'गुड सेमेरिटन' पहल शुरू | 07 Oct 2025
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने 'गुड सेमेरिटन' पहल के तहत 'राहवीर' नामक सहायकों के लिये एक पुरस्कार कार्यक्रम शुरू किया है, जिसके तहत उन व्यक्तियों को सम्मानित किया जाता है, जो सड़क दुर्घटना पीड़ितों को "सुनहरे घंटे" (Golden Hour) के भीतर अस्पताल पहुँचाने में सहायता करते हैं।
- यद्यपि यह पहल केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा तैयार की गई है, लेकिन दुर्घटना पीड़ितों को त्वरित सहायता प्रदान करने के लिये इसे पूरे भारत में राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है।
- मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के अनुसार, 'गुड सेमेरिटन' वह व्यक्ति होता है, जो सद्भावनापूर्वक तथा बिना किसी पुरस्कार की अपेक्षा के, दुर्घटना के बाद आपातकालीन चिकित्सीय या गैर-चिकित्सीय सहायता प्रदान करता है या पीड़ितों को अस्पताल तक पहुँचाता है।
मुख्य बिंदु
- योजना के बारे में:
- यह योजना उन व्यक्तियों को मान्यता देती है और पुरस्कृत करती है जो "गोल्डन ऑवर" के दौरान प्रथम प्रतिक्रियाकारक (First Responder) के रूप में कार्य करते हैं।
- गोल्डन ऑवर किसी आघात के तुरंत बाद का पहला महत्त्वपूर्ण घंटा होता है, जब तत्काल चिकित्सीय सहायता से जान बचाई जा सकती है।
- वर्ष 2023 में, सड़क दुर्घटनाओं में 1.5 मिलियन लोगों की मृत्यु हो गई। जिनमें से कई की जीवन रक्षा संभव थी यदि उन्हें गोल्डन ऑवर के भीतर शीघ्र चिकित्सा सुविधा मिल जाती।
- गोल्डन आवर की अवधारणा मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 2(12A) के तहत उजागर की गई है, जो तात्कालिक चिकित्सीय हस्तक्षेप की आवश्यकता को दर्शाती है।
- सम्मान और पुरस्कार:
- प्रत्येक घटना के प्रथम प्रतिक्रियाकर्त्ता को ‘राहवीर’ प्रमाण-पत्र के साथ 25,000 रुपये का प्रोत्साहन दिया जाएगा।
- यदि एक से अधिक प्रतिक्रियाकर्त्ता किसी पीड़ित की सहायता करते हैं, तो पुरस्कार राशि समान रूप से वितरित की जाएगी।
- पात्रता:
- यह योजना मोटर वाहनों से संबंधित बड़ी सड़क दुर्घटनाओं पर लागू होती है, जहाँ पीड़ितों को गंभीर चोटें आती हैं, जिसके लिये उन्हें तीन दिन से अधिक समय तक अस्पताल में भर्ती रहने की आवश्यकता होती है या वे मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी की चोटों से पीड़ित होते हैं।
- यदि उपचार के दौरान पीड़ित की मृत्यु हो जाती है, तो भी प्रथम प्रतिक्रियाकर्त्ता पुरस्कार के पात्र होंगे।
- पारदर्शिता और सत्यापन:
- उत्तर प्रदेश पुलिस अस्पताल के सहयोग से प्रत्येक बचावकर्त्ता के विवरण का सत्यापन करेगी।
- पुष्टि के पश्चात्, ज़िला स्तर की समिति, ज़िला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में, मान्यता-पत्र जारी करेगी और पुरस्कार प्रक्रिया को संपन्न करेगी।
- प्रभाव:
- इस पहल से अधिक नागरिकों को बिना कानूनी जटिलताओं या हिचकिचाहट के दुर्घटना पीड़ितों की मदद करने के लिये प्रेरित करने की उम्मीद है।
- पहले अनेक लोग पुलिस या कानूनी समस्याओं के डर से मदद करने से बचते थे।
- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) 2023 के अनुसार, उत्तर प्रदेश में भारत में सड़क दुर्घटना में सबसे अधिक मृत्यु दर्ज की गईं, वर्ष 2023 में 22,532 मृत्यु हुईं, जो राष्ट्रीय सड़क मृतकों का 14% है।