उत्तर प्रदेश में व्यावसायिक सुधार लागू | 30 Oct 2025
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने व्यावसायिक परिवेश में सुधार के लिये महत्त्वपूर्ण निर्णयों को स्वीकृति प्रदान की है, जिनमें सामान्य व्यावसायिक अपराधों को अपराध मुक्त करने के लिये अध्यादेश तथा पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन निदेशालय की स्थापना शामिल है।
मुख्य बिंदु
- व्यापार अपराधों का गैर-अपराधीकरण:
- उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश सुगम्य व्यापार (व्यापार करने में सरलता) संशोधन अध्यादेश, 2025 पारित किया है, जो सामान्य व्यावसायिक अपराधों को अपराध मुक्त करने का प्रावधान करता है।
- अब अवैध तालाबंदी, छंटनी और अपंजीकृत व्यवसाय चलाने जैसे उल्लंघनों के लिये कारावास के प्रावधानों को मौद्रिक जुर्माना तथा प्रशासनिक दंड से परिवर्तित दिया गया है।
- अध्यादेश में कारखाना अधिनियम, दुकान एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम, मोटर परिवहन श्रमिक अधिनियम और ठेका श्रम अधिनियम सहित 13 औद्योगिक एवं व्यावसायिक कानूनों में संशोधन किया गया है।
- प्रशासनिक न्याय निर्णयन प्रक्रिया अब आपराधिक अदालती कार्यवाही का स्थान लेगी, जैसा कि गन्ना अधिनियम, 1953 में विवाद समाधान को सुव्यवस्थित करने के लिए देखा गया है।
- ऐसे मामलों में गिरफ्तारी की अनुमति देने वाले प्रावधान, जिनमें अब कारावास की सज़ा नहीं होती, जैसे कि अग्नि निवारण और आपातकालीन सेवा अधिनियम, 2022 के तहत, को प्रशासनिक दंड से परिवर्तित दिया गया है।
- इस कदम से विनियामक भार में कमी, व्यापार में सुगमता तथा राज्य में निवेशकों का विश्वास बढ़ने की संभावना है।
- पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन निदेशालय का गठन:
- उत्तर प्रदेश ने पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन निदेशालय की स्थापना की है, जो भारत में राज्य स्तर पर इस तरह का पहला निदेशालय है।
- यह निदेशालय पर्यावरण संरक्षण, सतत् विकास पर ध्यान केंद्रित करेगा और राज्य को पेरिस समझौते तथा COP28 परिणामों के तहत भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं के अनुरूप बनाने में मदद करेगा।
- इस पहल से उत्तर प्रदेश जलवायु प्रशासन में सबसे सक्रिय राज्यों में से एक बन गया है और यह वर्ष 2070 तक भारत के नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्य में योगदान देने का लक्ष्य रखता है।