सरिस्का वन्यजीव अभयारण्य का विस्तार | 14 Nov 2025

चर्चा में क्यों? 

राजस्थान सरकार ने नियामक समीक्षा और अनुमोदन के उपरांत सरिस्का वन्यजीव अभयारण्य के बफर ज़ोन का विस्तार करते हुए उसमें 44,000 हेक्टेयर से अधिक अतिरिक्त क्षेत्र को इसमें शामिल कर दिया है।

मुख्य बिंदु

  • विस्तार के बारे में:
    • इस विस्तारित क्षेत्र को बफर ज़ोन के रूप में अधिसूचित किया गया है, जिसमें मुख्य क्षेत्र के आसपास स्थित वन भूमि और राजस्व भूमि को एकीकृत किया गया है। 
    • यह विस्तार सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्देश के पश्चात किया गया है जिसमें महत्त्वपूर्ण बाघ आवास (CTH) की सीमाओं और उसकी संपर्कता की समीक्षा अनिवार्य की गई थी। 
  • सरिस्का वन्यजीव अभयारण्य
    • यह राजस्थान के अलवर ज़िले में स्थित है और अरावली पर्वतमाला का हिस्सा है, जिसमें शुष्क पर्णपाती वन तथा चट्टानी भूभाग पाए जाते हैं।
    • इसे वर्ष 1955 में वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया गया और वर्ष 1978 में प्रोजेक्ट टाइगर के अंतर्गत टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया।
    • यह वर्ष 2004 में स्थानीय विलुप्ति के पश्चात सफल बाघ पुन:प्रवेश कार्यक्रम के लिये प्रसिद्ध है, जिसके तहत बाघों को रणथंभौर से स्थानांतरित किया गया। 
      • यह क्षेत्र सरिस्का–रणथंभौर परिदृश्य को जोड़ने वाला एक महत्त्वपूर्ण वन्यजीव गलियारा बनाता है, जो दीर्घकालिक बाघ संरक्षण में सहायक है।
    • इसके प्रमुख वन्यजीवों में बंगाल टाइगर, तेंदुआ, धारीदार लकड़बग्घा, कैराकल, सांभर, चीतल, नीलगाय, जंगली सूअर, लंगूर तथा विविध पक्षी प्रजातियाँ शामिल हैं।
    • इसमें घाटियाँ, पठार, मौसमी धाराएँ (नाले) तथा सिलिसेढ़ और मानसरोवर जैसी झीलें हैं, जो आवास (habitat) को पोषण प्रदान करती हैं।
    • अभयारण्य में कांकवारी किला जैसी एतिहासिक संरचनाएँ भी स्थित हैं, जो इसके सांस्कृतिक महत्त्व में वृद्धि करती हैं।