प्रोजेक्ट अलंकार | 27 May 2025

चर्चा में क्यों?

नई दिल्ली में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित बैठक के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की शैक्षिक सुधार पहल 'प्रोजेक्ट अलंकार' की व्यापक रूप से सराहना की गई।

मुख्य बिंदु

    • प्रोजेक्ट अलंकार के बारे में:
      • इसे 1 अक्तूबर 2021 को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लॉन्च किया गया था।

      • इसका लक्ष्य 2,441 सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में 35 बुनियादी ढाँचे और सुविधा मानदंडों का 100% अनुपालन सुनिश्चित करना है।

      • इसका प्राथमिक लक्ष्य राज्य के विद्यार्थियों के लिये अधिक अनुकूल, समावेशी और आधुनिक शिक्षण वातावरण तैयार करना है।

    • विशेषताएँ:
      • नवनिर्मित कक्षाओं, विज्ञान प्रयोगशालाओं, पुस्तकालयों, कंप्यूटर प्रयोगशालाओं और स्मार्ट कक्षाओं सहित भौतिक बुनियादी ढाँचे का उन्नयन।
      • स्वच्छ पेयजल और स्वच्छ शौचालय जैसी आवश्यक सुविधाओं का प्रावधान, विशेष रूप से लड़कियों की स्वच्छता सुविधाओं पर ध्यान केंद्रित करना।
    • योजना के अंतर्गत विशिष्ट विद्यालयों का विकास:
      • मुख्यमंत्री आदर्श विद्यालय (प्री-प्राइमरी से कक्षा 12 तक) और मुख्यमंत्री अभ्युदय विद्यालय (प्री-प्राइमरी से कक्षा 8 तक) भी विकसित किये जा रहे हैं। 
      • इन स्कूलों में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) प्रयोगशालाएँ, कंप्यूटर प्रयोगशालाएँ आदि सहित अत्याधुनिक सुविधाएँ हैं।
      • प्रत्येक अभ्युदय स्कूल में 450 विद्यार्थियों की क्षमता है तथा विकास के लिये 1.42 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं।
      • 7 ज़िलों में 141 संस्कृत विद्यालयों का नवीनीकरण और आधुनिकीकरण, उनके पुनरुद्धार के लिये 14.94 करोड़ रुपए की समर्पित निधि।
    • वित्तपोषण और कार्यान्वयन:
      • प्रोजेक्ट अलंकार के वित्तपोषण स्रोतों में राज्य सरकार, समग्र शिक्षा अभियान, ग्राम पंचायतें, शहरी स्थानीय निकाय, कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) योगदान और स्वैच्छिक दान शामिल हैं।
      • कार्यान्वयन की कड़ी निगरानी ज़िला मजिस्ट्रेटों की अध्यक्षता वाली ज़िला स्तरीय समितियों द्वारा की जाती है तथा राज्य शिक्षा निदेशक इसकी देखरेख करते हैं।
    • प्रभाव और परिणाम:
      • वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (ASER) 2024 के अनुसार, वर्ष 2022-23 और 2024-25 के बीच सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में नामांकन में 23% की वृद्धि हुई।
      • प्राथमिक विद्यालय में उपस्थिति (कक्षा 1-5) वर्ष 2010 से 2024 तक 11.5% बढ़ी, जबकि उच्च प्राथमिक उपस्थिति (कक्षा 6-8) वर्ष 2018 और 2024 के बीच 9.6% बढ़ी - जो देश में सबसे अधिक है।
      • स्कूल पुस्तकालयों के उपयोग में 55.2% की वृद्धि हुई तथा बालिकाओं की शौचालय सुविधाओं तक पहुँच में 54.4% सुधार हुआ, जो बेहतर स्वच्छता और शिक्षण सहायता को दर्शाता है।

समग्र शिक्षा अभियान 

  • परिचय: केंद्रीय बजट 2018-19 में प्रस्तुत, समग्र शिक्षा एक व्यापक कार्यक्रम है जिसके अंतर्गत समान शिक्षण परिणाम सुनिश्चित करने के उद्देश्य से प्री-नर्सरी से बारहवीं कक्षा तक के सभी पहलुओं को शामिल किया गया है।
  • प्रमुख विशेषताएँ:
    • योजनाओं का एकीकरण: इसमें पहले की तीन योजनाएँ सम्मिलित हैं:
      • सर्व शिक्षा अभियान (SSA): सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा पर केंद्रित।
      • राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA): इसका उद्देश्य माध्यमिक शिक्षा है।
      • शिक्षक शिक्षा (TE): शिक्षकों के प्रशिक्षण पर केंद्रित।
    • क्षेत्र-व्यापी विकास दृष्टिकोण: इस अभियान के अंतर्गत खंडित परियोजना-आधारित उद्देश्यों के स्थान पर सभी स्तरों (राज्य, ज़िला और उप-ज़िला) पर कार्यान्वयन को सुव्यवस्थित किया गया है।
    • सतत् विकास लक्ष्यों के साथ संरेखण: लैंगिक असमानताओं को समाप्त करते हुए और सुभेद्य समूहों (SDG 4.1) के लिये पहुँच सुनिश्चित करते हुए निःशुल्क, समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित की जाती है (SDG 4.5)
    • कार्यान्वयन: यह केंद्र प्रायोजित योजना (CSS) है, जिसका कार्यान्वयन राज्य/संघ राज्य क्षेत्र स्तर पर एकल राज्य कार्यान्वयन सोसायटी (SIS) के माध्यम से किया जाता है।
      • SIS एक राज्य-पंजीकृत निकाय है जो CSS और विकास कार्यक्रमों का क्रियान्वन करता है।