राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2025 | 26 Aug 2025
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश से मधुरिमा तिवारी (मिर्ज़ापुर) और रामलाल सिंह यादव (भदोही) का चयन वर्ष 2025 में राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार हेतु किया गया है। यह पुरस्कार उन्हें शिक्षक दिवस (5 सितंबर, 2025) के अवसर पर प्रदान किया जाएगा।
- शिक्षक दिवस, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1888-1975) की जयंती के रूप में मनाया जाता है।
मुख्य बिंदु
राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के बारे में:
- वर्ष 1958 में स्थापित ये पुरस्कार शिक्षा मंत्रालय (MoE) की देखरेख में भारत के राष्ट्रपति अथवा उपराष्ट्रपति द्वारा प्रतिवर्ष शिक्षक दिवस (5 सितंबर) पर प्रदान किये जाते हैं।
- यह पुरस्कार देश के असाधारण शिक्षकों को शिक्षा की गुणवत्ता तथा छात्र विकास में सुधार लाने में उनके योगदान के लिये प्रदान किये जाते हैं।
- इसमें योग्यता प्रशस्ति-पत्र, 50,000 रुपए का नकद पुरस्कार और एक रजत पदक प्रदान किया जाता है।
- राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2025: भारत के 45 शिक्षकों को वर्ष 2025 में उनके समर्पण, नवाचार, छात्र नामांकन में सुधार, ड्रॉपआउट दर को कम करने तथा रचनात्मक शिक्षण विधियों की शुरुआत करने में योगदान हेतु सम्मानित किया जाएगा।
- महत्त्व: यह पुरस्कार प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों के उल्लेखनीय प्रयासों को मान्यता देता है, जिनके माध्यम से शिक्षा व्यवस्था में सुधार, विद्यार्थियों को प्रेरणा तथा समाज में सार्थक परिवर्तन संभव होता है।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
- जन्म:
- इनका जन्म 5 सितंबर, 1888 को तमिलनाडु के तिरुत्तनी नगर में एक तेलुगु परिवार में हुआ।
- शैक्षणिक उपलब्धियाँ:
- इन्होंने कई प्रतिष्ठित पदों पर कार्य किया, जिनमें सम्मिलित हैं—कलकत्ता विश्वविद्यालय में किंग जॉर्ज पंचम चेयर (1921-1932), आंध्र विश्वविद्यालय के दूसरे कुलपति (1931-1936) और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के चौथे कुलपति (1939-1948)।
- इसके अतिरिक्त, वर्ष 1936 से 1952 तक ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में ईस्टर्न रिलीजन एंड एथिक्स के प्रोफेसर रहे।
- राजनीतिक जीवन:
- उन्होंने वर्ष 1952 से 1962 तक भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति और वर्ष 1962 से 1967 तक भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया।
- दार्शनिक योगदान:
- दार्शनिक क्षेत्र में इन्हें भारत और पश्चिम के बीच सेतु-निर्माता के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- सम्मान:
- वर्ष 1984 में उन्हें मरणोपरांत (मृत्यु के बाद) भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
- वर्ष 1931 में ब्रिटेन के तत्कालीन सम्राट किंग जॉर्ज पंचम द्वारा उल्लेखनीय शैक्षणिक योगदान हेतु इन्हें नाइटहुड से सम्मानित किया गया।