बिहार में राष्ट्रीय मखाना बोर्ड का शुभारंभ | 16 Sep 2025
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय बजट 2025 के तहत बिहार के पूर्णिया में राष्ट्रीय मखाना बोर्ड का उद्घाटन किया।
मुख्य बिंदु
- राष्ट्रीय मखाना बोर्ड के बारे में:
- इस नए बोर्ड का उद्देश्य मखाना क्षेत्र को सशक्त करना, इसके उत्पादन और प्रसंस्करण को बढ़ाना तथा वैश्विक स्तर पर इसके निर्यात की पहुँच का विस्तार करना है।
- लागत:
- सरकार ने इन प्रयासों को समर्थन देने के लिये 475 करोड़ रुपये के विकास पैकेज को स्वीकृति दी है।
- मुख्य क्षेत्र: राष्ट्रीय मखाना बोर्ड मखाना क्षेत्र की वृद्धि के लिये निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान देगा:
- उत्पादन मानकों में वृद्धि
कटाई के बाद के प्रबंधन में सुधार - नवोन्मेषी प्रौद्योगिकियों का परिचय
- मूल्य संवर्द्धन
- प्रभावी विपणन और निर्यात तंत्र विकसित करना
- किसान-उत्पादक संगठनों की सहायता करना, ताकि वे केंद्रीय योजनाओं तक पहुँच बना सकें
- उत्पादन मानकों में वृद्धि
- उपयुक्त भौगोलिक स्थिति:
- बिहार भारत के कुल मखाना उत्पादन में लगभग 90% योगदान देता है। यहाँ लगभग 15,000 हेक्टेयर क्षेत्र में मखाना की खेती होती है, जिससे प्रतिवर्ष करीब 10,000 टन मखाने का उत्पादन होता है।
- यह उत्पादन मुख्यतः मिथिलांचल क्षेत्र में केंद्रित है, जिसमें बिहार के उत्तर और पूर्वी हिस्से के 9 ज़िले शामिल हैं।
- मधुबनी, दरभंगा और पूर्णिया जैसे ज़िलों की आर्द्रभूमि (wetland) पारिस्थितिकी मखाना की खेती के लिये आदर्श है।
प्रभाव (Impact) |
चुनौतियाँ (Challenges) |
बाज़ार में वृद्धि की संभावना: बेहतर ग्रेडिंग, पैकेजिंग और ब्रांडिंग से मिथिला मखाना एक प्रीमियम अंतर्राष्ट्रीय उत्पाद बनाया जा सकता है, जिससे किसानों की आय बढ़ेगी। |
कम उत्पादकता: खेती श्रम-प्रधान है और उच्च उत्पादक किस्मों को अपनाने की गति धीमी है। |
मल्लाह समुदाय को सहयोग: पारंपरिक रूप से हाशिये पर रहे मल्लाह समुदाय को सामाजिक-आर्थिक उत्थान और रोज़गार उपलब्ध होंगे। |
प्रसंस्करण इकाइयों का अभाव: सीमित स्थानीय बुनियादी ढाँचे के कारण कच्चे मखाने को अन्य राज्यों में कम मूल्य पर बेचना पड़ता है। |
आर्थिक विविधीकरण: विस्तारित हवाई अड्डों जैसे नए निर्यात बुनियादी ढाँचे द्वारा समर्थित कृषि और खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा मिलेगा। |
निर्यात अवरोध: कार्गो सुविधाओं और निर्यात केंद्रों की कमी से प्रसंस्करण अन्य राज्यों में होता है, जिससे वैश्विक पहुँच सीमित रहती है |
उत्पादकता पर ध्यान: सुवर्ण वैदेही और सबौर मखाना-1 जैसी उच्च उत्पादक किस्मों को बढ़ावा दिया जा रहा है। |
निर्यात प्रयास: विदेशों में छोटी खेपें भेजी गईं, लेकिन बड़े पैमाने पर वैश्विक उपस्थिति अभी भी कम है। |
मखाना
- मखाना, जिसे फॉक्स नट भी कहा जाता है, Euryale ferox नामक जलीय पौधे से प्राप्त होता है, जो दक्षिण और पूर्वी एशिया के ताज़े पानी वाले तालाबों में उगता है।
- कच्चे गहरे बीज के कारण इसे अक्सर ‘ब्लैक डायमंड’ भी कहा जाता है, जो फूटने पर सफेद हो जाता है।
- मखाना कैलोरी और वसा में कम किंतु पौध-आधारित प्रोटीन में समृद्ध होता है, साथ ही इसमें आहारीय फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट तथा मैग्नीशियम, पोटैशियम एवं फॉस्फोरस जैसे आवश्यक खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
- मखाना सदियों से हिंदू धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल रहा है।