खजुराहो नृत्य महोत्सव के 50 वर्ष पूरे | 22 Feb 2024

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने खजुराहो नृत्य महोत्सव की स्वर्ण जयंती (50वें संस्करण) कार्यक्रम का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर 1484 कलाकारों ने सबसे अधिक संख्या में कलाकारों के साथ सबसे बड़े कथक नृत्य प्रदर्शन का नया विश्व रिकॉर्ड बनाया।

मुख्य बिंदु:

  • प्रसिद्ध विश्व धरोहर स्थल पर 'कथक कुंभ' का रिकॉर्ड स्थापित करने वाला (विश्व रिकॉर्ड) प्रदर्शन उज्जैन तथा ग्वालियर आयोजनों के बाद लगातार तीसरा प्रदर्शन है, जिसे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड द्वारा भी दर्ज और मान्यता दी गई है।
    • उज्जैन में 11 लाख 71 हज़ार 78 दीये जलाये गए।
    • जबकि ग्वालियर के तानसेन समारोह में ग्वालियर किले में ताल दरबार के दौरान कुल 1600 की संख्या में तबला कलाकारों ने एक साथ ताल बजाई।
  • सीएम ने खजुराहो में आदिवासी और लोक कलाओं के प्रशिक्षण के लिये देश का पहला गुरुकुल स्थापित करने की घोषणा की।
  • खजुराहो नृत्य महोत्सव (KDF) का आयोजन प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला के मार्गदर्शन में सांस्कृतिक एवं पर्यटन विभाग द्वारा किया जा रहा है।
  • KDF ने इस कार्यक्रम को भगवान नटराज महादेव को समर्पित करने का फैसला किया है, जिन्हें अक्सर 'नृत्य के देवता' के रूप में जाना जाता है। यह विशेष शिव अवतार दर्शाता है कि कैसे नृत्य भगवान के साथ सीधे संपर्क का एक पवित्र माध्यम है।
  • प्रसिद्ध नृत्य गुरु राजेंद्र गंगानी की कोरियोग्राफी में प्रदेश के विभिन्न शहरों से आए कलाकारों ने राग बसंत में मनमोहक प्रस्तुति दी।
  • गुरुकुल में वरिष्ठ विशेषज्ञों और 'गुरुओं' की सहायता से विशेष शिल्प, नेतृत्व, गायन, संगीत, चित्रकला, क्षेत्रीय साहित्य सिखाने के पाठ्यक्रमों के साथ आदिवासी तथा ग्रामीण समुदायों की पारंपरिक कलाओं में प्रशिक्षण के इच्छुक उम्मीदवारों के लिये सभी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएंगी।

खजुराहो नृत्य महोत्सव

  • खजुराहो नृत्य महोत्सव की शुरुआत वर्ष 1975 में की गई थी और तब से आज तक मध्य प्रदेश शासन के संस्कृति विभाग के अंतर्गत उस्ताद अलाउद्दीन खाँ संगीत एवं कला अकादमी द्वारा इसका सफल आयोजन निरंतर किया जाता रहा है। तब से लेकर आज तक यह नृत्य समारोह खजुराहो के सुप्रसिद्ध मंदिरों के प्रांगण में आयोजित होता आ रहा है।
  • खजुराहो नृत्य महोत्सव में अब तक भारत की सभी प्रमुख शास्त्रीय नृत्य शैलियों जैसे भरतनाट्यम, ओडीसी, कथक, मोहिनीअटेम, कुचिपुड़ी, कथकली, यक्षगान, मणिपुरी आदि के युवा और वरिष्ठ कलाकार अपनी कला की आभा बिखेर चुके हैं।
  • महोत्सव के माध्यम से नृत्य में शास्त्रीयता की गरिमा बनाए रखने के साथ नवाचार करने का प्रयास किया जाता रहा है।