काशी तमिल संगमम 4.0 | 04 Dec 2025

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संयुक्त रूप से वाराणसी में काशी तमिल संगमम (KTS 4.0) के चौथे संस्करण का उद्घाटन किया, जो काशी और तमिलनाडु के मध्य विद्यमान ऐतिहासिक सांस्कृतिक सेतु के पुनर्स्मरण का द्योतक है।

मुख्य बिंदु

  • उत्पत्ति और विकास:
    • वर्ष 2022 में आज़ादी का अमृत महोत्सव के दौरान प्रारंभ किये गए इस संगम का उद्देश्य भारत की गहन सांस्कृतिक विरासत की पुनर्पुष्टि करना तथा काशी और तमिल प्रदेश के बीच प्राचीन काल से चले आ रहे विचार, आध्यात्मिकता तथा संस्कृति-आदान–प्रदान का उत्सव मनाना है।
    •  वर्ष 2022 के बाद संगम के संस्करणों का क्रमिक विस्तार हुआ है—KTS 1.0 (आधार), KTS 2.0 (वृहद जनभागीदारी, वास्तविक समय तमिल अनुवाद, उच्च प्रदर्शनियाँ) तथा KTS 3.0 (ऋषि अगस्त्य-केंद्रित ज्ञान विमर्श, NEP 2020-संगत सत्र)।
  • विषय: 
    • इस वर्ष का संस्करण “आइए तमिल सीखें—तमिल करकलम” विषय पर केंद्रित है, जिसके माध्यम से तमिल भाषा-अध्ययन तथा भाषायी एकात्मता को संगमम की मूल संवेदनाओं के केंद्र में स्थापित किया गया है।
  • प्रमुख कार्यक्रम: 
    • प्रमुख पहलों में तमिल करकलम (वाराणसी के विद्यालयों में तमिल शिक्षण), तमिल कारपोम (काशी क्षेत्र के 300 विद्यार्थियों हेतु तमिल-शिक्षण अध्ययन यात्रा) तथा प्राचीन सभ्यतागत मार्गों को पुनर्स्मरण कराने वाला ऋषि अगस्त्य वाहन अभियान सम्मिलित हैं।
  • आयोजक: 
  • अंतर-क्षेत्रीय भागीदारी:
    • तमिलनाडु से 1,400 से अधिक प्रतिनिधि, जिनमें छात्र, शिक्षक, साहित्यकार, किसान, कारीगर, पेशेवर, महिलाएँ और आध्यात्मिक विद्वान शामिल हैं, काशी में विविध सांस्कृतिक, शैक्षणिक तथा विरासत-आधारित कार्यक्रमों में भाग लेंगे।
  • उत्तर प्रदेश के विद्यालयों में तमिल शिक्षण: 
    • पचास तमिल शिक्षक 2 से 15 दिसंबर, 2025 के मध्य वाराणसी के 50 विद्यालयों में प्रारंभिक तमिल का अध्यापन करेंगे, जिससे 1,500 विद्यार्थी बोलचाल की तमिल सीख सकेंगे। साथ ही, उत्तर प्रदेश के 300 विद्यार्थियों को गहन तमिल-शिक्षा, सांस्कृतिक सत्रों तथा तमिल–काशी ऐतिहासिक संबंधों से जुड़े स्थलों के भ्रमण हेतु तमिलनाडु भेजा जाएगा।
  • ऋषि अगस्त्य अभियान: SAVE अभियान तेनकाशी से काशी (2–10 दिसंबर 2025) तक की यात्रा करेगा। यह अभियान चेर, चोल, पांड्य, पल्लव, चालुक्य और विजयनगर जैसे प्रमुख दक्षिण भारतीय राजवंशों के पारस्परिक संबंधों को रेखांकित करते हुए तमिल एवं भारतीय ज्ञान-परंपराओं की साझा विरासत का उत्सव मनाएगा।
  • प्रतीकात्मक समापन: वर्ष 2025 के संस्करण का समापन रामेश्वरम में एक भव्य समारोह के साथ होगा, जो काशी से तमिलनाडु तक की प्रतीकात्मक उत्तर–दक्षिण सांस्कृतिक यात्रा का पूर्णत्व दर्शाएगा।