मध्य प्रदेश में सिंचाई परियोजनाएँ | 13 May 2025

चर्चा में क्यों?

मध्य प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ने सीतापुर-हनुमना उदवहन सिंचाई परियोजना, बाणसागर परियोजना तथा अन्य लंबित योजनाओं की प्रगति का अवलोकन करते हुए, इनके निर्माण कार्यों को निर्धारित समय-सीमा में पूर्ण करने के निर्देश दिये।

मुख्य बिंदु

  • सीतापुर-हनुमना उदवहन सिंचाई परियोजना के बारे में:
    • यह परियोजना मऊगंज, सीधी और सिंगरौली ज़िलों की सिंचाई व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में सहायक है।
    • इस परियोजना से कुल 653 गाँवों में 1 लाख 20 हज़ार हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई सुविधा से जोड़ा जाएगा।
    • इस परियोजना के लिये राज्य शासन द्वारा 4,167 करोड़ रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति दी जा चुकी है।
  • निर्माण स्थल और पर्यावरणीय चुनौती
    • इस परियोजना में प्रस्तावित बाँध सीधी ज़िले के अमिलिया क्षेत्र में सोन नदी पर बनाया जाना है।
    • यह क्षेत्र सोन घड़ियाल अभयारण्य के अंतर्गत आता है, जिससे पर्यावरणीय और वन्यजीव स्वीकृति अनिवार्य हो जाती है।
    • पर्यावरणीय सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए घड़ियाल संरक्षण पर कोई विपरीत प्रभाव न पड़े, इसका विशेष ध्यान रखने को कहा गया 
  • बाणसागर बाँध की स्थिति और कार्य
    • बाणसागर बाँध मध्य प्रदेश के रीवा ज़िले में सोन नदी पर स्थित है।
    • यह एक बहुउद्देश्यीय परियोजना है, जिसका उद्देश्य सिंचाई, जल विद्युत उत्पादन और जल आपूर्ति सुनिश्चित करना है।
    • अधिकारियों को 18 किमी. बेला माइनर नहर के निर्माण, छुहिया घाटी में सुरंग लाइनिंग, जलसेतु विकास और नहर लाइनिंग के काम में तेज़ी लाने के निर्देश दिये गए हैं।
      • बेला माइनर नहर, बाणसागर परियोजना की एक सहायक नहर है।
      • इस नहर की कुल लंबाई 51 किमी. है, जिसमें से अभी तक केवल 21 किमी. का कार्य पूर्ण हुआ है।
  • लाभ
    • बाँध और नहर परियोजना के पूरा होने पर रीवा, मऊगंज, सीधी और सिंगरौली ज़िलों के लाखों हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा सुनिश्चित होगी।
    • इस परियोजना से लाखों किसानों को स्थायी सिंचाई सुविधा मिलेगी जिससे फसल विविधीकरण, उत्पादकता में वृद्धि, और आय में सुधार होगा।

सोन घड़ियाल अभयारण्य 

  • यह मध्य प्रदेश के सोन नदी क्षेत्र में स्थित एक महत्त्वपूर्ण अभयारण्य है, जो 1981 में घड़ियाल के संरक्षण और उनकी संख्या में वृद्धि के उद्देश्य से स्थापित किया गया था। 
  • इस अभयारण्य के तहत सोन नदी का 161 किमी, 23 किमी बनास नदी और 26 किमी गोपद नदी का क्षेत्र मिलाकर कुल 210 किमी क्षेत्र को संरक्षित किया गया है।
  • यह अभयारण्य प्रोजेक्ट क्रोकोडाइल के अंतर्गत आता है, अभयारण्य का प्रमुख आकर्षण रेतीले पर्यावास हैं, इनमें प्रमुख रूप से घड़ियाल, भारतीय नर्म खोल कछुआ (Chitra Indica) और भारतीय स्किमर (Rynchops albicollis) शामिल हैं। ये क्षेत्र विभिन्न संकटग्रस्त प्रजातियों को संरक्षण प्रदान करते हैं।