ज्ञान भारतम पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन | 13 Sep 2025

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में आयोजित ज्ञान भारतम पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया तथा ज्ञान भारतम पोर्टल लॉन्च किया।

  • यह एक समर्पित डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है, जिसका उद्देश्य भारत की विशाल पांडुलिपि विरासत के डिजिटलीकरण, संरक्षण और सार्वजनिक पहुँच को बढ़ावा देना है।

मुख्य बिंदु

ज्ञान भारतम पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

  • उद्देश्य: सम्मेलन का उद्देश्य भारत की पांडुलिपि विरासत को पुनर्जीवित करना तथा उसे वैश्विक ज्ञान विमर्श के केंद्र में स्थापित करना था।
  • आयोजन अवधि: यह तीन दिवसीय सम्मेलन 11 से 13 सितंबर, 2025 तक आयोजित हुआ, जिसका विषय था "पांडुलिपि विरासत के माध्यम से भारत की ज्ञान विरासत को पुनः प्राप्त करना", जो दिल्ली घोषणा-पत्र को अपनाने के साथ संपन्न हुआ।
    • यह अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन स्वामी विवेकानंद के वर्ष 1893 में शिकागो में विश्व धर्म संसद में दिये गये ऐतिहासिक भाषण की 132वीं वर्षगाँठ के अवसर पर आयोजित हुआ।
  • सम्मेलन में दुर्लभ पांडुलिपियों की एक प्रदर्शनी आयोजित की गई, साथ ही संरक्षण और डिजिटलीकरण पर विद्वानों की प्रस्तुतियाँ भी दी गईं।
  • मुख्य विषय: कार्यकारी समूहों ने प्राचीन लिपियों की व्याख्या, सर्वेक्षण और दस्तावेज़ीकरण, डिजिटलीकरण उपकरण, संरक्षण तथा पुनर्स्थापन तथा कानूनी एवं नैतिक मुद्दों जैसे विषयों पर चर्चा की।

ज्ञान भारतम परियोजना

  • ज्ञान भारतम मिशन के रूप में आरंभ की गई यह पहल, संस्कृति मंत्रालय के अधीन रहेगी तथा इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थापित होगा।
  • उद्देश्य: एक ऐसे संस्थान की स्थापना करना, जो भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) की तरह कार्य करे, किंतु लक्ष्य पांडुलिपियों के संरक्षण और व्याख्या पर हो। 
    • इसका उद्देश्य एक करोड़ से अधिक पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण करना तथा निर्बाध समन्वय के लिये सभी राज्यों में क्षेत्रीय केंद्र स्थापित करना भी है।।
  • प्रतिस्थापन: ज्ञान भारतम, वर्ष 2003 में शुरू किये गये राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन का स्थान लेगा, ताकि भारत में पांडुलिपि संरक्षण को संस्थागत और सतत ढाँचा प्रदान किया जा सके।
  • वित्तपोषण: वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट में घोषित इस परियोजना के लिये प्रारंभिक निधि 400 करोड़ रुपये आवंटित की गई है।