ग्रीन हाइड्रोजन अनुसंधान एवं विकास सम्मेलन | 13 Sep 2025
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) द्वारा आयोजित प्रथम वार्षिक ग्रीन हाइड्रोजन अनुसंधान एवं विकास सम्मेलन का उद्घाटन किया।
मुख्य बिंदु
- सम्मेलन के बारे में:
- यह सम्मेलन 11 से 12 सितंबर, 2025 को नई दिल्ली में आयोजित किया गया, जिसमें विशेषज्ञ सत्र, इंटरैक्टिव गोलमेज बैठकें और भारत की हरित ऊर्जा क्रांति को आगे बढ़ाने वाली 25 अग्रणी कंपनियों के साथ एक स्टार्ट-अप एक्सपो शामिल था।
- इस कार्यक्रम में 25 स्टार्ट-अप्स ने इलेक्ट्रोलाइजर निर्माण, AI-संचालित अनुकूलन और जैविक हाइड्रोजन समाधान के क्षेत्र में अपनी सफलताओं का प्रदर्शन किया।
- हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों में नवाचार को बढ़ावा देने वाले स्टार्ट-अप्स का समर्थन करने के लिये 100 करोड़ रुपये के प्रस्ताव आमंत्रण (Call for Proposals) भी जारी किये गए।
- इस योजना के तहत प्रत्येक परियोजना को 5 करोड़ रुपये तक की राशि प्रदान की जाएगी, जो हाइड्रोजन के उत्पादन, भंडारण, परिवहन और उपयोग से संबंधित पायलट पहल के लिये प्रयोग की जा सकेगी।
भारत का ग्रीन हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र
- बंदरगाह: तमिलनाडु के वी.ओ. चिदंबरनार बंदरगाह पर भारत की पहली बंदरगाह-आधारित पायलट परियोजना।
- इस्पात: हाइड्रोजन-चालित डीकार्बोनाइजेशन को प्रदर्शित करने वाली पाँच पायलट परियोजनाएँ।
- शिपिंग: तूतीकोरिन बंदरगाह पर रेट्रोफिटेड जहाज और ईंधन भरने की सुविधाएँ।
- परिवहन: हाइड्रोजन बसें और ईंधन भरने वाले स्टेशन कार्यरत हैं।
- उर्वरक: पहली बार हरित अमोनिया नीलामी में रिकॉर्ड निम्न मूल्य का खुलासा हुआ, जिसकी आपूर्ति ओडिशा के पारादीप फॉस्फेट्स से शुरू हुई।
- हाइड्रोजन हब: कांडला, पारादीप और तूतीकोरिन बंदरगाहों पर समर्पित हाइड्रोजन हब का विकास किया जा रहा है।
- मिशन: राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (NGHM) वर्ष 2023 में 19,744 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ शुरू किया गया था।