अरावली वनों में कचरा डंपिंग | 01 Jul 2025

चर्चा में क्यों?

हरियाणा वन विभाग ने नूंह के अरावली वन क्षेत्र में निर्माण मलबा तथा औद्योगिक कचरा अवैध रूप से फेंकने के लिये तीन फर्मों पर जुर्माना अधिरोपित किया गया है।

मुख्य बिंदु

  • अरावली के बारे में: 
    • अरावली विश्व का सबसे प्राचीन वलित पर्वत है। भूवैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, इसकी आयु लगभग तीन अरब वर्ष आंकी गई है।
    • यह पर्वतमाला गुजरात से दिल्ली तक फैली हुई है (राजस्थान और हरियाणा होते हुए)।
    • इसकी सबसे ऊँची चोटी माउंट आबू पर स्थित गुरु शिखर है।
  • जलवायु पर प्रभाव: 
    • अरावली पर्वतमाला उत्तर-पश्चिम भारत और उससे आगे के क्षेत्रों की जलवायु पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालती है।
    • मानसून के दौरान, पर्वत शृंखला मानसून के बादलों को धीरे-धीरे शिमला और नैनीताल की दिशा में अग्रसर करती है, जिससे उप-हिमालयी नदियों को पोषण मिलता है और उत्तर भारतीय मैदानों की सिंचाई संभव होती है।
    • सर्दियों के महीनों में यह उपजाऊ जलोढ़ नदी घाटियों (सिंधु और गंगा) को मध्य एशिया से ठंडी पश्चिमी हवाओं के हमले से बचाती है।
  • अरावली पर्वतमाला की पारिस्थितिक भूमिका:
    • अरावली पर्वतमाला थार मरुस्थल के पूर्व की ओर विस्तार को रोककर मरुस्थलीकरण के विरुद्ध एक प्राकृतिक ढाल का कार्य करती है।
    • यह दिल्ली, जयपुर और गुरुग्राम जैसे प्रमुख शहरों को मरुस्थली अतिक्रमण और बढ़ती शुष्कता से संरक्षित रखती है।
  • नदियाँ:
    • यह शृंखला चंबल, साबरमती और लूनी सहित कई महत्त्वपूर्ण नदियों का उद्गम स्थल है।
    • ये नदियाँ उत्तर-पश्चिमी भारत में कृषि, पेयजल और क्षेत्रीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
  • जैव विविधता हॉटस्पॉट: 
    • अरावली के वन, घास के मैदान तथा आर्द्रभूमि कई लुप्तप्राय पौधों और जानवरों की प्रजातियों के लिये आश्रय स्थल हैं, जिससे यह एक महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिकी आवास बन गया है।
  • अरावली पारिस्थितिकी तंत्र के लिये खतरे:
    • सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2009 में हरियाणा के फरीदाबाद, गुणगाँव (अब गुरुग्राम) और नूँह ज़िलों की अरावली रेंज में खनन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया।
    • अवैध खनन, अत्यधिक चारण और मानव अधिवास पूरे क्षेत्र में भूमि क्षरण को तेज़ कर रही हैं।
      • ये गतिविधियाँ भूमिगत जलभृतों को क्षति पहुँचा रही हैं, झीलों को शुष्क बना रही हैं तथा वन्यजीवों और जैवविविधता को सहारा देने की पर्वत शृंखला की क्षमता को कमज़ोर कर रही हैं।