ईएमआरएस को सीआईएल से 10 करोड़ रुपए का प्रोत्साहन | 21 Jul 2025

चर्चा में क्यों?

जनजातीय कार्य मंत्रालय (MoTA) ने छत्तीसगढ़ में 68 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (EMRS) को समर्थन देने के लिये कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) के साथ साझेदारी की है, जिसका उद्देश्य जनजातीय छात्रों की शिक्षा में सुधार करना है।

मुख्य बिंदु

साझेदारी के बारे में:

  • CIL छत्तीसगढ़ में 68 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (EMRS) को सहायता प्रदान करेगी, जिससे 28,000 से अधिक जनजातीय छात्र लाभान्वित होंगे।
  • CIL की कॉर्पोरेट सामाजिक ज़िम्मेदारी (CSR) पहल के तहत कुल 10 करोड़ रुपए मंज़ूर किये गए हैं।
  • यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत सरकार के प्रयासों के अनुरूप है, जो समाज के सभी वर्गों के लिये समान और समावेशी शैक्षिक अवसरों पर केंद्रित है। 
  • इस व्यापक हस्तक्षेप के उद्देश्य है:
    • शैक्षिक अंतराल को पाटना
    • करियर की तैयारी और उद्यमशीलता की मानसिकता को बढ़ावा देना
    • आज की डिजिटल अर्थव्यवस्था में सफल होने के लिये जनजातीय युवाओं को आवश्यक उपकरणों से सशक्त बनाना
    • EMRS में आधुनिक और नवीन शिक्षण वातावरण का निर्माण करन
  • प्रमुख हस्तक्षेप
    • डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा: कंप्यूटर लैब की स्थापना और छात्रों के लिये लगभग 3,200 कंप्यूटर तथा 300 टैबलेट का क्रय
    • छात्राओं के लिये स्वास्थ्य एवं स्वच्छता: स्कूलों और छात्रावासों में लगभग 1,200 सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीनें और 1,200 भस्मक मशीनें स्थापित की जाएंगी
    • छात्रों के लिये व्यापक मेंटरशिप: छात्रों को शैक्षणिक और व्यक्तिगत रूप से मार्गदर्शन देने के लिये संरचित मेंटरशिप कार्यक्रम
    • आवासीय उद्यमशीलता बूट कैंप: उद्यमशीलता की मानसिकता विकसित करने के लिये IIT, IIM और NIT जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में बूट कैंप का आयोजन
  • कार्यान्वयन: इस परियोजना को जनजातीय कार्य मंत्रालय के अधीन कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के तहत गठित राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त एवं विकास निगम (NSTFDC) के माध्यम से क्रियान्वित किया जाएगा।

एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (EMRS) के बारे में

  • EMRS: एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) जनजातीय कार्य मंत्रालय (MoTA) द्वारा वर्ष 1998 में शुरू की गई एक प्रमुख पहल है, जिसका उद्देश्य दूरदराज़ और जनजातीय बहुल क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति (ST) के छात्रों को कक्षा 6वीं से 12वीं तक नि:शुल्क, गुणवत्तापूर्ण आवासीय शिक्षा प्रदान करना है।
  • उद्देश्य: खेल, संस्कृति और कौशल प्रशिक्षण सहित समग्र विकास के साथ एकीकृत CBSE-आधारित निर्देश प्रदान करके आदिवासी और गैर-आदिवासी आबादी के बीच शैक्षिक अंतर को कम करना।
    • पुनर्गठन और विस्तार: इस योजना को वर्ष 2018–19 में पुनर्गठित किया गया ताकि इसका दायरा बढ़ाया जा सके। अब EMRS उन ब्लॉकों में स्थापित किये जा रहे हैं, जहाँ 50% से अधिक ST आबादी है और कम-से-कम 20,000 जनजातीय व्यक्ति रहते हैं। इसका लक्ष्य वर्ष 2026 तक 728 स्कूलों की स्थापना करना है।
  • शासन व्यवस्था: इन विद्यालयों का संचालन राष्ट्रीय जनजातीय छात्र शिक्षा समिति (NESTS) द्वारा किया जाता है, जो कि MoTA के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्था है।
  • प्रमुख विशेषताएँ:
    • ये विद्यालय सहशैक्षिक और पूर्णतः आवासीय होते हैं, जिन्हें नवोदय विद्यालयों के तर्ज पर जनजातीय समुदाय पर विशेष ध्यान देते हुए स्थापित किया गया है।
    • ये CBSE पाठ्यक्रम का पालन करते हैं और छात्रों को नि:शुल्क शिक्षा के साथ-साथ सभी मूलभूत सुविधाएँ प्रदान करते हैं।
    • बुनियादी ढाँचा में कक्षाएँ, प्रयोगशालाएँ, छात्रावास, स्टाफ क्वार्टर, खेल के मैदान और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिये स्थान शामिल होते हैं।
    • प्रत्येक विद्यालय की क्षमता 480 छात्रों की होती है, जिसमें लैंगिक समानता सुनिश्चित की जाती है।
    • 10% तक सीटें गैर-जनजातीय (non-ST) छात्रों को आवंटित की जा सकती हैं।
    • खेल कोटा के अंतर्गत 20% आरक्षण एथलेटिक्स और खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले मेधावी ST छात्रों के लिये निर्धारित है।

कोल इंडिया लिमिटेड

  • कोल इंडिया लिमिटेड (CIL), नवंबर 1975 में स्थापित एक सरकारी स्वामित्व वाली कोयला खनन निगम है, जिसे महारत्न कंपनी का दर्जा प्राप्त है।
  • यह विश्व की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी है, जो भारत के कुल घरेलू कोयला उत्पादन में लगभग 80% का योगदान देती है।
  • CIL की सहायक कंपनी साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL), गेवरा (छत्तीसगढ़) में एशिया की सबसे बड़ी खुली कोयला खदान का संचालन करती है।

कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR)

  • कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) से तात्पर्य समाज और पर्यावरण के प्रति कंपनी की ज़िम्मेदारी से है।
  • यह एक स्व-विनियमन मॉडल है, जो यह सुनिश्चित करता है कि व्यवसाय आर्थिक, सामाजिक तथा पर्यावरणीय कल्याण पर अपने प्रभाव के लिये ज़वाबदेह बने रहें।
  • कानूनी ढाँचा: भारत पहला देश है, जिसने कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 135 के तहत CSR व्यय को अनिवार्य बनाया है, जो पात्र गतिविधियों के लिये एक संरचित ढाँचा प्रदान करता है।
  • प्रयोज्यता: CSR नियम उन कंपनियों पर लागू होते हैं, जिनकी पिछले वित्तीय वर्ष में निवल संपत्ति 500 करोड़ रुपए से अधिक हो या कारोबार 1,000 करोड़ रुपए से अधिक हो या शुद्ध लाभ 5 करोड़ रुपए से अधिक हो।
  • ऐसी कंपनियों को पिछले 3 वित्तीय वर्षों (या यदि नई निगमित हुई हैं तो उपलब्ध वर्षों) के अपने औसत शुद्ध लाभ का कम-से-कम 2% CSR गतिविधियों पर खर्च करना होगा।