मध्य प्रदेश में पहली बार सहकारी समितियाँ RTI के दायरे में | 29 Mar 2024

चर्चा में क्यों?

एक हालिया ऐतिहासिक आदेश में, मध्य प्रदेश में अनाज खरीद और राशन दुकानों के संचालन में शामिल सभी सहकारी समितियों को तत्काल प्रभाव से सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI), 2005 के दायरे में खरीद लिया गया है।

मुख्य बिंदु:

  • राज्य सूचना आयुक्त (SIC) ने पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये ज़िला पोर्टल पर राशन दुकान विक्रेता के वेतन का सक्रिय खुलासा करना भी अनिवार्य कर दिया है।
  • इसका उद्देश्य सहकारी समितियों को RTI अधिनियम के अधीन करके किसानों और आम नागरिकों के लिये न्याय सुनिश्चित करना है।

सहकारी समितियाँ:

  • परिचय:
    • सहकारी समितियाँ बाज़ार में सामूहिक सौदेबाज़ी की शक्ति का उपयोग करने के लिये लोगों द्वारा ज़मीनी स्तर पर बनाई गई संस्थाएँ हैं।
      • इसमें विभिन्न प्रकार की व्यवस्थाएँ हो सकती हैं, जैसे कि एक सामान्य लाभ प्राप्त करने के लिये सामान्य संसाधन या साझा पूंजी का उपयोग करना, जो अन्यथा किसी व्यक्तिगत निर्माता के लिये प्राप्त करना मुश्किल होगा।
    • कृषि में सहकारी डेयरी, चीनी मिलें, कताई मिलें आदि उन किसानों के एकत्रित संसाधनों (Pooled Resources) से बनाई जाती हैं जो अपनी उपज को संसाधित करना चाहते हैं।
  • क्षेत्राधिकार:
    • सहकारिता, संविधान के तहत एक राज्य का विषय है जिसका अर्थ है कि वे राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं लेकिन कई समितियाँ हैं जिनके सदस्य और संचालन के क्षेत्र एक से अधिक राज्यों में फैले हुए हैं।
    • बहु-राज्य सहकारी समितियाँ (MSCS) अधिनियम, 2002 के तहत एक से अधिक राज्यों की सहकारी समितियाँ पंजीकृत हैं।
      • इनके निदेशक मंडल में उन सभी राज्यों का प्रतिनिधित्व होता है जिनमें वे कार्य करते हैं।
      • इन समितियों का प्रशासनिक और वित्तीय नियंत्रण केंद्रीय रजिस्ट्रार के पास है एवं कानून यह स्पष्ट करता है कि राज्य सरकार का कोई भी अधिकारी उन पर नियंत्रण नहीं रख सकता है।

राज्य सूचना आयोग (SIC)

  • इसका गठन राज्य सरकार द्वारा किया जाता है।
  • इसमें एक राज्य मुख्य सूचना आयुक्त (SCIC) और अधिकतम 10 SIC होते हैं जिनकी नियुक्ति मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली नियुक्ति समिति की सिफारिश पर राज्यपाल द्वारा की जाती है।