कैप्टन हरद्वारी सिंह अहलावत | 14 Aug 2025

चर्चा में क्यों?

आज़ाद हिंद फौज के कैप्टन हरद्वारी सिंह अहलावत ने झाँसी रेजिमेंट (झाँसी की रानी रेजिमेंट) को ब्रिटिश घेराबंदी से मुक्त कराने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

  • झाँसी की रानी रेजिमेंट, कैप्टन लक्ष्मी स्वामीनाथन के नेतृत्व वाली महिला योद्धाओं की एक सशस्त्र इकाई थी। ऐसा माना जाता है कि यह सैन्य इतिहास की पहली महिला पैदल सेना थी।

मुख्य बिंदु

 कैप्टन हरद्वारी सिंह अहलावत के बारे में 

  • झाँसी रेजिमेंट की मुक्ति: 
    • वर्ष 1945 में, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आदेश पर, कैप्टन अहलावत ने झाँसी रेजिमेंट को ब्रिटिश सेना से मुक्त कराने के लिये एक सफल अभियान का नेतृत्व किया, जिसमें 4,000 से अधिक राउंड फायरिंग की गई और लगभग 300 ब्रिटिश सैनिकों को मार डाला गया।
  • INA में भूमिका: 
    • कैप्टन अहलावत, जिनका जन्म देघल गाँव (झज्जर, हरियाणा) में हुआ था, वर्ष 1942 में अपने गाँव के 32 सैनिकों के साथ आज़ाद हिंद फौज में शामिल हुए।
    • नेताजी बोस ने उनके साहस के लिये उन्हें प्रतिष्ठित “शेर-ए-हिंद” पुरस्कार से सम्मानित किया और उन्हें अपना निजी स्टाफ अधिकारी (PSO) नियुक्त किया।
  • सैन्य उपलब्धियाँ: 
    • अहलावत के नेतृत्व में, INA बलों ने बर्मा के पास लेपोप्पा हिल्स क्षेत्र को मुक्त कराया, ब्रिटिश सेनाओं को हराया और पहाड़ी चौकी (7,000-8,000 फीट की ऊँचाई) पर भारत का झंडा फहराया।
  • युद्धोत्तर जीवन: 
    • वर्ष 1945 में आज़ाद हिंद फौज के आत्मसमर्पण के बाद, अहलावत को 17,000 INA सैनिकों के साथ दिल्ली के लाल किले में कैद कर लिया गया था।
    • उन्हें 31 दिसंबर, 1945 को ब्रिटिश सरकार द्वारा रिहा कर दिया गया (INA परीक्षणों या लाल किला परीक्षणों के बाद)।