'एक बगिया माँ के नाम' परियोजना | 21 Aug 2025
चर्चा में क्यों?
महिलाओं को सशक्त बनाने और सतत् कृषि को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मध्य प्रदेश सरकार ने 'एक बगिया माँ के नाम' परियोजना शुरू की है, जिसके तहत स्वयं सहायता समूह (SHG) की महिलाओं की निजी भूमि पर बाग (orchards) विकसित किये जाएंगे।
मुख्य बिंदु
- योजना के बारे में:
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यह परियोजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) का हिस्सा है और इससे राज्य में 31,000 से अधिक महिलाओं को लाभ मिलेगा।
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'एक बगिया माँ के नाम' ऐप के माध्यम से 34,000 से अधिक महिलाएँ पहले ही पंजीकरण करा चुकी हैं।
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सरकार पौधे, खाद, सिंचाई टैंक और सुरक्षा के लिये काँटेदार तार की बाड़ जैसे आवश्यक संसाधन उपलब्ध करा रही है।
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- ऐप आधारित चयन प्रक्रिया:
- लाभार्थियों का चयन विशेष रूप से 'एक बगिया माँ के नाम' ऐप के माध्यम से किया जा रहा है, जिसे मनरेगा परिषद के मार्गदर्शन में MP राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम लिमिटेड (MPSEDC) द्वारा विकसित किया गया है।
- केवल 0.5 से 1 एकड़ भूमि वाली महिलाएँ ही इस परियोजना में भाग लेने के लिये पात्र हैं।
- ऐसे मामलों में जहाँ लाभार्थी महिला के पास भूमि नहीं है, वहाँ उसके पति, पिता, ससुर या पुत्र की भूमि पर उनकी सहमति के अधीन वृक्षारोपण किया जा सकता है।
- लाभार्थी विवरण एवं प्रशिक्षण:
- परियोजना के लिये प्रत्येक ब्लॉक में कम-से-कम 100 पात्र महिलाओं का चयन किया जा रहा है।
- इन महिलाओं को अपने बागों की उचित देखभाल और वृद्धि सुनिश्चित करने के लिये उर्वरक उपयोग, सिंचाई, कीट नियंत्रण तथा अंतर-फसल खेती सहित बाग प्रबंधन पर द्वि-वार्षिक प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- कृषि सखियों के माध्यम से सहायता:
- प्रत्येक 25 एकड़ के लिये, लाभार्थियों को सहायता प्रदान करने के लिये एक कृषि सखी (कृषि साथी) नियुक्त की जाएगी, जो जैविक उर्वरकों और कीटनाशकों की तैयारी सहित सतत् कृषि प्रथाओं पर व्यावहारिक मार्गदर्शन और सलाह देगी।
- निगरानी और पारदर्शिता:
- पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये ड्रोन और उपग्रह इमेजरी के माध्यम से वृक्षारोपण गतिविधियों की निगरानी की जाएगी।
- पर्यवेक्षण के लिये एक अलग डैशबोर्ड भी बनाया गया है। प्रदर्शन के आधार पर शीर्ष 3 ज़िलों, 10 ज़िला पंचायतों और 25 ग्राम पंचायतों को पुरस्कृत किया जाएगा।
- लाभार्थी चयन में अग्रणी जिले:
- लाभार्थी चयन में अग्रणी ज़िलों में सिंगरौली, देवास, खंडवा, निवाड़ी और टीकमगढ़ शामिल हैं, जिन्होंने परियोजना में सक्रिय भागीदारी दिखाई है।
- संभावना:
- इस परियोजना से 31,000 से अधिक स्वयं सहायता समूह (SHG) की महिलाएँ लाभान्वित होंगी, जो अपनी निजी भूमि पर 3 मिलियन से अधिक फलदार वृक्ष लगाएंगी, जिससे महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण की नींव रखी जाएगी।