अमेरिका का सी-गार्जियन ड्रोन

प्रिलिम्स के लिये

MQ-9B सी-गार्जियन अनमैंड ड्रोन, पी-8I पोसाइडन विमान 

मेन्स के लिये 

रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया-2020 और संबंधित विभिन्न पहलू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय नौसेना ने दो अमेरिकी MQ-9B सी-गार्जियन अनमैंड ड्रोन्स को अपने बेड़े में शामिल किया है। इन दोनों ड्रोन्स को भारतीय नौसेना द्वारा एक वर्ष के लिये लीज़ पर लिया गया है।

प्रमुख बिंदु

MQ-9B सी-गार्जियन

Drone

  • यह अमेरिका के प्रिडेटर MQ9 अनमैंड एरियल व्हीकल (UAV) का समुद्री संस्करण है।
  • यह लगभग 40 घंटे से अधिक समय तक 40000 फीट की अधिकतम ऊँचाई पर उड़ान भर सकता है।
  • इसमें 3600 मरीनटाइम सर्विलांस रडार और एक वैकल्पिक मल्टीमोड मरीनटाइम सरफेस सर्च रडार शामिल है, जिससे भारतीय नौसेना की सर्विलांस क्षमता में काफी वृद्धि होगी।
  • इसका उपयोग एंटी-सरफेस वारफेयर, एंटी-सबमरीन वारफेयर, आपदा राहत, खोज तथा बचाव और कानून प्रवर्तन (ड्रग तस्करी, अवैध आप्रवासन और समुद्री चोरी को रोकने) जैसे ऑपरेशन में किया जा सकता है।

अधिग्रहण 

  • यह पहली बार है जब चीन के साथ सीमा पर चल रहे गतिरोध के बीच भारतीय नौसेना ने केंद्र सरकार द्वारा सशस्त्र बलों को दी गई आपातकालीन शक्तियों का उपयोग करते हुए अमेरिका की एक कंपनी के साथ लीज़ अनुबंध के माध्यम से दो निगरानी ड्रोनों को अपने बेड़े में शामिल किया है।
    • आपातकालीन शक्तियों के तहत केंद्र सरकार ने चीन के साथ बढ़ते सीमा गतिरोध के मद्देनज़र युद्धोपकरण (Ammunition) और हथियारों की खरीद के लिये तीनों सशस्त्र बलों को प्रति परियोजना 500 करोड़ रुपए के आपातकालीन कोष की अनुमति दी है।
  • भारतीय नौसेना ने इन ड्रोन्स को रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP) 2020 में रक्षा उपकरणों के अधिग्रहण के लिये लीज़ के नए विकल्प का उपयोग करते हुए प्राप्त किया है।
    • रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP) 2020 में सस्ती दरों पर रक्षा उपकरण प्राप्त करने के उद्देश्य से ‘लीज़’ (Lease) को एक श्रेणी के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
    • यह श्रेणी उन सैन्य उपकरणों के लिये उपयोगी साबित होगी, जो वास्तविक युद्ध में उपयोग नहीं किये जाते हैं जैसे- परिवहन बेड़े, ट्रेनर, सिम्युलेटर आदि।

महत्त्व

  • यद्यपि भारतीय नौसेना द्वारा इन ड्रोन्स का उपयोग मुख्यतः हिंद महासागर में निगरानी के लिये किया जाएगा, किंतु आवश्यकता पड़ने पर इन्हें चीन की सीमा पर निगरानी के लिये भी तैनात की जा सकता है।
    • भारतीय नौसेना ने पहले से ही पी-8I पोसाइडन (P8I Poseidon) विमान को लद्दाख में तैनात कर दिया है।
    • पी-8I पोसाइडन विमान, अमेरिका की बोइंग कंपनी द्वारा विकसित P-8A पोसाइडन (P-8A Poseidon) विमान का ही एक प्रकार है।
    • बोइंग के P-8A पोसाइडन विमान को लंबी दूरी के एंटी-सबमरीन वारफेयर (ASW), एंटी-सरफेस वारफेयर (ASuW), और खुफिया तथा निगरानी मिशनों के लिये विकसित किया गया है।
  • बल के पुनर्गठन के हिस्से के रूप अब नौसेना अधिक-से -अधिक अनमैंड उपकरणों को तैनात करने पर विचार कर रही है, जिसकी वजह से MQ-9B सी-गार्जियन अनमैंड ड्रोन्स नौसेना के लिये काफी महत्त्वपूर्ण हो सकता है। 
  • जब तक कि नौसेना को अमेरिका से ड्रोन खरीदने की मंज़ूरी नहीं मिल जाती, जिसके लिये रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) की मंज़ूरी की आवश्यकता होगी, तब तक ‘लीज़’ को एक बेहतर विकल्प के रूप में देखा जा सकता है।
    • रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) तीनों सेनाओं (थल सेना, नौसेना और वायु सेना) तथा भारतीय तटरक्षक बल के लिये नई नीतियों और पूंजीगत अधिग्रहण पर निर्णय लेने हेतु रक्षा मंत्रालय के अधीन सर्वोच्च संस्था है।

स्रोत: द हिंदू