भारत की भूकंप हेतु तैयारी

प्रिलिम्स के लिये:

तुर्किये-सीरिया भूकंप, रिक्टर स्केल, हिमालयन प्लेट, टेक्टोनिक प्लेट्स।

मेन्स के लिये:

भूकंप का कारण, भारत में और उसके आसपास भूकंप, भूकंप हेतु भारत की तैयारी।

चर्चा में क्यों?

6 फरवरी, 2023 को दक्षिण-पूर्वी तुर्किये और सीरिया में लगभग समान परिमाण के आफ्टरशॉक के साथ गंभीर भूकंप आया, जिससे व्यापक विनाश और जीवन की हानि हुई।

  • तुर्किये-सीरिया भूकंप को ध्यान में रखते हुए भूकंप हेतु भारत को अपनी तैयारियों को मज़बूत करना चाहिये क्योंकि देश में ज़ोनिंग और निर्माण नियमों का खराब प्रवर्तन प्रचलित है।

भारत भूकंप के प्रति संवेदनशील: 

  • परिचय:  
    • भारत का भू-भाग बड़े भूकंपों हेतु प्रवण/संवेदनशील है, विशेष रूप से हिमालयी प्लेट सीमा, जिसमें बड़ी भूकंपीय घटना (7 और अधिक परिमाण) की क्षमता है।
    • भारत में भूकंप मुख्य रूप से भारतीय प्लेट के यूरेशियन प्लेट से टकराने के कारण उत्पन्न होते हैं। 
      • इस अभिसरण के परिणामस्वरूप हिमालय पर्वत का निर्माण हुआ है, साथ ही इस क्षेत्र में लगातार भूकंप आते रहे हैं। 

भूकंपीय क्षेत्र/ज़ोन:  

Seismic-Zone

  • बड़े भूकंपों के प्रति संवेदनशील:  
    • वैज्ञानिक हिमालयी क्षेत्र में भूकंपीय घटना अंतराल के संदर्भ में परिचित हैं जहाँ भूगर्भीय घटनाओं का ऐतिहासिक परिदृश्य वर्तमान भूकंपीय घटनाओं हेतु पूर्ण रूप से ज़िम्मेदार नहीं है।
      • उदाहरण के लिये अन्य क्षेत्रों की तुलना में मध्य हिमालय में ऐतिहासिक रूप से कम भूकंप देखे गए हैं। इसलिये यह एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ भविष्य में एक बड़े भूकंप आने का अनुमान लगाया जा सकता है।
  • भारत/आसपास के क्षेत्रों में भूकंप:
    • भारत ने पिछले कुछ वर्षों में कई महत्त्वपूर्ण भूकंपों का अनुभव किया है, यहाँ कुछ उदाहरण दिये गए हैं: 
      • नेपाल भूकंप 2015: 25 अप्रैल, 2015 को नेपाल में 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था। उत्तर भारत में भी भूकंप का खासा असर रहा।
      • इंफाल भूकंप 2016: 4 जनवरी, 2016 को पूर्वोत्तर भारतीय राज्य मणिपुर में 6.7 तीव्रता का भूकंप आया, जिसके कारण व्यापक क्षति हुई।
      • उत्तराखंड भूकंप 2017: 6 फरवरी, 2017 को उत्तर भारतीय राज्य उत्तराखंड में 6.7 तीव्रता का भूकंप आया।

भारत में भूकंप की तैयारी हेतु उठाए जाने वाले कदम:

  • बिल्डिंग कोड और मानक: भारत ने भूकंप प्रतिरोधी निर्माण के लिये बिल्डिंग कोड और मानक स्थापित किये हैं।
    • यह सुनिश्चित करने के लिये इन कोड और मानकों को सख्ती से लागू करना महत्त्वपूर्ण है कि भूकंप का सामना करने हेतु नई इमारतों का निर्माण किया जाए। इसके लिये नियमित निरीक्षण एवं मौजूदा बिल्डिंग कोड के प्रवर्तन की भी आवश्यकता होगी। 
  • पुनः संयोजन एवं सुदृढीकरण: पुरानी इमारतें वर्तमान भूकंप प्रतिरोधी मानकों को पूरा नहीं करती हैं और उनमें से कई को उनके भूकंपीय प्रदर्शन में सुधार के लिये पुनः संयोजन या सुदृढीकृत किया जा सकता है।
  • आपातकालीन प्रतिक्रिया योजना: भूकंप के प्रभाव को कम करने के लिये आपातकालीन प्रतिक्रिया योजना महत्त्वपूर्ण है। इसमें निकासी योजना विकसित करना, आपातकालीन आश्रयों की स्थापना और भूकंप का सामना करने के तरीके पर कर्मियों को प्रशिक्षित करना शामिल है।
  • अनुसंधान एवं निगरानी: अनुसंधान एवं निगरानी में निवेश किये जाने से भूकंप तथा उसके कारणों की हमारी समझ में सुधार करने में मदद मिल सकती है और प्रभाव का अनुमान लगाने एवं उसे कम करने हेतु बेहतर तरीके विकसित करने में भी मदद मिल सकती है।
  • भूमि-उपयोग योजना: भूमि-उपयोग नीतियों की योजना बनाने और उन्हें विकसित करते समय भूकंप के संभावित प्रभावों पर विचार करना महत्त्वपूर्ण है। इसमें भूकंप की संभावना वाले क्षेत्रों में विकास को सीमित करना शामिल है तथा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि नए विकास को इस तरह से डिज़ाइन एवं निर्मित किया जाए जो क्षति के जोखिम को कम करता हो।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. भारतीय उपमहाद्वीप में भूकंपों की आवृत्ति बढ़ती हुई प्रतीत होती है। फिर भी इनके प्रभाव के न्यूनीकरण हेतु भारत की तैयारी (तत्परता) में महत्त्वपूर्ण कमियाँ है। विभिन्न पहलुओं पर चर्चा कीजिये। (2015)

प्रश्न. भूकंप से संबंधित संकटों के लिये भारत की भेद्यता की विवेचना कीजिये। पिछले तीन दशकों में भारत के विभिन्न भागों में भूकंपों द्वारा उत्पन्न बड़ी आपदाओं के उदाहरण प्रमुख विशेषताओं के साथ कीजिये। (2021)

स्रोत: द हिंदू