इलेक्ट्रिक वाहन नीति, 2020

प्रिलिम्स के लिये:

इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2020 के प्रमुख बिंदु, भारतीय मानक ब्यूरो, PM 10 तथा PM2.5

मेन्स के लिये:

पर्यावरण प्रदूषण, मानव स्वास्थ एवं अर्थव्यवस्था के संदर्भ में नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति का महत्त्व 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में दिल्ली सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहन (Electric Vehicles-EV) नीति, 2020 को अधिसूचित किया गया है। इस नीति में इलेक्ट्रिक वाहनों के द्वारा निजी चार पहिया वाहनों के बजाय दोपहिया वाहनों, सार्वजनिक परिवहन तथा साझा वाहनों एवं माल-वाहको के प्रतिस्थापन करने पर ज़ोर दिया गया है।

प्रमुख बिंदु:

  • विशेषताएँ:
    • इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2020, मौजूदा ऑटो रिक्शा तथा ई-ऑटो एवं  ई-बसों के साथ राज्य द्वारा संचालित बसों के प्रतिस्थापन को बढ़ावा देती  है। नीति में यह भी सुनिश्चित किया गया है कि शहर में संचालित डिलीवरी-आधारित सेवाएँ ई-मोबिलिटी से जुड़ी हों।
    • यह नीति ईंधन आधारित वाहनों के लिये रोड टैक्स बढ़ाने तथा शहर के कुछ हिस्सों में भीड़ शुल्क (Congestion Fee)लगाने की बात करती है जिनमें इलेक्ट्रिक वाहनों को इस शुल्क से छूट मिलेगी।
    • इस नीति में उन लोगों के लिये एक ‘स्क्रेपिंग इंसेंटिव’ (Scrapping Incentive) है, जो इलेक्ट्रिक वाहन खरीदते समय पुराने ईंधन आधारित वाहन का आदान-प्रदान करना चाहते हैं, जिससे वाहन लागत में कमी आएगी।
    • सरकार वाणिज्यिक इलेक्ट्रिक वाहनों को खरीदने के इच्छुक लोगों को कम-ब्याज दर पर ऋण प्रदान करेगी।
    • यह पॉलिसी राजधानी में खरीदे गए इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये सब्सिडी, रोड टैक्स तथा पंजीकरण शुल्क से छूट प्रदान करती है।
      • वर्तमान में, सड़क कर, वाहन की लागत का 4% से 10% तक है, जबकि पंजीकरण शुल्क की कीमत भी बढ़ सकती है।
      • इसके अलावा इलेक्ट्रिक वाहन की बैटरी की क्षमता 5,000 किलोवाट प्रति घंटे (kilowatt-hour- kWh) के आधार पर  30,000 रुपए सब्सिडी दी जाएगी।
      • पहले 1,000 ई-कारों या इलेक्ट्रिक चार पहिया वाहनों की खरीद पर 10,000 रुपए प्रति kWh के हिसाब से सब्सिडी प्रदान की जाएगी। 
  • यह सब्सिड़ी केंद्र सरकार द्वारा अपनी FAME इंडिया फेज 2 योजना के तहत दी जाने वाली सब्सिडी के अतिरिक्त होगा, जो विशेष रूप से इलेक्ट्रिक दोपहिया,  इलेक्ट्रिक भारी यात्री तथा माल वाहनों की खरीद पर एक समान राशि प्रदान करती है।
  • इलेक्ट्रिक वाहन नीति, 2020 के सभी खर्चों को शामिल करते हुए एक राज्य इलेक्ट्रिक वाहन फंड  (State Electric Vehicles fund) स्थापित किया जाएगा। नीति के प्रभावी कार्यान्वयन एवं निधि के प्रबंधन के लिये एक राज्य इलेक्ट्रिक वाहन बोर्ड (State Electric Vehicle Board) का गठन भी किया जाएगा। इसके अलावा, एक समर्पित इलेक्ट्रिक वाहन सेल का भी गठन किया जाएगा।

इलेक्ट्रिक वाहन नीति के उद्देश्य:

  • वायु प्रदूषण को कम करना तथा मांग को तीव्र करके अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करना।
  • बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण दिल्ली में हर वर्ष एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल का अनुभव किया जाता है, जो एक आवर्तक वार्षिक संकट बन गया है।
  • COVID-19 के कारण हुए लॉकडाउन के दौरान, राजधानी में PM 10 तथा PM2.5 के स्तर में भारी कमी देखी गई।
  • दोनों समस्याओं का समाधान करना, जिसमें खरीद की उच्च लागत तथा पर्याप्त चार्जिंग बुनियादी ढाँचे की कमी शामिल।
  • आने वाले पाँच वर्षों में दिल्ली में कम से कम 5,00,000 EVs का पंजीकरण करना।

डिलीवरी-आधारित तथा राइड-हेलिंग सेवाएँ:

  • राइड-हेलिंग सेवा (Ride-hailing Service) प्रदाताओं को परिवहन विभाग द्वारा जारी किये जाने वाले दिशा-र्देशों के तहत संचालन करने के लिये इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर टैक्सियों को संचालित करने की अनुमति दी जाएगी।
  • यह उम्मीद की जा रही है कि नीति के तहत मिलने वाली राशि से एलेट्रिक दोपहिया वाहनों के प्रयोग से खाद्य वितरण, ई-कॉमर्स लॉजिस्टिक्स प्रदाताओं तथा कोरियर सेवाओं के सेवा प्रदाताओं को प्रोत्साहन मिलेगा।
  • सभी वितरण सेवा प्रदाताओं को 31 मार्च 2023 तक दिल्ली में संचालित अपने वाहनों के समूह के 50% को  इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलने का अनुमान है जो 31 मार्च 2025 तक 100% होने की उम्मीद है।
  • डिलीवरी सेवा प्रदाता जो इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये प्रतिबद्ध हैं, वे दिल्ली वित्त निगम से वित्तपोषण सहायता के पात्र होंगे।

ऑटोरिक्शा:

  • ऑटो रिक्शा की खरीद हेतु प्रोत्साहन राशि 30,000 रुपए  प्रति वाहन होगी जो नए इलेक्ट्रिक ऑटो के उपयोग से संबंधित होगा।
  • वैलिड मोटो व्हीकल ड्राइविंग लाइसेंस (Valid Light Motor Vehicle Driving Licences) तथा पब्लिक सर्विस व्हीकल बैज (Public Service Vehicle Badge) के साथ पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर परमिट प्रदान करने के लिये एक खुली परमिट प्रणाली रखी जाएगी।
  • दिल्ली में ई-ऑटो को जारी किये गए परमिट पर कोई उच्चतम सीमा निर्धारित नहीं होगी क्योंकि वे शून्य उत्सर्जन वाहन हैं।
  • वर्तमान में, सीएनजी से चलने वाले ऑटो रिक्शा की संख्या की एक निश्चित सीमा है है, जिन्हें शहर में चलाने की अनुमति प्राप्त है।

बसें:

  • नीति में कहा गया है कि अगले तीन वर्षों में खरीदी जाने वाली राज्य की आधी बसें पूर्ण इलेक्ट्रिक बसें होंगी।
  • वर्ष 2020 तक 1,000 पूर्ण इलेक्ट्रिक बसों को शामिल किया जाएगा।

इलेक्ट्रिक वाहनों के संदर्भ में केंद्र सरकार की पहल:

  • सरकार द्वारा वर्ष 2030 तक कुल कारों एवं दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों के 30% की बिक्री का लक्ष्य रखा गया है।
  • एक स्थायी इलेक्ट्रिक वाहन पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिये, भारत में ‘राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान’ (National Electric Mobility Mission Plan- NEMMP) एवं ‘फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग (हाइब्रिड एंड) इलेक्ट्रिक वाहन’ ( Faster Adoption and Manufacturing of (Hybrid &) Electric Vehicles in India-FAME India) जैसी पहलें शुरू की गई हैं।
  • NEMMP को वर्ष 2013 में देश में हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देते हुए राष्ट्रीय ईंधन सुरक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। वर्ष 2020 के बाद से वर्ष दर वर्ष हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों की 6-7 मिलियन बिक्री करने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य रखा गया है।
  • FAME India को हाइब्रिड/EV मार्केट डेवलपमेंट तथा मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम को सपोर्ट करने के उद्देश्य से वर्ष 2015 में शुरू किया गया था। इस योजना में 4 फोकस क्षेत्र शामिल हैं- प्रौद्योगिकी विकास (Manufacturing Ecosystem), मांग  निर्माण (Demand Creation), पायलट परियोजनाएँ (Pilot projects) और चार्ज बुनियादी ढाँचा (Charging Infrastructure) ।
  • भारतीय मानक ब्यूरो ( Bureau of Indian Standards- BIS), भारी उद्योग विभाग, ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया जैसे संगठन इलेक्ट्रिक वाहनों तथा इलेक्ट्रिक व्हीकल सप्लाई इक्विपमेंट इक्विपमेंट (Electric Vehicle Supply Equipment- EVSEs) के डिज़ाइन और विनिर्माण मानकों को तैयार करने का कार्य रहे हैं।

आगे की राह:

  • इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के तीन स्तंभों यथा- शहरी नियोजन, परिवहन एवं बिजली क्षेत्र के मध्य सही समन्वय स्थापित करना जो इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग को व्यवस्थित रूप प्रदान करने में सहायक होंगे।
  • इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग तेज़ी से बढ़ने वाले उद्योग है जो सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को गति प्रदान करने में सहायक होगा।

स्रोत: द हिंदू