चीन का स्थायी अंतरिक्ष स्टेशन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में चीन ने अपने स्थायी अंतरिक्ष स्टेशन का एक मानवरहित मॉड्यूल लॉन्च किया, जिसे वर्ष 2022 के अंत तक पूरा करने की योजना है।

  • ‘तियानहे’ या ‘हॉर्मनी ऑफ द हैवन्स’ नामक इस मॉड्यूल को चीन के सबसे बड़े मालवाहक रॉकेट लॉन्ग मार्च 5 बी से लॉन्च किया गया है।
  • भारत भी आगामी 5 से 7 वर्षों में अंतरिक्ष में सूक्ष्म गुरुत्त्व संबंधी प्रयोगों का संचालन करने के लिये ‘लो अर्थ ऑर्बिट’ में अपने स्वयं के अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण की दिशा में कार्य कर रहा है।

प्रमुख बिंदु:

पृष्ठभूमि:

  • वर्तमान में एकमात्र स्पेस स्टेशन- अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) मौजूद है, जहाँ चीन की पहुँच नही है।
    • स्पेस स्टेशन एक अंतरिक्ष यान होता है जो चालक दल के सदस्यों को विस्तारित अवधि के लिये निवास संबंधी सुविधा देने में सक्षम होता है, साथ ही इसमें अन्य अंतरिक्ष यानों को भी डॉक किया जा सकता है।
    • ISS संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, यूरोप, जापान और कनाडा द्वारा समर्थित है।
  • अंतरिक्ष अन्वेषण के मामले में चीन ने काफी देरी से कदम उठाए हैं। चीन ने वर्ष 2003 में अपने पहले अंतरिक्ष यात्री को पृथ्वी की कक्षा में भेजा  था, जिससे सोवियत संघ और अमेरिका के बाद ऐसा करने वाला वह तीसरा देश बन गया था।
  • अब तक चीन ने दो अंतरिक्ष स्टेशनों को कक्षा में भेजा है। ‘Tiangong-1’ और ‘Tiangong-2’ ट्रायल स्टेशन थे, जिनमें अंतरिक्ष यात्रियों को अपेक्षाकृत कम समय तक रखने की क्षमता थी।

चीन का अंतर्राष्ट्रीय स्टेशन:

  • 66 टन  का नया मल्टी-मॉड्यूल ‘तियांगोंग’ स्टेशन कम-से-कम 10 वर्षों तक कार्य करेगा।
  • ‘तियानहे’ चीन के पहले स्व-विकसित अंतरिक्ष स्टेशन के तीन मुख्य घटकों में से एक है, जो कि ISS का एकमात्र प्रतिद्वंद्वी है।
    • ‘तियानहे’  चीनी अंतरिक्ष स्टेशन में तीन चालक दल के सदस्यों के लिये निवास योग्य स्थान प्रदान करता है।
  • अंतरिक्ष स्टेशन को पूरा करने के लिये आवश्यक 11 मिशनों में से पहला तियानहे लॉन्च किया गया है, जो 340 से 450 किलोमीटर की ऊँचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करेगा।
    • बाद के अभियानों में चीन दो अन्य मुख्य मॉड्यूल, चार मानवयुक्त अंतरिक्ष यान और चार कार्गो अंतरिक्ष यान लॉन्च करेगा।

चीन के लिये महत्त्व:

  • अंतरिक्ष कार्यक्रम के संबंध में:
    • चीन ने वर्ष 2030 तक एक प्रमुख अंतरिक्ष शक्ति बनने का लक्ष्य रखा है। उसने अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम को चंद्रमा पर जाने, मंगल ग्रह के लिये एक मानवरहित प्रोब लॉन्च करने और अपने स्वयं के अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण के लिये तैयार किया है।
  • ISS की वर्ष 2024 तक समाप्ति:
    • इसके विपरीत दो दशकों से अधिक समय से कक्षा में स्थित ISS परियोजना वित्तपोषण के अभाव के कारण वर्ष 2024 में समाप्त होने वाली है। वहीं रूस ने हाल ही में वर्ष 2025 तक इस परियोजना से अलग होने की घोषणा कर दी है।
  • चीन के साथ रूस का गहरा संबंध:
    • अमेरिका से तनाव के कारण रूस अंतरिक्ष क्षेत्र में चीन के साथ संबंध बढ़ा रहा है। इसने अमेरिकी नेतृत्व वाले ‘आर्टेमिस मून एक्सप्लोरेशन प्रोग्राम’ की आलोचना की है और इसके बजाय आने वाले वर्षों में चीन के साथ ‘लूनर रिसर्च आउटपोस्ट’ स्थापित करने पर विचार कर रहा है।

चीन के अन्य मिशन:

China-Space-Station

स्रोत- द हिंदू