हिमाचल प्रदेश के हट्टी समुदाय | 30 Apr 2022

केंद्र, हिमाचल प्रदेश सरकार के अनुरोध पर राज्य में अनुसूचित जनजातियों की सूची में हट्टी समुदाय को शामिल करने पर विचार कर रहा है।

  •  यह समुदाय 1967 से इस अधिकार की  मांग कर रहा है, जब उत्तराखंड के जौनसार बावर इलाके (जिसकी सीमा सिरमौर ज़िले से लगती है) में रहने वाले लोगों को आदिवासी का दर्जा प्रदान किया गया था।
  • आदिवासी दर्जे की उनकी इस मांग को वर्षों से विभिन्न महा खुंबलियों में पारित प्रस्तावों के कारण बल मिला है।

Hatti-Area

हट्टी समुदाय:

  • हट्टी एक घनिष्ठ समुदाय है, जिसे कस्बों में 'हाट' नामक छोटे बाज़ारों में घरेलू सब्जियाँ, फसल, मांस और ऊन आदि बेचने की परंपरा से यह नाम मिला है।
  • हट्टी समुदाय में पुरुष आमतौर पर समारोहों के दौरान एक विशिष्ट सफेद टोपी पहनते हैं, यह समुदाय सिरमौर से गिरि और टोंस नामक दो नदियों द्वारा विभाजित हो जाता है। 
    • टोंस इसे उत्तराखंड के जौनसार बावर क्षेत्र से विभाजित करती है  
  • वर्ष 1815 में जौनसार बावर क्षेत्र के अलग होने तक उत्तराखंड के ट्रांँस-गिऋ क्षेत्र और जौनसार बावर में रहने वाले हट्टी कभी सिरमौर की शाही रियासत का हिस्सा थे। 
    • दोनों कुलों में समान परंपराएंँ हैं और अंतर्जातीय-विवाह आम बात है। 
  • हट्टी समुदायों के बीच एक कठोर जाति व्यवस्था है- भट और खश उच्च जातियांँ हैं, जबकि बधोई उनसे नीची जाति है।  
  • अंतर्जातीय विवाह अब परंपरागत रूप से सख्त नहीं रहे हैं। 
  • स्थलाकृतिक असुविधाओं के कारण कामरौ, संगरा और शिलियाई क्षेत्रों में रहने वाले हट्टी शिक्षा व रोज़गार में पीछे रह गए हैं। 
  • हट्टी समुदाय खुंबली नामक एक पारंपरिक परिषद द्वारा शासित होती है, जो हरियाणा के खाप पंचायत की तरह सामुदायिक मामलों को देखती है।  
  • पंचायती राज व्यवस्था की स्थापना के बावजूद खुंबली की शक्ति को कोई चुनौती नहीं मिली है।

अनुसूचित जनजाति:

  • संविधान का अनुच्छेद 366 (25) अनुसूचित जनजातियों को उन समुदायों के रूप में संदर्भित करता है, जो संविधान के अनुच्छेद 342 के अनुसार निर्धारित हैं।
  • अनुच्छेद 342 के अनुसार, केवल वे समुदाय जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा प्रारंभिक सार्वजनिक अधिसूचना के माध्यम से या संसद के बाद के संशोधन अधिनियम के माध्यम से ऐसा घोषित किया गया है, उन्हें अनुसूचित जनजाति माना जाएगा।
  • अनुसूचित जनजातियों की सूची राज्य/संघ राज्य क्षेत्र विशिष्ट है और एक राज्य में अनुसूचित जनजाति के रूप में घोषित समुदाय के लिये दूसरे राज्य में भी ऐसा होने की आवश्यकता नहीं है। 
  • किसी समुदाय को अनुसूचित जनजाति के रूप में निर्दिष्ट करने के मानदंड के बारे में संविधान मौन है। 
    • आदिमता, भौगोलिक अलगाव, शर्म और सामाजिक, शैक्षिक तथा आर्थिक पिछड़ापन ऐसे लक्षण हैं जो अनुसूचित जनजाति समुदायों को अन्य समुदायों से अलग करते हैं।
  • कुछ अनुसूचित जनजातियाँ, जिनकी संख्या 75 है, को विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTG) के रूप में जाना जाता है, इनकी विशेषता है: 
    • प्रौद्योगिकी पूर्व कृषि स्तर
    • स्थिर या घटती जनसंख्या
    • अत्यंत कम साक्षरता
    • अर्थव्यवस्था का निर्वाह स्तर
  • STs हेतु सरकार की पहल:

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस