यूएन औद्योगिक विकास रिपोर्ट-2020 | 05 Sep 2020

संदर्भ: 

हाल ही में ‘संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन’ (United Nations Industrial Development Organization- UNIDO) के भारतीय कार्यालय द्वारा ‘औद्योगिक विकास रिपोर्ट, 2020’ [Industrial Development Report (IDR), 2020] जारी की गई है। IDR 2020 के अनुसार, चौथी औद्योगिक क्रांति के रूप में ‘उन्नत डिजिटल उत्पादन (ADP) प्रौद्योगिकियों’ के उद्भव और प्रसार से विनिर्माण उत्पादन की प्रकृति में क्रांतिकारी बदलाव हुए हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार, किसी भी देश के विकास के लिये औद्योगिकीकरण एक महत्त्वपूर्ण आधार प्रदान करता है और विकासशील देश उभरती हुई प्रौद्योगिकियों का प्रयोग कर अपने औद्योगिक उत्पादन और विकास को बढ़ावा दे सकते हैं।  

  

प्रमुख बिंदु:     

  • UNIDO की रिपोर्ट के अनुसार, औद्योगिक क्षेत्र में तकनीकी के प्रयोग से उत्पादन की मात्रा में वृद्धि के साथ रोज़गार के भी नए अवसर उत्पन्न करने में सहायता प्राप्त हुई है।
  • इस रिपोर्ट में विश्व के 130 देशों के आँकड़े शामिल किये गए हैं।  
  • UNIDO द्वारा जारी वर्ष 2020 की औद्योगिक विकास रिपोर्ट (IDR) में वर्ष 2018 की रिपोर्ट की तुलना में भारत की स्थिति में काफी सुधार हुआ है।     
  • इस रिपोर्ट में भारत को विश्व में शीर्ष के उन 10 देशों की सूची में शामिल किया गया है जो ADP प्रौद्योगिकियों के विकास और अनुप्रयोग का नेतृत्व कर रहे हैं। 
    • गौरतलब है कि भारत इस सूची में निम्न मध्यम आय वाला एक मात्र देश है।  
  • इस रिपोर्ट के अनुसार, कुल 130 देशों में मात्र 3 देशों (भारत, चीन और इंडोनेशिया) में विनिर्माण क्षेत्र में मूल्य वर्धित वृद्धि देखने को मिली है। 
  • इस रिपोर्ट में भारत सरकार द्वारा संचालित ‘मेक इन इंडिया’ (Make In India), डिजिटल इंडिया (Digital India), स्मार्ट सिटी और समर्थ (Samarth) योजना की उपलब्धियों को रेखांकित किया गया है। 
  • COVID-19 महामारी के दौरान उन्नत डिजिटल उत्पादन (ADP) प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता महसूस की गई है।        

‘औद्योगिक विकास रिपोर्ट’

(Industrial Development Report- IDR): 

  • औद्योगिक विकास रिपोर्ट (IDR) संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (United Nations Industrial Development Organization- UNIDO) द्वारा वार्षिक रूप से जारी की जाने वाली एक रिपोर्ट है।
  • इस रिपोर्ट में वैश्विक स्तर पर औद्योगिक विकास के क्षेत्र में नवीनतम विकास और रुझानों को शामिल किया जाता है।
  • इस रिपोर्ट का प्रत्येक वार्षिक अंक औद्योगिक विकास के अलग प्रासंगिक पहलुओं, क्षेत्रों आदि पर केंद्रित रहता है।
  • UNIDO द्वारा पहली ‘औद्योगिक विकास रिपोर्ट’ वर्ष 2002 में प्रकाशित की गई थी।
  • ‘औद्योगिक विकास रिपोर्ट-2020’ का विषय ‘डिजिटल युग में औद्योगिकीकरण’ (Industrialization in the Digital Age) है। 

भारत की उपलब्धियाँ:

  • UNIDO की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 16% कंपनियों को अति-नवाचारी (Highly Innovative) श्रेणी में रखा गया है।
    • हालाँकि इस रिपोर्ट के अनुसार, देश में 94% अति-नवाचारी कंपनियाँ विनिर्माण क्षेत्र से संबंधित हैं। 
  • साथ ही भारत की 50% कंपनियों को ‘उत्पाद नवाचारों’ के मामले में आगे रही हैं, हालाँकि 31% कंपनियों को ‘गैर-नवाचारी’ की श्रेणी में रखा गया है।      

तकनीकी को बढ़ावा देने की आवश्यकता:

  • केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री के अनुसार, देश के विभिन्न क्षेत्रों में इंडस्ट्री 4.0 (industry 4.0) या चौथी औद्योगिक क्रांति की तेज़ी से बढ़ती पहुँच के बीच भारत के विकास हेतु नवाचार और नवीनतम तकनीकों को अपनाना बहुत ही आवश्यक है। 
  • विभिन्न क्षेत्रों में नवीन तकनीकों के विकास और प्रयोग को बढ़ावा देकर उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार होगा, जिससे भारत को वैश्विक स्तर की प्रतिस्पर्द्धा में बढ़त प्राप्त करने में सहायता प्राप्त होगी।

लाभ:

  • औद्योगिक क्षेत्र में उन्नत डिजिटल उत्पादन (ADP) को बढ़ावा देने से देश का समावेशी और सतत विकास सुनिश्चित किया जा सकेगा।  
  • साथ ही ADP को बढ़ावा देने से देश में उत्पादकता में वृद्धि और प्रतिस्पर्द्धा के साथ नये उत्पादों के विकास में भी सहायता प्राप्त होगी।
  • इस रिपोर्ट के अनुसार, जिन देशों ने विनिर्माण में ADP को बढ़ावा दिया है वे निर्यात के मामले में भी काफी आगे रहे हैं। 

बेहतर प्रबंधन और निर्णय :  

  • COVID-19 के दौरान कंपनियाँ बाज़ार की मांग और उत्पादों की खपत से जुड़े डेटा के अध्ययन के माध्यम से कम मांग वाले उत्पादों से जुड़ी इकाइयों को बंद या उत्पादन को सीमित कर और अधिक मांग वाले उत्पादों को प्राथमिकता देकर प्रबंधन से जुड़े बेहतर निर्णय लेने में सक्षम हुई हैं।
  • मांग के आधार पर उत्पादन में वृद्धि से उत्पादों के मूल्य में भी कमी आएगी और इसका सीधा लाभ उपभोक्ताओं को प्राप्त होगा।   

नए उद्योगों का विकास:  

  • नई तकनीकों को बढ़ावा देने से बेहतर उत्पादों की खोज को बढ़ावा मिलता है, जिससे नए उद्योगों का विकास होता है।
  • नए उद्योगों के विकास के माध्यम से रोज़गार और समाजिक समावेश को बढ़ावा मिलता है।  
  • उदाहरण के लिये- ‘भारतीय इंटरनेट और मोबाइल संघ’ (Internet and Mobile Association of India-IAMAI) द्वारा नवंबर 2019 में किये गए एक सर्वे के अनुसार, देश के शहरी क्षेत्रों (205 मिलियन) की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों (227 मिलियन) में इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या अधिक है। 
  • अतः वर्तमान में देश के ग्रामीण क्षेत्रों के उत्पादकों को एक बड़े बाज़ार से जोड़ने के साथ कई नये अवसरों का लाभ प्राप्त हो सकेगा।                                 

तकनीकी बनाम रोज़गार:   

  • किसी भी अन्य बड़े परिवर्तन की ही तरह है तकनीक को लेकर कुछ विरोधाभास देखने को मिलता है, उदाहरण के लिये- देश में औद्योगिक क्षेत्रों में कंप्यूटर को लाने पर रोज़गार में कमी आने से जुड़ी चिंताएँ व्यक्त की गई थी और कई क्षेत्रों (जैसे बैंक आदि में) कर्मचारियों ने इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किये थे। 
  • देश में कंप्यूटर के प्रयोग को बढ़ावा देने माध्यम से सूचना-प्रौद्योगिकी के लिये एक मज़बूत आधार प्रदान किया जा सका जिससे बड़ी संख्या में रोज़गार के अवसरों का विकास हुआ।  
  • नवीन तकनीकों के प्रयोग को बढ़ावा देने से कुछ समय के लिये प्रशिक्षण की आवश्यकता जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, परंतु एक चरणबद्ध प्रक्रिया के तहत तकनीकी नवीनीकरण और प्रशिक्षण के मध्यम से इस समस्या को आसानी से दूर किया जा सकता है। 
  • UNIDO की रिपोर्ट के अनुसार, औद्योगिक क्षेत्र में तकनीकी के प्रयोग से उत्पादन की मात्रा में वृद्धि के साथ रोज़गार के भी नए अवसर उत्पन्न करने में सहायता प्राप्त हुई है।
    • इस संदर्भ में रिपोर्ट में भारत की महिंद्रा एंड महिंद्रा कंपनी के उदाहरण को शामिल किया गया है, जहाँ कोबोट्स (Cobots= Collaborative Robots) या सहयोगी रोबोट के प्रयोग के माध्यम से उत्पादकता, गुणवत्ता, लागत में कमी और श्रमिकों के काम करने की स्थिति में सुधार जैसे लाभ प्राप्त किये जा सके।
  • वर्तमान में COVID-19 महामारी के दौरान कई कंपनियाँ तकनीकी के माध्यम से अपने अस्तित्व को बचने में सक्षम हो सकी है, अन्यथा देश में बंद हो रही औद्योगिक इकाइयों तथा बेरोजगारों की संख्या और अधिक वृद्धि हो सकती थी।     

समाधान:  

  • आकारिक मितव्ययिता (Economy of Scale): वर्तमान में यह बहुत ही आवश्यक हो गया है कि रोज़गार के अवसरों में कमी के अन्य कारणों की समीक्षा करते हुए उत्पादन की लागत को कम करने और आकारिक मितव्ययिता बढ़ाने में तकनीकी के योगदान पर विशेष ध्यान दिया जाए। 
    • उदाहरण के लिये चीन की आकारिक मितव्ययिता बहुत अधिक है जिससे चीन में उत्पादन की लागत भी काफी कम है, अतः वह आसानी से किसी भी देश के बाज़ार पर अपनी पकड़ मज़बूत कर लेता है।
  • COVID-19 महामारी से सीख लेते हुए भविष्य में ऐसे चुनौतियों से निपटने के लिये तकनीकी संभावनाओं का अध्ययन किया जाना चाहिये।
  • उत्पादन दक्षता: कंपनियों को नवीनतम तकनीकों के प्रयोग के माध्यम से उत्पादन में प्रति श्रमिक के योगदान को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिये।
  • प्रशिक्षण: सरकार को निजी संस्थानों के सहयोग से समय-समय कामगारों को नवीन तकनीकों से जुड़े आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रमों और कार्यशालाओं का आयोजन करना चाहिये।  

सरकार के प्रयास: 

  • सरकार द्वारा नवीनतम तकनीकों की स्वीकार्यता और विकास के लिये बौद्धिक संपदा अधिकारों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
  • साथ ही सरकार द्वारा स्टार्ट उप इंडिया (Start Up India) पहल के तहत नवोन्मेष पर विशेष बल दिया गया है। गौरतलब है कि विश्व में सबसे अधिक स्टार्ट अप के मामले में में भारत तीसरे स्थान पर है। 
    • DPIIT में 32,000 स्टार्टअप का पंजीकरण किया गया है, साथ ही सरकार द्वारा स्टार्ट उप कंपनियों को प्रोत्साहन देने हेतु ऋण प्रदान करने और कर (Tax) में छूट के साथ अन्य सुविधाएँ प्रदान की जा रही हैं।         

    आगे की राह:  

    • इस रिपोर्ट में ADP को अपनाने के लिये अलग-अलग क्षमता स्तर वाले देशों के बीच सहयोग बढ़ाने पर ज़ोर दिया गया है।    
      • उदाहरण के लिये ब्रिक्स (BRICS) देशों द्वारा ‘सूचना और संचार प्रौद्योगिकी’ (Information and Communications Technology- ICT) के साथ डेटा और स्मार्ट टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में साझा शोध कार्यक्रमों को प्रोत्साहित किया गया है।       
    • इस रिपोर्ट में ADP प्रौद्योगिकी के निर्यात के मामले में भारत को 19वाँ स्थान प्राप्त है, अतः इसमें सुधर हेतु सरकार को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये निर्यात से जुड़ी बाधाओं को दूर करने पर विशेष ध्यान होगा।   
    • हाल के वर्षों में भारत में कई विदेशी कंपनियों द्वारा निवेश में कमी का मुख्या कारण स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला का कमज़ोर होना है, अतः सरकार को निजी क्षेत्र के सहयोग से स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला के विस्तार पर विशेष ध्यान देना होगा।  
    • सरकार को अलग-अलग राज्यों में औद्योगिक क्लस्टर के बीच सकारात्मक प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देने का प्रयास करना चाहिए।  

    अभ्यास प्रश्न: COVID-19 महामारी और बदलते वैश्विक परिवेश की चुनौती के बीच भारतीय औद्योगिक क्षेत्र के विकास के संदर्भ में ‘औद्योगिक विकास रिपोर्ट, 2020’ की समीक्षा कीजिये।