विश्व मृदा दिवस | 05 Dec 2025

स्रोत: द हिंदू

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) द्वारा स्थापित विश्व मृदा दिवस (5 दिसंबर को ) जीवन -निर्वाह संसाधन के रूप में मृदा के महत्त्व पर प्रकाश डालता है, जिसका वर्ष 2025 का विषय है स्वस्थ मिट्टी, स्वस्थ शहर

  • स्वस्थ शहरी मृदा का महत्त्व: यह ऊष्मा द्वीपों, प्रदूषण, बाढ़ और खाद्य असुरक्षा से निपटने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये प्राकृतिक निस्यंदक, कार्बन सिंक और जल अवशोषक के रूप में कार्य करती है, जो जलवायु लचीलापन बढ़ाती है तथा जैवविविधता का समर्थन करती है।
  • क्षरण की सीमा: अपने महत्त्व के बावजूद, शहरी मृदा प्रदूषण, संघनन और कंक्रीट के जमाव के कारण अत्यधिक क्षरित हो रही है। FAO का कहना है कि विश्व की लगभग एक तिहाई मृदा क्षरित हो चुकी है ।
  • विश्व मृदा दिवस: मृदा के लिये अंतर्राष्ट्रीय दिवस का विचार पहली बार वर्ष 2002 में अंतर्राष्ट्रीय मृदा विज्ञान संघ द्वारा प्रस्तावित किया गया था। FAO ने इसकी औपचारिक मान्यता को बढ़ावा दिया, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2013 में FAO सम्मेलन ने विश्व मृदा दिवस का समर्थन किया।
    • इसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा ने आधिकारिक तौर पर 5 दिसंबर, 2014 को प्रथम विश्व मृदा दिवस के रूप में नामित किया।
    • वर्ष 2025 के विश्व मृदा दिवस पर कंपोस्ट, हरित अवसंरचना, ज़िम्मेदार मृदा प्रबंधन के माध्यम से मृदा को पुनर्स्थापित करने तथा स्वस्थ, अधिक लचीले शहरों के निर्माण के लिये शहरी कृषि को बढ़ावा देने का आह्वान किया गया है।
  • भारत की मृदा संरक्षण पहल: पोषक तत्त्व आधारित मृदा प्रबंधन के लिये मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना
    • प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना तथा वाटरशेड कार्यक्रम अपरदन को कम करने और मृदा में नमी-संरक्षण को बढ़ाने में सहायक हैं।
    • मनरेगा के अंतर्गत भूमि संबंधी कार्य मृदा पुनर्स्थापन और जल संरक्षण में सहायक है।
    • स्मार्ट सिटी मिशन हरित अवसंरचना, मुक्त स्थान, सतत भूदृश्य और मृदा-अनुकूल शहरी डिज़ाइन को बढ़ावा देता है।

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