टाइप 1 मधुमेह | 31 Mar 2023

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (National Commission for Protection of Child Rights- NCPCR) ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सूचित करते हुए कहा है कि वे अपने क्षेत्र में टाइप 1 मधुमेह से पीड़ित (T1D) बच्चों को आवश्यक उपचार और सुविधाएँ प्रदान करें।

टाइप 1 मधुमेह:

  • परिचय: 
    • T1D एक दीर्घकालिक स्थिति है जिसमें अग्न्याशय बहुत कम अथवा कोई इंसुलिन, रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने के लिये आवश्यक हार्मोन, उत्पन्न नहीं कर पाता है। इस प्रकार का मधुमेह आमतौर पर बच्चों और युवा वयस्कों में होता है, हालाँकि यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है।
      • इंटरनेशनल डायबिटीज़ फेडरेशन एटलस 2021 के आँकड़ों के अनुसार, दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में भारत में टाइप I मधुमेह मेलिटस (TIDM) बच्चों और किशोरों की संख्या 2.4 लाख है जो कि विश्व में सबसे अधिक है।
    • यह एक स्व-प्रतिरक्षित रोग है, जिसका अर्थ है कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अग्न्याशय में इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को प्रभावित करती है और उन्हें नष्ट कर देती है। इस स्थिति का सटीक कारण ज्ञात नहीं है, लेकिन माना जाता है कि आनुवंशिक एवं पर्यावरणीय कारक इस रोग के लिये ज़िम्मेदार हैं।
  • उपचार: 
    • टाइप 1 मधुमेह में सामान्यतः रक्त शर्करा के स्तर को प्रबंधित करने हेतु इंसुलिन इंजेक्शन या इंसुलिन पंप की आवश्यकता होती है।
  • बच्चों में जटिलताएँ: 
    • बच्चों में टाइप 1 मधुमेह की जटिलताओं में हाइपोग्लाइसीमिया (निम्न रक्त शर्करा), हाइपरग्लेसेमिया (उच्च रक्त शर्करा), केटोएसिडोसिस (संभावित जीवन-संकट वाली स्थिति, जब शरीर ग्लूकोज़ के बजाय ऊर्जा हेतु वसा का विखंडन करता है), साथ ही दीर्घकालिक जटिलताओं में जैसे- आँख, किडनी, तंत्रिका और हृदय संबंधी क्षति शामिल हो सकती है।

मधुमेह के अन्य प्रकार:

  • टाइप 2 मधुमेह:
    • यह शरीर द्वारा इंसुलिन के उपयोग के तरीके को प्रभावित करता है, जबकि शरीर इंसुलिन उत्पादन करता रहता है।
    • टाइप 2 मधुमेह किसी भी उम्र में, यहाँ तक कि बचपन में भी हो सकता है। हालाँकि इस प्रकार का मधुमेह अक्सर मध्यम आयु वर्ग और वृद्ध लोगों में होता है।
  • गर्भावस्थाजन्य मधुमेह:  
    • यह मधुमेह गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में उस स्थिति में होता है जब शरीर कभी-कभी इंसुलिन के प्रति कम संवेदनशील हो जाता है। यह मधुमेह गर्भकालीन सभी महिलाओं में नहीं होता है और आमतौर पर बच्चे को जन्म देने के बाद ठीक हो जाता है।

Diabetes

संबंधित पहलें: 

  • कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम (National Programme for Prevention and Control of Cancer, Diabetes, Cardiovascular Diseases and Stroke-NPCDCS):
    • यह पहल भारत द्वारा वर्ष 2010 में बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करने, मानव संसाधन विकास, स्वास्थ्य संवर्द्धन, शीघ्र निदान, प्रबंधन और रेफरल पर ज़ोर देने के साथ प्रमुख गैर संक्रामक रोग को रोकने एवं नियंत्रित करने के लिये शुरू की गई थी। 
  • विश्व मधुमेह दिवस: 
    • यह हर वर्ष 14 नवंबर को मनाया जाता है। 2022 अभियान मधुमेह शिक्षा तक पहुँच पर ध्यान केंद्रित करता है। 
  • ग्लोबल डायबिटीज़ कॉम्पैक्ट: 
    • WHO ने इंसुलिन की खोज की शताब्दी को चिह्नित करते हुए बीमारी से बेहतर तरीके से लड़ने के लिये ग्लोबल डायबिटी कॉम्पैक्ट शुरू किया। 

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग: 

  • NCPCR बाल अधिकार संरक्षण आयोग (CPCR) अधिनियम, 2005 के तहत मार्च 2007 में स्थापित एक सांविधिक निकाय है। 
  • यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है। 
  • आयोग का जनादेश यह सुनिश्चित करना है कि सभी कानून, नीतियाँ, कार्यक्रम और प्रशासनिक तंत्र भारत के संविधान तथा बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में निहित बाल अधिकारों के परिप्रेक्ष्य के अनुरूप हों। 
  • यह शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत एक बच्चे के मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकार से संबंधित शिकायतों की जाँच करता है।
  • यह यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 के कार्यान्वयन की निगरानी करता है।

स्रोत: द हिंदू