थमिराबरानी नदी | 27 Sep 2022

तमिलनाडु में तिरुनेलवेली का ज़िला प्रशासन, अशोका ट्रस्ट फॉर रिसर्च इन इकोलॉजी एंड द एन्वायरनमेंट (ATREE) गैर-लाभकारी संगठन, थमिराबरानी नदी का जीर्णोद्धार करने के लिये तामीरासेस नामक एक 'हाइपर लोकल' विधि का उपयोग कर रहा है।

परियोजना:

  • आवश्यकता:
    • दक्षिणी तमिलनाडु के लिये पर्यावरणीय और ऐतिहासिक दृष्टि से थामिराबरानी का अत्यधिक महत्त्व है लेकिन इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा है, इसलिये जीर्णोद्धार परियोजना शुरू की गई है।
    • थमिराबरानी परिदृश्य सामान्य रूप से जल-समृद्ध प्रतीत होता है, जबकि इसने वर्ष 2016 में विविध जल भंडारण प्रणालियों के बावजूद भीषण सूखे का सामना किया।
    • बस्तियाँ बढ़ रही हैं, जिसके कारण कृषि भूमि और जल निकाय सिकुड़ रहे हैं।
  • तामीरासेस परियोजना (TamiraSES project):
    • यह एक ज़िला स्तरीय पहल है जिसका उद्देश्य तामिरापारनी नदी के तट की (नदी के उद्गम स्थल से मुहाना तक) सामाजिक पारिस्थितिक प्रणालियों को बहाल करना है, ताकि स्थानीय जैवविविधता को पनपने और स्थानीय हितधारकों के लिये कई पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को बनाए रखने एवं बढ़ाने के लिये स्थितियों को सक्षम किया जा सके।
    • परियोजना के पहले चरण के तहत पाँच सामाजिक पारिस्थितिक वेधशालाएँ स्थापित की जाएंगी। ये वेधशालाएँ सीखने के लिये पायलट प्रोजेक्ट के रूप में काम करेंगी।
    • यह विचार न केवल थमिराबरानी नदी बल्कि तिरुनेलवेली के सभी जल निकायों को फिर से जीवंत करने की दिशा में प्रयास है।

थमिराबरानी नदी के प्रमुख बिंदु क्या हैं?

  • थमिराबरानी, तमिलनाडु की एकमात्र बारहमासी (पानी का निरंतर प्रवाह) नदी है।
  • यह राज्य की सबसे छोटी नदी है। यह अंबासमुद्रम तालुक में पश्चिमी घाट की पोथिगई पहाड़ियों से निकलती है और तिरुनेलवेली तथा थूथुकुडी ज़िलों से होकर बहते हुई कोरकाई (तिरुनेलवेली ज़िले) में मन्नार की खाड़ी (बंगाल की खाड़ी) में गिर जाती है। इस प्रकार यह एक ही राज्य में बहती है।
  • यह नदी नीलगिरि मार्टन, पतला लोरिस, लायन टेल्ड मकाक, सफेद धब्बेदार झाड़ी मेंढक, आकाशगंगा मेंढक, श्रीलंकाई एटलस मोथ और ग्रेट हॉर्नबिल जैसे वन्यजीवों का समर्थन करती है।
  • पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं के अलावा यह नदी राज्य के लोगों के लिये ऐतिहासिक मूल्य भी रखती है। संगम युग साहित्य में इसका व्यापक रूप से उल्लेख किया गया है।

Thamirabarani

स्रोत: डाउन टू अर्थ