गंभीर धोखाधड़ी जाँच कार्यालय | 12 Sep 2022

गंभीर धोखाधड़ी जाँच कार्यालय (SFIO) ने चीनी लिंक वाली शेल कंपनियों की स्थापना और नकली निदेशकों की आपूर्ति से जुड़े एक व्यापक रैकेट के कथित मास्टरमाइंड को गिरफ्तार किया है।

  • SFIO को सरकार ने ज़िलियन कंसल्टेंट्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और 32 अन्य कंपनियों की जाँच का जिम्मा सौंपा था।

शेल कंपनियाँ

  • आमतौर पर शेल कंपनियाँ ऐसी कॉरपोरेट संस्थाएँ होती हैं, जिनके पास उनका अपना न तो कोई सक्रिय व्यवसाय होता है और न ही उनके पास कोई स्थायी संपत्ति होती है।
  • यही कारण है कि इस प्रकार की कंपनियाँ सदैव संदेह के दायरे में रहती हैं, क्योंकि इनमें से कुछ कंपनियों का या तो मनी लॉन्ड्रिंग अथवा कर चोरी एवं अन्य अवैध गतिविधियों के लिये इस्तेमाल किया जा सकता है।

गंभीर धोखाधड़ी जाँच कार्यालय (SFIO):

  • परिचय:
    • भारत सरकार के कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs) के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत यह एक बहु-अनुशासनात्मक संगठन (Multi-disciplinary organization) हैं जिसके अंतर्गत् वित्तीय क्षेत्र, पूंजी बाजार, लेखा, फॉरेंसिक ऑडिट (Forensic audit), कराधान, कानून, सूचना प्रौद्योगिकी, कंपनी कानून, कस्टम तथा जाँच से संबंधित विशेषज्ञ शामिल हैं।
      • इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
    • SFIO के अधिकारियों को उनकी जाँच में सहायता और सेवा प्रदान करने के लिये कंप्यूटर फोरेंसिक एवं डेटा माइनिंग प्रयोगशाला (CFDML) की स्थापना वर्ष 2013 में की गई थी।
    • SFIO का नेतृत्त्व भारत सरकार के संयुक्त सचिव के पद पर विभाग के प्रमुख के रूप में एक निदेशक द्वारा किया जाता है।
    • गंभीर धोखाधड़ी जाँच कार्यालय (SFIO) शुरू में भारत सरकार द्वारा 2 जुलाई, 2003 को एक प्रस्ताव के माध्यम से स्थापित किया गया था। उस समय SFIO को औपचारिक कानूनी दर्जा प्राप्त नहीं था।
  • कार्य और भूमिकाएँ:
    • कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 211 ने गंभीर धोखाधड़ी जाँच कार्यालय (SFIO) को वैधानिक दर्जा दिया है।
      • SFIO के पास कंपनी कानून के उल्लंघन के लिये लोगों को गिरफ्तार करने का भी अधिकार है।
    • कंपनी के मामलों की जाँँच केंद्र सरकार द्वारा शुरू की जा सकती है और निम्नलिखित परिस्थितियों में गंभीर धोखाधड़ी जाँँच कार्यालय को सौंपी जा सकती है:
      • कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 208 (निरीक्षण पर रिपोर्ट) के तहत रजिस्ट्रार या निरीक्षक की रिपोर्ट प्राप्त होने पर।
      • एक कंपनी द्वारा पारित एक विशेष प्रस्ताव की सूचना पर कि उसके मामलों की जाँच आवश्यक है।
      • जनहित में।
      • केंद्र सरकार या राज्य सरकार के किसी विभाग के अनुरोध पर।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस