सेन्ना स्पेक्टाबिलिस | 31 Jan 2023

केरल ने सेन्ना स्पेक्टाबिलिस विदेशी आक्रामक पौधे को खत्म करने के लिये प्रबंधन योजना विकसित की है जो राज्य के वन्यजीव आवासों को गंभीर खतरे में डाल रहा है।

  • प्रबंधन योजना निर्धारित करती है कि वृक्षों को नष्ट करने का प्रयास तब तक नहीं किया जाना चाहिये जब तक कि विस्तृत वनीकरण योजना और इसे लागू करने के लिये संसाधन मौजूद न हों।

Senna-Spectabilis

सेन्ना स्पेक्टाबिलिस:

  • सेन्ना स्पेक्टाबिलिस पर्णपाती वृक्ष है जो अमेरिका के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों की स्थानीय वनस्पति है।
  • यह कम समय में 15 से 20 मीटर तक बढ़ता है और इसमें फूल आने के बाद इसके हज़ारों बीज क्षेत्र में फैल जाते हैं।
  • पेड़ के घने पत्ते अन्य स्थानीय वृक्ष और घास की प्रजातियों के विकास को रोकते हैं। इस प्रकार यह वन्यजीव आबादी, विशेष रूप से शाकाहारी जानवरों के लिये भोजन की कमी का कारण बनता है। 
  • यह देशी प्रजातियों के अंकुरण और वृद्धि पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
  • इसे IUCN रेड लिस्ट के तहत 'कम चिंतनीय' के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

उन्मूलन योजना:

  • इस योजना में पेड़ के भूदृश्य-स्तर प्रबंधन की परिकल्पना(Landscape-Level Management) की गई है।
  • एक बार भूदृश्य बहाली के लिये संसाधन और सामग्री तैयार हो जाने के बाद बड़े पेड़-पौधों और छोटे पौधों के लिये त्रि-आयामी दृष्टिकोण का उपयोग कर आक्रामक प्रजातियों को हटाया जाना चाहिये।
    • बड़े पेड़ों की (ज़मीन के स्तर से 1.3 मीटर ऊपर) काट-छाँट करने की आवश्यकता होती है, एक बार ऐसा करने के बाद पेड़ों का महीने में एक बार अवलोकन किया जाना चाहिये ताकि डीबार्क क्षेत्र में नवीन प्रजातियों को हटाया जा सके। 
    • विशेष रूप से डिज़ाइन किये गए खरपतवार खींचने वाले यंत्रों का उपयोग कर बड़े-बड़े पौधों को उखाड़ा जा सकता है।
    • तीसरा है छोटे पौधों को हटाना जिन्हें मशीन की सहायता से हटाने की आवश्यकता होती है।
  • छाल निकालने की प्रक्रिया के बाद बड़े पेड़ों को पूरी तरह से सूखने में कम- से-कम 18 माह का समय लगता है। 

आक्रामक प्रजातियाँ:

  • आक्रामक प्रजातियाँ नए वातावरण में पारिस्थितिक या आर्थिक नुकसान का कारण बनती है।
  • वे देशी/स्थानीय पौधों और जानवरों के विलुप्त होने, जैवविविधता में कमी, सीमित संसाधनों के लिये स्थानिक प्रजातियों के साथ प्रतिस्पर्द्धा करने और निवास स्थान में बदलाव करने में सक्षम हैं।
  • इन्हें मनुष्यों एवं आकस्मिक रूप से शिप बलास्ट वाटर के निष्कासन द्वारा किसी क्षेत्र में लाया जाता है।
  • भारत में अनेक आक्रामक प्रजातियाँ जैसे- चारु मुसेल (Charru Mussel), लैंटाना झाड़ियाँ (Lantana bushes), इंडियन बुलफ्रॉग (Indian Bullfrog) आदि पाई जाती  हैं।

स्रोत: द हिंदू