जन्म प्रमाण-पत्र पर महापंजीयक के निर्देश | 28 Jun 2025
स्रोत: द हिंदू
भारत के महापंजीयक (जो गृह मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करते हैं) ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि जन्म पंजीकरण के 7 दिनों के भीतर जन्म प्रमाण-पत्र जारी किया जाए और यह कार्य संभव हो तो अस्पताल से नवजात को छुट्टी देने से पहले ही कर लिया जाए। यह निर्देश विशेष रूप से सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों के लिये महत्त्वपूर्ण है, जहाँ भारत में 50% से अधिक संस्थागत प्रसव होते हैं।
- जन्म पंजीकरण: भारत में जन्म पंजीकरण 86% (वर्ष 2014) से बढ़कर 96% (वर्ष 2024) हो गया है ।
- जन्म पंजीकरण के लिये कानूनी ढाँचा: यह जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण (RBD) अधिनियम, 1969 द्वारा शासित है, इस अधिनियम के तहत यदि पंजीकरण 21 दिनों के भीतर किया जाता है, तो कोई शुल्क नहीं लिया जाता।
- अब कानूनी प्रावधानों के अंतर्गत गोद लिये गए, अनाथ, परित्यक्त, समर्पित और सरोगेसी से जन्मे बच्चों के साथ-साथ अकेले माता-पिता या अविवाहित माताओं के बच्चों का भी पंजीकरण सुनिश्चित किया गया है।
- वर्ष 2023 में इस अधिनियम में संशोधन करके डिजिटल पंजीकरण को अनिवार्य कर दिया गया है साथ ही इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज़ों को आधिकारिक मान्यता प्रदान की गई है।
- शासन पर प्रभाव: 1 अक्तूबर, 2023 से, डिजिटल जन्म प्रमाण-पत्र स्कूल में दाखिले, सरकारी नौकरियों, विवाह पंजीकरण और ड्राइविंग लाइसेंस तथा पासपोर्ट जारी करने जैसे कार्यों के लिये जन्म तिथि का एकमात्र वैध प्रमाण बन गया है।
- एक केंद्रीकृत पोर्टल तैयार किया गया है जो जन्म पंजीकरण डेटा को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR), राशन कार्ड, संपत्ति पंजीकरण और मतदाता सूची से जोड़ेगा। इसका उद्देश्य शासन व्यवस्था को अधिक सशक्त बनाना है।
- वैश्विक प्रतिबद्धताएँ: यह एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिये संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक आयोग (ESCAP) की "नागरिक पंजीकरण और महत्त्वपूर्ण सांख्यिकी दशक (2014–2024)" की लक्ष्य-भावना के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य "हर व्यक्ति को पहचान में लाना" (Get everyone in the picture) है, साथ ही, यह सतत् विकास लक्ष्य (SDG) के लक्ष्य 16.9 का भी समर्थन करता है, जिसका उद्देश्य है- “2030 तक सभी को कानूनी पहचान प्रदान करना, जिसमें जन्म पंजीकरण भी शामिल है।”
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