Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 25 मई, 2023 | 25 May 2023

महिला सशक्तीकरण के लिये भारत के भ्रष्टाचार विरोधी प्रयास 

ऋषिकेश में आगामी G20 भ्रष्टाचार विरोधी कार्य समूह की बैठक में भारत अपने अनुभवों पर प्रकाश डालेगा जहाँ भ्रष्टाचार विरोधी प्रयासों ने महिला सशक्तीकरण पर सकारात्मक प्रभाव डाला है। बैठक में महिलाओं पर भ्रष्टाचार के प्रभाव, लेखांकन संस्थानों की भूमिका और आर्थिक अपराधियों की एक सामान्य परिभाषा की स्थापना सहित कई विषयों को शामिल किया जाएगा। बैठक के दौरान एक अलग कार्यक्रम में लैंगिक संवेदनशीलता तथा भ्रष्टाचार विरोधी रणनीतियों के प्रतिच्छेदन का पता लगाने की भारत की पहल पर प्रकाश डाला जाएगा। भारत का लक्ष्य विश्व स्तर पर भ्रष्टाचार का मुकाबला करने और आर्थिक अपराधियों को उदार कानूनों वाले देशों में शरण लेने से रोकने में G20 देशों की प्रतिबद्धता को मज़बूती प्रदान करना है। वर्ष 2018 में अर्जेंटीना की G20 प्रेसीडेंसी के दौरान भगोड़े आर्थिक अपराधों और परिसंपत्ति की वसूली के खिलाफ कार्रवाई के लिये भारतीय प्रधानमंत्री का नौ सूत्री मसौदा, सभी G20 देशों की चिंताओं के साथ प्रतिध्वनित होता है। भारत सार्वजनिक वित्त में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व बढ़ाने के लिये सर्वोच्च लेखापरीक्षा प्राधिकरणों तथा भ्रष्टाचार विरोधी निकायों के बीच सहयोग पर बल देते हुए भ्रष्टाचार का सामना करने में लेखापरीक्षा की भूमिका के संबंध में उच्च प्रथाओं का एक सार-संग्रह भी संकलित कर रहा है। यह व्यापक दृष्टिकोण भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई को मज़बूत करने में भारत की प्राथमिकता को प्रदर्शित करता है।

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स्थानीय जनजातियों द्वारा मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्रों को अलग करने की मांग

स्थानीय जनजातीय नेताओं का फोरम (Indigenous Tribal Leaders' Forum- ITLF) मणिपुर में जनजातीय नेताओं का मंच है जो खुद को मणिपुर के चुराचाँदपुर में मान्यता प्राप्त जनजातियों के समूह के रूप में वर्णित करता है। इसने राज्य के अन्य हिस्सों से मुख्य रूप से कुकी-चिन-ज़ोमी-मिज़ो समूह की स्थानीय जनजातियों द्वारा बसे पहाड़ी क्षेत्रों को पूरी तरह से अलग करने का आह्वान किया है। मणिपुर के चुराचाँदपुर ज़िले में मान्यता प्राप्त जनजातियों का प्रतिनिधित्व करने वाले ITLF ने CRPF के पूर्व प्रमुख को याचिका सौंपी, जिन्हें हालिया जातीय संघर्षों के बाद मणिपुर सरकार के सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था। इस मंच ने प्रमुख मैतेई लोगों के साथ सह-अस्तित्व पर असमर्थता व्यक्त की, उन पर अंतहीन अत्याचार करने और आदिवासी लोगों के प्रति घृणा प्रदर्शित करने का आरोप लगाया।

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असम और मेघालय सीमा विवाद को सुलझाने के प्रयास  

हाल ही में असम और मेघालय के बीच मुख्यमंत्री स्तर की बैठक में दोनों राज्यों के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद को हल करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाया गया। असम और मेघालय 884 किमी. लंबी सीमा साझा करते हैं, यह बैठक शेष छह विवादित क्षेत्रों के लिये संकल्प प्रक्रिया की "शुरुआत" थी। जुलाई 2021 से वे विवादों को निपटाने के लिये चर्चा में लगे हुए हैं और पिछले मार्च, 2022 में उन्होंने बारह विवादित क्षेत्रों में से छह को संबोधित करने के लिये एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये। जिन छह क्षेत्रों में विवाद बना हुआ है, वे लंगपीह, बोरदुआर, नोंगवाह-मावतामुर, देशडूमरिया, ब्लॉक 1 और ब्लॉक II तथा सियार-खंडुली हैं। इसके अतिरिक्त बैठक में दोनों राज्यों द्वारा पूर्व में गठित तीन पैनलों द्वारा विवादित क्षेत्रों का दौरा शुरू करने का निर्णय लिया गया। ये घटनाक्रम सीमा मुद्दों को हल करने और क्षेत्र में शांति तथा स्थिरता को बढ़ावा देने के लिये नए सिरे से प्रतिबद्धता का संकेत देते हैं।

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चांगथी परियोजना 

मलयालम परीक्षा में प्रवासी श्रमिकों की उपलब्धि केरल साक्षरता मिशन के तहत चांगथी परियोजना की सफलता पर प्रकाश डालती है। समाज में प्रवासी मज़दूरों द्वारा सामना किये जाने वाले बहिष्कार को संबोधित करने हेतु डिज़ाइन किये गए इस कार्यक्रम का उद्देश्य उन्हें मलयालम तथा हिंदी में पढ़ना-लिखना सिखाना है। सामाजिक-सांस्कृतिक एकीकरण के महत्त्व को स्वीकार करते हुए साक्षरता मिशन प्रवासी श्रमिकों को उनके राज्य की बारीकियों को समझने के लिये आवश्यक कौशल से युक्त करना चाहता है। यह कार्यक्रम पहली बार 15 अगस्त, 2017 को पेरुम्बवूर, केरल में शुरू किया गया था। चांगथी जैसी पहलों के माध्यम से प्रवासी श्रमिकों को सशक्त बनाया जा रहा है। यह बाधाओं को तोड़कर और समाज में अधिक समावेशिता को बढ़ावा दे रहा है।

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