Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 20 मई, 2023 | 20 May 2023

ग्रेटर फ्लेमिंगो

हाल ही में हरियाणा की सीमा से लगे नजफगढ़ आर्द्रभूमि से एक ग्रेटर फ्लेमिंगो को बचाया गया है।

ग्रेटर फ्लेमिंगो (फोनीकोप्टेरस रोसियस/Phoenicopterus roseus) गुजरात का राजकीय पक्षी है। वे मध्य पूर्व में पाए जाते हैं, जिनमें ईरान, तुर्किये, दुबई, ओमान और अफगानिस्तान शामिल हैं। वे दक्षिण एवं दक्षिण पश्चिम एशिया में भी सामान्य रूप से पाए जाते हैं। वे मुख्य रूप से उथले जल क्षेत्र लैगून, झीलों, ज्वारनदमुख तथा कीचड़युक्त समुद्र तटों में पाए जाते हैं। विश्व में फ्लेमिंगो की छह प्रजातियों में से दो भारत में पाई जाती हैं: उनमें से सबसे बड़ी, ग्रेटर फ्लेमिंगो तथा सबसे छोटी, लेसर फ्लेमिंगो (फोनीकोनैस माइनर) है। ये लंबे होते है जिनकी काली-टिप वाली हल्की गुलाबी रंग की चोंच, पीली आँखें और गुलाबी-सफेद शरीर होता है। प्रजातियों की IUCN रेड लिस्ट में इन्हें "कम चिंतनीय (Least Concern- LC)" के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

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उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना

भारत सरकार ने टेस्ला (Tesla) सहित विभिन्न कंपनियों से निवेश आकर्षित करने के लिये इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) और उन्नत रसायन सेल बैटरी के लिये एक उन्नत उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना की पेशकश की है। यह समायोजन टेस्ला के लिये विशिष्ट नहीं है, हालाँकि यह दूरसंचार उपकरणों और IT हार्डवेयर PLI योजनाओं के साथ प्रयोग की जाने वाली रणनीति के समान है। संशोधित PLI योजना को अंतिम रूप देने से साझेदार कंपनियों के लिये प्रोत्साहन और संरचना की बारीकियों का निर्धारण सुनिश्चित होगा। PLI योजना 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' का एक महत्त्वपूर्ण घटक है। इसका उद्देश्य घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना और देश को रणनीतिक क्षेत्रों में वैश्विक चैंपियन के रूप में स्थापित करना है। इस योजना के तहत कंपनियों को आधार वर्ष की तुलना में भारत में निर्मित उत्पादों की वृद्धिशील बिक्री के आधार पर प्रोत्साहन प्राप्त होता है। PLI योजना विदेशी कंपनियों को भारत में विनिर्माण इकाइयाँ स्थापित करने के लिये भी प्रोत्साहित करती है। केंद्रीय बजट 2021-22 ने PLI योजनाओं के लिये 1.97 लाख करोड़ रुपए आवंटित किये, जिसमें मोबाइल निर्माण, चिकित्सा उपकरण, ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल्स, विशेष इस्पात, दूरसंचार उत्पाद, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, व्हाइट गुड्स, खाद्य उत्पाद, वस्त्र उत्पाद, सौर पीवी मॉड्यूल, उन्नत रसायन सेल बैटरी और ड्रोन जैसे 14 क्षेत्र शामिल हैं। इन क्षेत्रों को राजस्व तथा रोज़गार पैदा करने की उनकी क्षमता के आधार पर चुना गया था। PLI योजना भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने एवं आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
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जलवायु और कोविड-19 के बीच की कड़ी

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के विशेषज्ञ समूह ने निष्कर्ष निकाला है कि हो सकता है कि ठंडे और शुष्क मौसम ने कोविड-19 के प्रसार में मदद की हो, लेकिन यह प्रमाण वायरस के प्रसार में मौसम की महत्त्वपूर्ण भूमिका का समर्थन नहीं करता है। अंतिम रिपोर्ट में कहा गया है कि "उच्च गुणवत्ता वाले" शोध अध्ययन तापमान और कोविड-19 संचरण के बीच एक नकारात्मक संबंध दिखाते हैं, यह सुझाव देते हुए कि कम तापमान वायरस के प्रसार को बढ़ावा दे सकता है। इसी तरह नमी भी कोविड-19 संचरण के साथ सहसंबद्ध है, जो यह दर्शाता है कि शुष्क परिस्थितियों में संचरण होता है। WMO 192 सदस्य राज्यों और क्षेत्रों की सदस्यता वाला एक अंतर-सरकारी संगठन है। इसकी उत्पत्ति अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान संगठन (IMO) से हुई है, जिसे वर्ष 1873 वियना अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान कॉन्ग्रेस के बाद स्थापित किया गया था। WMO का मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है। भारत 1949 से WMO का सदस्य है।
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बाओबाब का पेड़

मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को धार ज़िले में बाओबाब के पेड़ों को काटने से रोकने का निर्देश दिया है। यह निर्णय आदिवासी समुदायों द्वारा इन पेड़ों को हटाए जाने के विरोध के बाद आया है। न्यायालय ने राज्य को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया है कि "इस न्यायालय के अगले आदेश तक किसी भी प्राधिकरण द्वारा किसी भी उद्देश्य के लिये एक भी बाओबाब का पेड़ नहीं काटा जाएगा"। ज़िले में लगभग 1,000 बाओबाब के पेड़ हैं, जिनमें से कुछ सदियों पुराने हैं और विरासत एवं ऐतिहासिक मूल्य के हैं। पेड़ों को जैविक विविधता अधिनियम, 2002 के तहत रखा गया है, जिसका अर्थ है कि व्यावसायिक उपयोग के लिये राज्य को जैवविविधता बोर्ड से अनुमति लेनी होगी। बाओबाब पर्णपाती पेड़ हैं जिनकी ऊँचाई 5 से 20 मीटर तक होती है। यह अफ्रीकी मूल का है, लेकिन संभवतः 10वीं और 17वीं शताब्दी के बीच अफ्रीकी सैनिकों द्वारा यहाँ लाए गए थे। इसे 'अफ्रीका में विश्व वृक्ष' के रूप में जाना जाता है। बाओबाब के पेड़ एक हज़ार से अधिक वर्षों तक जीवित रह सकते हैं और भोजन, पशुधन चारा, औषधीय यौगिक और कच्चा माल प्रदान करते हैं।
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हीटवेव

वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन (WWA) के एक अध्ययन में पाया गया कि अप्रैल में होने वाली तीव्र और आर्द्र गर्मी की लहरें जो पूर्वी और उत्तर भारत, बांग्लादेश, लाओस एवं थाईलैंड जैसे क्षेत्रों को प्रभावित करती हैं, जलवायु परिवर्तन के कारण बहुत अधिक होने की संभावना थी। इस तरह की हीटवेव होने की संभावना कम से कम 30 गुना बढ़ जाती है। ह्यूमिड हीटवेव का विश्लेषण हीट इंडेक्स का उपयोग करके किया जाता है जो बढ़े हुए तापमान और सापेक्ष आर्द्रता के स्तर का एक संयोजन है। इसके द्वारा मानव शरीर पर हीटवेव के प्रभाव की बेहतर समझ प्रदान करता है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के मानदंड के अनुसार, जब तक किसी स्टेशन का अधिकतम तापमान मैदानी इलाकों के लिये कम-से-कम 40°C और पहाड़ी क्षेत्रों के लिये कम-से-कम 30°C तक नहीं पहुँच जाता तब तक “लू” पर विचार करने की आवश्यकता नहीं है। यदि किसी स्टेशन का सामान्य अधिकतम तापमान 40°C से कम या उसके बराबर है तो सामान्य तापमान से 5°C से 6°C की वृद्धि को हीटवेव स्थिति माना जाता है। इसके अतिरिक्त सामान्य तापमान से 7 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक की वृद्धि को गंभीर “लू” की स्थिति माना जाता है। WWA, जलवायु वैज्ञानिकों का एक वैश्विक संघ है जो मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन द्वारा निभाई गई भूमिका का अध्ययन करता है,जैसे गर्मी की लहरों, सूखा, ठंड, अत्यधिक वर्षा, बाढ़ और तूफान जैसी चरम मौसम की घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता आदि।

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