क्वांटम डॉट्स और 2D मेटल्स | 17 May 2025
स्रोत: द हिंदू
क्वांटम डॉट्स और 2D धातुओं ने नैनोमैटेरियल्स में क्रांति ला दी है, जिससे इलेक्ट्रॉनिक्स, निदान तथा सतत् प्रौद्योगिकियों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
- क्वांटम डॉट्स ऐसे सेमीकंडक्टर्स होते हैं जो कुछ नैनोमीटर चौड़े होते हैं और क्वांटम संकेतन के कारण अनोखी विशेषताएँ प्रदर्शित करते हैं, जिसमें इलेक्ट्रॉनों को सभी आयामों में सीमित किया जाता है।
- क्वांटम संकेतन के कारण इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा अवस्थाएँ बदल जाती हैं, जो शून्य-आयामी पदार्थों जैसे क्वांटम डॉट्स के व्यवहार के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण होती हैं।
- क्वांटम डॉट्स के उपयोगों में LED, चिकित्सा निदान, सोलर पैनल और सेमीकंडक्टर निर्माण शामिल हैं, जिसके लिये उन्हें वर्ष 2023 का रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार मिला।
- 2D मेटल्स को बनाने के प्रयासों में चुनौतियाँ आईं क्योंकि धातुएँ स्वाभाविक रूप से 3D बॉडिंग को प्राथमिकता देती हैं, जिससे परमाणु स्तर पर पतली और स्थिर 2D मेटल शीट्स बनाना कठिन हो गया।
- 2D मेटल्स, धातुओं के अत्यंत पतले (केवल 1 या 2 परमाणु मोटाई वाले) शीट होते हैं, जहाँ इलेक्ट्रॉन केवल दो आयामों (लंबाई और चौड़ाई) में गति कर सकते हैं। जबकि बल्क मेटल्स से भिन्न है, जहाँ इलेक्ट्रॉन तीन आयामों (लंबाई, चौड़ाई, ऊँचाई) में स्वतंत्र रूप से गति करते हैं।
- 2D मेटल्स के उपयोगों में अतिसंवेदनशील सेंसर शामिल हैं, जिनका प्रयोग चिकित्सा से लेकर सैन्य क्षेत्र तक किया जाता है।
- 2D बिस्मथ और टिन टोपोलॉजिकल इंसुलेटर के रूप में कार्य करते हैं, जहाँ विद्युत धारा केवल उनके किनारों पर प्रवाहित होती है तथा किनारों पर चुम्बकत्व के कारण भविष्य में तीव्र गति के कंप्यूटरों की संभावना होगी।
- 2D मैटेरियल्स, जैसे कि ग्राफीन, इलेक्ट्रॉनों को दो आयामों में गतिशील होने की अनुमति देते हैं, जिससे वे बिना द्रव्यमान वाले कणों जैसा व्यवहार करते हैं और विचित्र गुण प्रदर्शित करते हैं।
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