डिजिटल सुरक्षा में क्वांटम क्रांति | 16 Oct 2025

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

वैश्विक स्तर पर यह पहला अवसर है जब बंगलूरू के रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (RRI) के शोधकर्त्ताओं ने कमर्शियल क्वांटम कंप्यूटर का उपयोग करके ट्रू रैंडम नंबर उत्पन्न करने की विधि विकसित की है, जो हैक-प्रूफ डिजिटल सुरक्षा के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।

  • यह भारत के राष्ट्रीय क्वांटम मिशन की पहली प्रमुख वैश्विक रूप से प्रासंगिक अनुसंधान सफलता है, जिसका बुनियादी ढाँचे पर महत्त्वपूर्ण व्यावसायिक और रणनीतिक प्रभाव पड़ता है।

क्वांटम टेक्नोलॉजी में ट्रू रैंडम नंबर (TRN) क्या है?

  • परिचय: रैंडम नंबर उन संख्याओं की शृंखला होती हैं, जो क्वांटम पार्टिकल्स के अंतर्निहित अप्रत्याशित व्यवहार को मापकर उत्पन्न की जाती हैं। ये पूरी तरह से रैंडम फिजिकल प्रोसेस से उत्पन्न होती हैं, न कि किसी पूर्व निर्धारित एल्गोरिदम या पैटर्न से।
    • उदाहरण के लिये, क्वांटम सुपरपोज़िशन में एक फोटॉन मापन के समय यादृच्छिक रूप से किसी स्थिति में पतित हो जाएगा। यह यादृच्छिकता पूर्वानुमानित नहीं की जा सकती और न ही बाह्य कारकों द्वारा प्रभावित होती है।
  • स्थानिक पृथक्करण के बजाय समय आधारित पृथक्करण: पहले के प्रयोगों में क्वांटम पार्टिकल की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिये उनके स्थानिक पृथक्करण पर निर्भर किया जाता था। अब RRI ने एक ही पार्टिकल की क्वांटम स्थिति में समय आधारित पृथक्करण प्रस्तुत किया है, जिससे बड़े सेटअप की आवश्यकता के बिना इसे दैनिक उपयोग में अधिक व्यावहारिक रूप से लागू किया जा सकता है।
    • यह नवाचार इस तकनीक को वास्तविक विश्व के अनुप्रयोगों के करीब लाता है, जहाँ शोर जैसे बाह्य कारक क्वांटम व्यवहार को विकृत कर सकते हैं।
  • डिजिटल सुरक्षा में महत्त्व: रैंडम नंबर एन्क्रिप्शन और साइबर सुरक्षा का आधार हैं, जिनका उपयोग पासवर्ड, एन्क्रिप्शन कीज़ एवं प्रमाणीकरण प्रणाली बनाने के लिये किया जाता है।
    • ट्रू क्वांटम यादृच्छिकता (True Quantum Randomness) अपूर्वानुमेयता और अधिकतम सुरक्षा सुनिश्चित करती है, जिससे यह भविष्य के तैयार एन्क्रिप्शन सिस्टम हेतु अत्यंत महत्त्वपूर्ण हो जाती है।
    • वर्तमान प्रणाली एल्गोरिदम द्वारा उत्पन्न स्यूडोरैंडम नंबर (Pseudorandom Numbers) पर निर्भर करती है, जो निकट भविष्य में क्वांटम कंप्यूटरों के लिये संवेदनशील हो सकती हैं।

ट्रू रैंडम नंबर (TRNs) वर्तमान विधियों से कैसे अलग हैं?

विशेषता

वर्तमान विधियाँ (PRNs)

ट्रू रैंडम नंबर (TRNs)

यादृच्छिकता का स्रोत

एल्गोरिद्मिक (स्यूडोरैंडम नंबर – PRNs) या क्लासिकल फिजिकल नॉइज़ (थर्मल, इलेक्ट्रॉनिक)

इंट्रिंसिक क्वांटम फिनॉमेना (फोटॉन ध्रुवण, इलेक्ट्रॉन स्पिन, क्वांटम सुपरपोज़िशन)

पूर्वानुमेयता (Predictability)

यदि एल्गोरिद्म या सीड ज्ञात हो तो अनुमान लगाया जा सकता है

क्वांटम अनिश्चितता के कारण मूल रूप से अप्रत्याशित

स्वरूप (Nature)

नियतात्मक (Deterministic) या शोर-आधारित

पूर्णतः यादृच्छिक, अनियतात्मक (Non-deterministic)

तंत्र (Mechanism)

मैथमेटिकल एल्गोरिदम (जैसे, लीनियर कॉन्ग्रुएंशियल जेनरेटर) या क्लासिकल प्रोसेस का इस्तेमाल करता है

क्वांटम प्रक्रियाओं का मापन, जैसे फोटॉन का बीम स्प्लिटर से गुजरना या इलेक्ट्रॉन स्पिन का मापन

सुरक्षा (Security)

सामान्य कंप्यूटिंग के लिये उपयुक्त, क्रिप्टोग्राफी हेतु कम सुरक्षित

अत्यधिक सुरक्षित; क्रिप्टोग्राफी और क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन हेतु आदर्श

अनुप्रयोग (Applications)

सिमुलेशन, गेम्स, सामान्य कंप्यूटिंग

सुरक्षित संचार, क्वांटम क्रिप्टोग्राफी, उच्च-सुरक्षा अनुप्रयोग

 

क्वांटम टेक्नोलॉजी

  • परिचय: क्वांटम टेक्नोलॉजी उन उन्नत तकनीकों के समूह को संदर्भित करती है जो क्वांटम यांत्रिकी के विशिष्ट सिद्धांतों जैसे सुपरपोज़िशन, एंटैंगलमेंट और क्वांटम टनलिंग का उपयोग करती हैं, ताकि ऐसे कार्य किये जा सकें जो पारंपरिक तकनीकों से असंभव या अत्यंत अलाभकारी हों।
  • मुख्य सिद्धांत:
    • सुपरपोज़िशन (Superposition): क्वांटम पार्टिकल (जैसे इलेक्ट्रॉन या फोटॉन) मापे जाने तक एक साथ अनेक अवस्थाओं में मौजूद रह सकते हैं।
    • एंटैंगलमेंट (Entanglement): दो या अधिक क्वांटम पार्टिकल आपस में इस तरह से जुड़े हो सकते हैं कि एक पार्टिकल की अवस्था तुरंत दूसरे को प्रभावित करती है, भले ही वे दूरी पर हों।
    • क्वांटम टनलिंग और कोहेरेंस (Quantum Tunneling & Coherence): पार्टिकल ऊर्जा अवरोधों को पार कर सकते हैं और अपनी सूक्ष्म क्वांटम अवस्था को बनाए रख सकते हैं, जिससे अत्यंत सटीक गणना एवं संवेदन संभव हो पाता है।

राष्ट्रीय क्वांटम मिशन

  • परिचय: यह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की एक प्रमुख पहल है, जिसका उद्देश्य क्वांटम टेक्नोलॉजी के अनुसंधान, विकास और अनुप्रयोग को प्रोत्साहित करना है। यह मिशन वित्तीय वर्ष 2023–24 से 2030–31 तक संचालित होगा।
  • केंद्रित क्षेत्र: 
    • क्वांटम कंप्यूटिंग: इंटरमीडिएट-स्केल क्वांटम कंप्यूटर विकसित करना  (3 वर्ष में 20-50 क्यूबिट; 5 वर्ष में 50-100; 8 वर्ष में 50-1000)
    • क्वांटम कम्युनिकेशन: 2000 किमी से अधिक सैटेलाइट-बेस्ड सिक्योर कम्युनिकेशन, इंटर-सिटी क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन (QKD) और मल्टी-नोड क्वांटम नेटवर्क।
    • क्वांटम सेंसरिंग और क्लॉक्स: नेविगेशन, समय निर्धारण एवं सुरक्षित संचार के लिये हाई-प्रिसिजन मैग्नेटोमीटर, ग्रेविटी सेंसर और एटॉमिक क्लॉक विकसित करना।
    • क्वांटम मटीरियल और डिवाइस: कंप्यूटिंग और मेट्रोलॉजी एप्लीकेशन के लिये सुपरकंडक्टर, टोपोलॉजिकल मटीरियल एवं क्यूबिट डिवाइस डेवलप करना।
  • कार्यान्वयन रणनीति:
    • थीमैटिक हब्स (T-Hubs): चार प्रमुख थीमैटिक हब्स IISc बंगलूरू, IIT मद्रास (C-DoT के साथ), IIT बॉम्बे और IIT दिल्ली की स्थापना करना।
    • हब-स्पोक-स्पाइक मॉडल: मिलकर इनोवेशन के लिये सेंट्रल हब, रिसर्च प्रोजेक्ट (स्पोक्स) और अलग-अलग रिसर्च ग्रुप (स्पाइक्स)।

 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1. राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (NQM) क्या है?
क्वांटम कंप्यूटिंग, संचार, संवेदन और पदार्थों को आगे बढ़ाने के लिये भारत सरकार (2023-31) की एक प्रमुख पहल, जो भारत को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बनाती है।

2. क्वांटम रैंडम नंबर क्या हैं?
स्वाभाविक रूप से अप्रत्याशित क्वांटम कण व्यवहार से उत्पन्न संख्याएँ, सुरक्षित एन्क्रिप्शन और हैक-प्रूफ डिजिटल सिस्टम के लिये उपयोग की जाती हैं।

3. NQM के मुख्य फोकस क्षेत्र क्या हैं?
क्वांटम कंप्यूटिंग, क्वांटम संचार (QKD और उपग्रह-आधारित), क्वांटम संवेदन और घड़ियाँ और क्वांटम पदार्थ और उपकरण।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. “क्यूबिट (Qubit)” शब्द का उल्लेख निम्नलिखित में से कौन-से एक प्रसंग में होता है? (2022)

(a) क्लाउड सेवाएँ
(b) क्वांटम संगणन
(c) दृश्य प्रकाश संचार प्रौद्योगिकियाँ
(d) बेतार संचार प्रौद्योगिकियाँ 

उत्तर: (b)