प्रीलिम्स फैक्ट्स: 29 जनवरी, 2020 | 29 Jan 2020

अफ्रीकी चीता

African Cheetah

सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को भारत में उपयुक्त निवास स्थान पर अफ्रीकी चीतों (African Cheetahs) के पुनर्स्थापन (Reintroduction) की अनुमति दी।

African-cheetah

मुख्य बिंदु:

  • मई 2012 में सर्वोच्च न्यायालय ने मध्य प्रदेश में कूनों पालपुर वन्यजीव अभयारण्य में विदेशी चीतों को लाने की योजना पर रोक लगा दी थी।
  • किसी प्रजाति के पुनर्स्थापन का मतलब है कि इसे उस क्षेत्र में रखना जहाँ यह जीवित रहने में सक्षम है।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने अफ्रीकी चीतों को बसाने की यह अनुमति राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority) की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान दी।

एशियाई चीता (Asiatic Cheetah):

  • एशियाई चीता को अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature-IUCN) की लाल सूची में ‘अति संकटग्रस्त’ (Critically Endangered) श्रेणी में रखा गया है और माना जाता है कि यह केवल ईरान में ही पाया जाता है।
  • यह अफ्रीकी चीता की तुलना में छोटा और मटमैला होता है इसका सिर छोटा और गर्दन लंबी होती है।
  • भारत सरकार ने वर्ष 1951-52 में आधिकारिक रुप से एशियाई चीता को भारत से विलुप्त घोषित कर दिया।

अफ्रीकी चीता (African Cheetah):

  • इसे अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature-IUCN) की लाल सूची में ‘सुभेद्य’ (Vulnerable) श्रेणी में रखा गया है।
  • इसका आकार एशियाई चीता की तुलना में बड़ा होता है। वर्तमान में लगभग 6,500-7,000 अफ्रीकी चीते मौजूद हैं।
  • भारत सरकार ने अफ्रीकी प्रजाति के चीतों को भारत में लाने के लिये प्रोजेक्ट चीता (Project Cheetah) परियोजना की शुरुआत की है।
    • प्रोजेक्ट चीता के तहत मध्य प्रदेश के कूनों पालपुर वन्यजीव अभयारण्य और नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य के अलावा राजस्थान के जैसलमेर ज़िले में शाहगढ़ का चयन किया गया है। इन अभयारण्यों में नामीबिया से अफ्रीकी प्रजाति के चीते लाए जाएंगे।

गतका

Gatka

सिख समुदाय के लोगों ने बाबा दीप सिंह की 338वीं जयंती के उपलक्ष्य में गतका (Gatka) का प्रदर्शन किया।

Gatka

मुख्य बिंदु:

  • यह सिख धर्म से जुड़ा एक पारंपरिक मार्शल आर्ट है।
  • पंजाबी नाम ‘गतका’ इसमें इस्तेमाल की जाने वाली लकड़ी की छड़ी को संदर्भित करता है।
  • यह युद्ध-प्रशिक्षण का एक पारंपरिक दक्षिण एशियाई रूप है जिसमें तलवारों का उपयोग करने से पहले लकड़ी के डंडे से प्रशिक्षण लिया जाता है।
  • गतका का अभ्यास खेल (खेला) या अनुष्ठान (रश्मि) के रूप में किया जाता है। यह खेल दो लोगों द्वारा लकड़ी की लाठी से खेला जाता है जिन्हें गतका कहा जाता है। इस खेल में लाठी के साथ ढाल का भी प्रयोग किया जाता है।
  • ऐसा माना जाता है कि छठे सिख गुरु हरगोबिंद ने मुगल काल के दौरान आत्मरक्षा के लिये ’कृपाण’ को अपनाया था और दसवें सिख गुरु गोबिंद सिंह ने सभी के लिये आत्मरक्षा हेतु हथियारों के इस्तेमाल को अनिवार्य कर दिया था।

अन्य राज्यों में पारंपरिक मार्शल आर्ट:

क्रम संख्या राज्य मार्शल आर्ट
1. मणिपुर हुयेन लंग्लों (Huyen langlon), मुकना (Mukna)
2. केरल कलारिपयट्टु (Kalaripayattu)
3. असम खोमलेने (Khomlainai) (बोडो कुश्ती)
4. महाराष्ट्र मर्दानी
5. तमिलनाडु सिलांबम (Silambam)


अडंबक्कम, पेरुंबक्कम और वेंगाइवासल झीलें

Adambakkam, Perumbakkam and Vengaivasal lakes

तमिलनाडु राज्य के चेन्नई शहर की तीन झीलों (अडंबक्कम, पेरुंबक्कम और वेंगाइवासल) को इको-पार्क में बदला जाएगा।

मुख्य बिंदु:

  • तमिलनाडु सरकार ने चेन्नई शहर में अडंबक्कम, पेरुंबक्कम और वेंगाइवासल झीलों को गहरा करने और इनको सुंदर बनाने के लिये 12 करोड़ रुपए आवंटित किये हैं।
  • इस परियोजना के प्रमुख घटक हैं- बच्चों के खेलने का क्षेत्र, इको-पार्क, जल निकायों के आसपास लॉन और फुटपाथ।
  • इस परियोजना का उद्देश्य जल संग्रहण क्षमता में सुधार और आसपास के भूजल स्तर को समृद्ध करना है।
  • 560 एकड़ में फैली पेरुंबक्कम झील को पहले से ही चेन्नई मेट्रो वाटर द्वारा पेयजल स्रोत के रूप में विकसित किया जा रहा है।

मेसोथेलियोमा

MESOTHELIOMA

हाल ही में जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी पर आरोप लगाया गया है कि इसके बेबी पाउडर (Talcum Powder) में एस्बेस्टस होता है जो एक प्रकार के दुर्लभ कैंसर ‘मेसोथेलियोमा’ (MESOTHELIOMA) का कारण बन सकता है।

  • टेल्कम (Talcum) पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला खनिज है जिसे नमी अवशोषित करने की क्षमता के कारण बेबी पाउडर के रुप में प्रयोग किया जाता है।
  • टेल्कम के खनन के दौरान एस्बेस्टस भी मिलता है जिसे मेसोथेलियोमा (Mesothelioma) और एस्बेस्टॉसिस (Asbestosis) जैसे स्वास्थ्य जोखिमों से जोड़ा गया है।

मेसोथेलियोमा (Mesothelioma):

  • मेसोथेलियोमा (Mesothelioma) कैंसर का एक आक्रामक एवं घातक रूप है जो ऊतक की पतली परत में होता है और आंतरिक अंगों (Mesothelium) के अधिकांश हिस्से को कवर करता है।
  • इसे आंतरिक अंगों (Mesothelium) के हिस्से को प्रभावित करने के आधार पर अलग-अलग प्रकारों में विभाजित किया गया है।
    • प्लयूरल मेसोथेलियोमा (Pleural Mesothelioma)- फेफड़े (Lung) को घेरने वाले ऊतक को प्रभावित करता है।
    • पेरिटोनियल मेसोथेलियोमा (Peritoneal Mesothelioma)- उदर (Abdomen) में ऊतक को प्रभावित करता है।
    • पेरिकार्डियल मेसोथेलियोमा (Pericardial Mesothelioma)- हृदय (Heart) के आसपास के ऊतक को प्रभावित करता है।
    • ट्यूनिका वागिनालिस का मेसोथेलियोमा (Mesothelioma of Tunica Vaginalis)- अंडकोष (Testicles) के आसपास के ऊतक को प्रभावित करता है।

एस्बेस्टॉसिस (Asbestosis):

  • एस्बेस्टस एक खनिज है जो पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप में पाया जाता है। एस्बेस्टोस फाइबर (Asbestos Fibre) ऊष्मा का कुचालक होता है इसका उपयोग इन्सुलेशन, चर्म रोगों, फर्श बनाने के सामान और कई अन्य उत्पादों में किया जाता है।
  • एस्बेस्टोस इन्सुलेशन की खनन प्रक्रिया के दौरान एस्बेस्टोस धूल का निर्माण होता है जो साँस लेने के दौरान फेफड़ों में या निगलने के दौरान पेट में जमा हो जाता है। इससे शरीर में चिड़चिड़ाहट होती है जो मेसोथेलियोमा और एस्बेस्टॉसिस का कारण बनता है।
    • एस्बेस्टोस एक्सपोज़र के बाद मेसोथेलियोमा के विकास में 20-60 वर्ष या उससे अधिक समय लग सकता है। हालाँकि वैज्ञानिक अभी भी इसकी सटीक प्रक्रिया का पता नहीं लगा पाए हैं।
    • एस्बेस्टॉसिस एक पुरानी बीमारी है इसमें फेफड़ों में सूजन आ जाती है। यह बीमारी एस्बेस्टस एक्सपोज़र के कारण होती है।
  • एस्बेस्टोस एक्सपोज़र वाले अधिकांश लोगों में कभी भी मेसोथेलियोमा का विकास नहीं होता है, जो यह दर्शाता है कि कैंसर की बीमारी में सिर्फ मेसोथेलियोमा ही एकमात्र कारण नहीं है बल्कि कुछ अन्य कारक भी ज़िम्मेदार होते हैं।